नई दिल्ली. पिछले महीने केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल ने देश के सबसे बड़े गोट फार्म युवान एग्रो फार्म का उद्घाटन किया तो इस दौरान उन्होंने नस्लीय बकरियों को पालने पर जोर दिया. कहा कि अगर नस्ल के हिसाब से बकरियों को पाला जाए तो किसानों को इससे फायदा मिलेगा. जब इस संबंध में युवान एग्रो फार्म के संचालक डीके सिंह ने सवाल किया गया तो उन्होंने इस बारे में डिटेल से जानकारी दी. उन्होंने भी केंद्रीय मंत्री की बात पर हामी भरी और कहा कि अगर किसान प्योर नस्ल की बकरियों को पालते हैं तो इससे उनका मुनाफा कई गुना बढ़ जाता है.
युवान एग्रो फार्म के संचालक डीके सिंह का कहना है कि केंद्रीय मंत्री ने जो बात कही कि ब्रीड पर ध्यान देना चाहिए, वह बिल्कुल ही सही है. क्योंकि भारत सरकार की ओर से देश में बकरियों की 41 नस्ल रजिस्टर्ड हैं. इसमें से कई बकरियों की नस्ल ऐसी हैं, जिनका मीट अच्छा होता है और वह दूध का उत्पादन उतना बेहतर तरीके से नहीं करती हैं. जबकि कई बकरियां की नस्ल ऐसी है जो दूध का उत्पादन करती हैं और उनका मीट उतना बेहतर नहीं होता.
इन बकरियों को कभी भी न पालें
डीके सिंह ने आगे कहा कि जबकि कुछ नस्ल ऐसी भी हैं जो मीट और दूध प्रोडक्शन दोनों परपस से पाली जा सकती हैं. ऐसे में इस तरह की नस्ल का चयन करके बकरी पालन करना बेहद ही अहम हो जाता है. उन्होंने कहा कि जैसे हंसा, जमुनापारी, हैदराबादी, सोजत नस्ल की बकरियां को क्रॉस कराकर बेचा जा रहा है. ये जानवर बहुत ज्यादा दिनों तक फायदा नहीं पहुंचा सकते हैं लेकिन अगर प्योर ब्रीड पर काम किया जा रहा है तो आपको ज्यादा दिनों तक फायदा मिलेगा. हालांकि यहां आपको यह भी ध्यान देना होगा कि आपकी जरूरत क्या है.
किसान यहां पढ़ें कुछ खास टिप्स
डीके सिंह के मुताबिक सबकी अपनी जरूरतें होती हैं. जैसी आपको जरूरत हो वैसी नस्ल की बकरी को आपको पालना चाहिए और प्योर ब्रीड को ही पालना चाहिए, हो सकता है कि आपको ये महंगा पड़े. इसे आपको ढूंढना पड़े लेकिन प्योर नस्ल को पालने से फायदा ज्यादा मिलता है. डीके सिंह ने कहा कि जिन नस्लों को फार्मर आसानी से पाल सकते हैं. वही नस्ल का चयन करना चाहिए. जबकि इससे पहले उन्हें ट्रेनिंग भी लेना चाहिए. क्योंकि जब कोई भी किसान ट्रेनिंग कर लेता है और अच्छी नस्ल के जानवर पर काम करता है, इससे अच्छी नस्ल भी मिलती है और आगे चलकर इनकम भी.
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