नई दिल्ली. पशुपालन और डेयरी गतिविधियां इंसानों की जिंदगी अहम हिस्सा हैं. सदियों पुरानी प्रथाओं और पशुधन पर जनसंख्या की निर्भरता के नतीजे में हिमाचल प्रदेश अधिक पशुधन की आबादी के साथ संपन्न रहा है. इसके चलते पशुपालन करके किसान अच्छी आय कमाते हैं. वहीं सरकार भी समय—समय पर ये कोशिश करती है कि पशुपालन के जरिए किसानों की आय बढ़े. यही वजह कि सरकार योजनाओं को चलाती रहती है. जैसे हिमाचल प्रदेश में ज्यादा दूध देने वाले पशुओं के पशुपालकों को उत्साहित एवं प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से ऐसे पशुओं के पालन के लिए नकद पुरस्कार देने की योजना चलती है.
अगर इस योजना के उद्देश्य की बात की जाए तो अच्छी गुणवत्ता वाले और ज्यादा उत्पादन करने वाले पशुओं के पालन के लिए पशुपालकों को प्रोत्साहन और बढ़ावा दिया जाता. बताया जा रहा है कि सरकार चाहती है कि किसान पशुपालन करके अपनी इनकम को बढ़ाएं.
कौन है योजना केे लिए पात्र
प्रतिदिन 15 लीटर या इससे अधिक दूध देने वाली गाय और भैंस पालने वाले पशुपालक इसके लिए पात्र माने जाते हैं. हर दिन 15 लीटर या इससे अधिक दूध देने वाली गाय और भैंस पालने वाले पशुपालकों को 1000 रुपये प्रति गाय या भैंस की दर से नकद पुरस्कार दिया जाता है. हर एक जिले के लिए निर्धारित भौतिक लक्ष्यों के अनुसार नियंत्रण अधिकारियों को राशि जारी की जाती है. इस योजना के तहत, अधिकतम उत्पादन के रूप में प्रतिदिन 15 किलोग्राम या उससे अधिक उत्पादन वाली गाय और भैंसों का चयन किया जाता है.
दो पशुओं में मिलता ईनाम
पशुपालन विभाग के पशु चिकित्सालयों और औषधालयों में दूध की रिकार्डिंग की जाती है. दूध की रिकॉर्डिंग दुग्धकाल की अवधि के दौरान किसी भी समय की जा सकती है. प्रति किसान अधिकतम दो पशुओं को पुरस्कार दिया जाता है. दूध उत्पादन की रिकॉर्डिंग एक समिति द्वारा की जाती है. जिसमें क्षेत्र के पशु चिकित्सा अधिकारी क्षेत्र के संबंधित संस्थान के पशु मेडिसिनल, ग्राम पंचायत पशुपालन सहायक और स्थानीय निकाय के प्रतिनिधि को संबंधित वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी द्वारा सत्यापित किया जाता है.
अकाउंट में ट्रांसफर किया जाता है पैसा
दूध उत्पादन लगातार चार बार (सुबह और शाम) दर्ज किया जाएगा और अधिकतम उत्पादन की गणना के लिए तीन दोहन की औसत की गणना की जाएगी. पुरस्कार राशि के वितरण के लिए वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी द्वारा विधिवत सत्यापित सभी पात्र पशुओं का विवरण संबंधित उप निदेशक को प्रस्तुत किया जाएगा. हर दिन 15 लीटर या इससे अधिक दूध देने वाले पशुओं को 1000 रुपये प्रति गाय या भैंस को का नकद पुरस्कार दिया जाता है. पुरस्कार चयनित पशुपालकों के बैंक खाते में स्थानांतरित कर दिया जाता है.
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