Home डेयरी Animal Fodder: देश में क्यो हो रही है पशु चारे की कमी और इसका क्या पड़ रहा है असर, पढ़ें इस रिपोर्ट में
डेयरी

Animal Fodder: देश में क्यो हो रही है पशु चारे की कमी और इसका क्या पड़ रहा है असर, पढ़ें इस रिपोर्ट में

fodder for india'animal, milk rate, feed rate, animal feed rate
प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. दुनिया भर में भारत में सबसे ज्यादा दूध उत्पादन किया जाता है. भारत 231 मिलियन टन दूध उत्पादन करता है, जबकि पूरे विश्व में 537 मिलियन पशुओं के साथ भारत पहले स्थान पर आता है. बावजूद इसके देश प्रति पशु दूध उत्पादन के मामले में दूसरे देशों के मुकाबले बहुत पीछे है. अब ऐसे में सोचने वाली बात यह है कि जब भारत में दूध उत्पादन ज्यादा होता है और पशुओं की संख्या भी ज्यादा है तो ऐसा क्यों है? एक्सपर्ट कहते हैं ऐसा चारे की कमी और क्वालिटी के कारण है.

एक्सपर्ट का यह भी मानना है कि पशुओं के लिए जो सूखा और हरा बाजार में मिल रहा है वह क्वालिटी के मामले में बहुत खराब है. इससे उनके दूध उत्पादन की क्षमता पर असर पड़ता है. आपको बता दें कि चारे और डेयरी से जुड़े कई कार्यक्रम के दौरान इंडियन ग्रासलैंड एंड फोडर रिसर्च इंस्टीट्यूट झांसी के पूर्व डायरेक्टर और वर्तमान डायरेक्टर भी चारे की कमी का मसला उठा चुके हैं और उसकी खराब होती क्वालिटी के बारे में भी चेतावनी जारी कर चुके हैं. गौरतलब है कि बेंगलुरु में आयोजित एक कांफ्रेंस के दौरान पूर्व डायरेक्टर अमरीश चंद्रा ने कहा था कि देश में 12 फ़ीसदी हरे चारे और 23वीं सूखे चारे की कमी है.

चारागाहों पर हो गया है कब्जा
इसके अलावा खल आदि के चारे में 24 फ़ीसदी की कमी दर्ज की गई है. जिसे जल्द दूर किया जाना जरूरी है नहीं तो इसकी गंभीर परिणाम भुगत में पड़ सकते हैं. रेंज मैनेजमेंट सोसायटी आफ इंडिया से जुड़े फोडर एक्सपर्ट कहते हैं कि हर एक गांव के स्तर पर पशुओं के चरने के लिए चारागाह की व्यवस्था होती है लेकिन कई बार या खुलासा हुआ है कि चरागाह की बहुत सारी जमीनों पर अतिक्रमण कर लिया गया है. बहुत सी चारागाह की जमीन पर स्कूल और पंचायत घर जैसी दूसरी बिल्डिंग तक बनाई गई है. इस वजह से पशुओं के लिए चरने तक की जगह नहीं बची है. ऐसे में चारे की कमी का असर सीधे तौर पर पशु के दूध उत्पादन पर पड़ना लाजमी है.

कैसे कमी को किया जाए दूर
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रेंज मैनेजमेंट सोसायटी आफ इंडिया से जुड़े डॉ. पलसानिया कहना है कि चरागाहों पर कब्जे हो रहे हैं. यह बात बिल्कुल सच है. जबकि उन्हें रोकने और हटाने की जिम्मेदारी सरकार और प्रशासन की है लेकिन इस तरह की कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. आपसी समझबूझ के कारण चरागाहों पर हो रहे कब्जे को लेकर कार्रवाई नहीं हो पाती. यहां तक की कई विभागों के होते हुए भी चरागाहों पर स्कूल और पंचायत घर तक बना दिए जाते हैं. इस तरह के मामलों में कदम उठाने के लिए नेशनल ग्रासलैंड पॉलिसी बनाने की जरूरत है. यह पॉलिसी बनती है तो इसे चरागाहों पर होने वाले कब्जे को रोका जा सकेगा और पशुओं को बेहतरीन चलेगा उपलब्ध हो सकेगी.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

livestock
डेयरी

Fodder: पशु के लिए सालभर इस फसल से मिलेगा हरा-सूखा चारा, पढ़ें कैसे करें बुआई

रिजका को एकवर्षीय एवं बहुवर्षीय फसल के रूप में उगाया जाता है....

cattle shed, Luwas, Animal Husbandry, Parasitic Diseases, Diseases in Animals, Animals Sick in Rain, Lala Lajpat Rai University of Veterinary Medicine and Animal Sciences, Luwas, Pesticides,
डेयरी

Dairy Animal: डेयरी पशुओं को भूल कर भी न दें ये चारा, दूध की क्वालिटी हो जाएगी खराब

हीं कुछ फीड खिलाने से दूध का टेस्ट भी खराब हो जाता...