Home पोल्ट्री Poultry Farming: टर्की पालकर कर सकते हैं अच्छी कमाई, यहां पढ़ें कैसा होना चाहिए फार्म
पोल्ट्री

Poultry Farming: टर्की पालकर कर सकते हैं अच्छी कमाई, यहां पढ़ें कैसा होना चाहिए फार्म

poultry farming
प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली. पोल्ट्री फार्मिंग के ​तहत टर्की का भी पालन आता है. टर्की उत्तरी अमेरिका एवं यूरोप में जाना पहचाना पक्षी है लेकिन दुनियाभर में खासतौर पर इसे विकासशील देशों में व्यापारिक दृष्टि से पाला जाता है. हमारे देश में इसका प्रचलन ज्यादा नहीं होने का संभावित कारण यह है कि यहां मुर्गी पालन ज्यादा प्रचलित है. फिर भी विकासशील देशों में जिन स्थानों पर बिना चर्बी का मांस पंसद किया जाता है, वहां इसके पालन की अच्छी संभावना है. यह पक्षी छोटे व सीमांत किसानों के लिए आजिविका का एक बेहतरीन साधन बन सकते हैं. क्योंकि इसे कम लागत और बेहद ही कम संसाधन में आसानी से पाला जा सकता है. मुर्गियों से अलग यह पक्षी मांस उत्पादन के लिए पाला जाता है.

प्रो. डॉ. बसन्त बैस और डॉ. सीएस ढाका कहते हैं कि टर्की की प्रजातियों की बात की जाए तो टर्की की विश्व में सात प्रजातियां पायी जाती हैं. इसमें व्हाइट हॉलैंड, बाउर्वन रेड, नरेगन्सेट, ब्लैक, स्लेट, ब्रोंज और बेल्टस्विले स्मॉल व्हाइट. अगर बात भारत की जाए तो यहां व्यवसायिक दृष्टि से तीन विदेशी प्रजातियां पायी जाती हैं. ब्रॉड बेस्टेड ब्रॉज, ब्रॉड ब्रेस्टेड लार्ज व्हाइट और बेल्टस्विले स्मॉल व्हाइट. हालांकि थोड़ी बहुत संख्या में टर्की की देशी नस्लें उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर और प्रयागराज जिलों के आसपास और दक्षिण भारत के कुछ इलाकों में मिलती है.

कैसा होनी चाहिए टर्की का आवास
अगर आप टर्की पालन करना चाहते हैं तो सबसे जरूरी ये है कि टर्की के आवास के बारे में जान लें. टर्की के आवासीय स्थान ऊंचाई वाले स्थान पर होनी चाहिए, जहां से पानी का निकास आसानी से हो सके. आवास स्थल हवादार होना चाहिये. टर्की को बाड़ों में या डीप लीटर दोनो तरह के आवासों में पाला जा सकता है. डीप लिटर व्यवस्था में प्रतिकूल वातावरण से बाद, शिकारी जानवरों से बचाव, कम लागत, कम आवासीय भूमि आदि फायदे हैं.

ज्यादा संख्या में नहीं रखना चाहिए
टर्की पालन के दौरान इस बात का ख्याल रखें कि खुले बाड़ों में बाड़े के कुछ हिस्से में छप्पर लगाया जा सकता है. ताकि प्रतिकूल वातावरण से बचा जा सके. टर्की की ग्रोथ तेजी से होती है. इसलिए ये तेजी से बड़ी होती हैं. ऐसे में इनको एक साथ ज्यादा संख्या में नहीं रखना चाहिए. डीप लिटर सिस्टम में पहले 3-4 सप्ताह में, प्रति टर्की बच्चे के लिए 1 वर्ग फीट प्रति टर्की जगह पर्याप्त है.

कितनी जगह की होती है जरूरत
वहीं 8 सप्ताह तक 1.5 वर्ग फीट प्रति टर्की, 8-12 सप्ताह पर 2 वर्ग फीट प्रति टर्की, उसके बाद 18 सप्ताह की उम्र तक 25 वर्ग फीट प्रति टर्की जगह की जरूरत होती है. 16 सप्ताह की उम्र के बाद प्रत्ति टर्की 3.5 वर्ग फीट जगह की आवश्यकता होती है. इसके अलावा खुले बाड़े में, डीप लिटर की तुलना में तीन गुणा फर्श तल की जरूरत पड़ती है.

Written by
Livestock Animal News

लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज (livestockanimalnews.com) एक डिजिटल न्यूज प्लेटफार्म है. नवंबर 2023 से ये लगातार काम कर रहा है. इस प्लेटफार्म पर एनिमल हसबेंडरी () यानि मुर्गी पालन, डेयरी (), गाय-भैंस, भेड़-बकरी, घोड़ा, गधा, मछली और पशुपालन, चारा, पशु चिकित्सा शि‍क्षा से जुड़ी खबरें पढ़ने को मिलती हैं. ऐग और चिकन के रोजाना बाजार भाव भी इस प्लेटफार्म पर प्रकाशि‍त किए जाते हैं. नेशनल मीडिया जैसे न्यूज18 हिंदी, हिन्दुस्तान, अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर में काम कर चुके पत्रकार (रिर्पोटर) की टीम लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज के लिए खबरें और स्टोरी लिखती है. केन्द्र सरकार के Poultry, Cow, Buffalo, Goat, Sheep, Camel, Horse (Equine), Fisheries, Donkey, Feed-Fodder and Dairy रिसर्च इंस्टीट्यूट के साइंटिस्ट से बात कर उनकी रिसर्च पर आधारित न्यूज-स्टोरी लिखी जाती हैं. इसके साथ ही लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज प्लेटफार्म पर एनिमल साइंस और वेटरनरी कॉलेज-यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और एक्सपर्ट से बात करके खबरें लिखी जाती हैं और उनके लिखे आर्टिकल भी पब्लिूश किए जाते हैं. ये सभी स्टोरी और स्टोरी से जुड़े वीडियो सोशल मीडिया फेसबुक, यूट्यूब (YouTube), इंस्टाग्राम, एक्स (ट्विटर) और लिंक्डइन पर शेयर किए जाते हैं. पशुपालकों की सक्सेट स्टोरी लिखी जाती हैं. उसी सक्सेस स्टोरी के वीडियो बनाकर उन्हें लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज के यूट्यूब चैनल पर पब्लिैश किया जाता है. अंग्रेजी में भी न्यूज और आर्टिकल पब्लिाश किए जाते हैं. लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज पशुपालन, मछली पालन, मुर्गी पालन और डेयरी से जुड़े विषयों पर होने वाली सेमिनार, वर्कशॉप और एक्सपो को भी कवर करता है. साथ ही एनिमल हसबेंडरी मंत्रालय से जुड़ी खबरें भी कवर करता है. बाजार में आने वाले नए प्रोडक्ट की जानकारी भी इस प्लेटफार्म पर दी जाती है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

रोगी पक्षियों के पंख बिखरे-बिखरे व लटके रहते हैं और कॉम्ब पर पीलापन नजर आता है.
पोल्ट्री

Poultry Farming News: बारिश में मुर्गी पालन के दौरान आती है ये दिक्कतें, जानें परेशानियों का उपाय भी

पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग बिहार सरकार के एक्सपर्ट की मानें तो...

poultry farming
पोल्ट्री

Poultry Farming: न तो मुर्गियों का बढ़ता है वजन न ही देती हैं ज्यादा अंडा, पढ़ें इस बीमारी के लक्षण

बता दें कि सीआरडी छूतदार श्वास से सम्बन्धित मुर्गियों की बीमारी है....