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सरकार को क्यों चाहिए खानाबदोशों की जानकारी पशुपालन मंत्रालय जुटा रहा पशुओं का आंकड़ा

नई दिल्ली. जो लोग खानाबदोशी की जिंदगी जी रहें हैं उन्हें तमाम तरह की दिक्कतों का सामना तो करना ही पड़ता है. इसके साथ—साथ उनके पशु भी कहीं न कहीं सरकार की ओर से मिलने वाली कई सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं. इसको देखते हुए डेयरी और पशुपालन मंत्रालय ने खानाबदोशों के पशुओं की जानकारी जुटाने का फैसला किया है. ये आदेश करीब 12 राज्यों के लिए था, जहां से खानाबदोशों के बारे में जानकारी मांगी गई थी. इस आदेश में 6 से ज्यादा प्वाइंट पर जानकारी देने के लिए कहा गया था. दरअसल, खानाबदोशों के पशुओं को उन योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है जो गौशालाओं, डेयरी और छुट्टा घूम रहे पशुओं को मिल रहा है. जिसकी सबसे बड़ी वजह खानाबदोशों के एक जगह न रहना है. इसके चलते उनके पशुओं को किसी भी तरह की कोई मदद नहीं मिल पाती है. मसलन पशुओं के लिए चलाया जाने वाला टीकाकरण अभियान भी शामिल है.

66 फीसदी से ज्यादा बीमारी जानवरों के कारण

जानकारों का कहना है कि मंत्रालय के इस कदम से पशुओं को पोषण से भरपूर चारा भी मिल पाएगा. वहीं दूसरी ओर सरकार खुरपका-मुंहपका रोग पर पूरी तरह से काबू पाने के मकसद से पशुओं तक अपनी पहुंच बढ़ाने की कोशिश कर रही है. विभाग के अधिकारियों का दावा है कि इस कोशिश में विभाग लक्ष्य के काफी करीब पहुंच गया है. जबकि एक ठिकाना न होने के चलते खानाबदोशों के पशु वो लाभ नहीं हासिल कर पा रहे हैं. पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की ओर से जारी किए गए आंकड़े पर गौर किया जाए तो दरअसल, इंफेक्शन वाली 66 फीसदी से ज्यादा बीमारी जानवरों के कारण ही इंसानों को होती है. जबकि 75 फीसद बीमारी तो ऐसी है कि उसका कारण भी जानवर ही हैं. आंकड़े कहते हैं कि बायो टेररिज्म के खतरे के रूप में जिन महामारी को देखा जाता है उसमें से तो 80 फीसदी बीमारियों की वजह भी पशु ही हैं. यही वजह है कि इस खतरे पर काबू पाने के लिए भी मंत्रालय ने खानाबदोश समुदाय के संबंध में यह योजना शुरू की है.

सरकार ने खानाबदोश प्रकोष्ठ का गठन कर दिया

डेयरी और पशुपालन मंत्री की एक रिपोर्ट पर गौर किया जाए तो पशुपालन करने वाले खानाबदोशों को भेड़-बकरी समेत सभी तरह के पशुओं के लिए किसान केडिट कार्ड की सुविधा भी दिए जाने की बात कही गई है. जानकारों का कहना है कि खानाबदोश समुदाय के पशुओं को भी पशुपालन मंत्रालय की ओर चलाई जा रही योजनाओं का फायदा मिलता रहे इसके लिए सरकार ने खानाबदोश प्रकोष्ठ का गठन कर दिया है. यही नहीं इस योजना की कामयाबी के तहत मंत्रालय की ओर से इस समुदाय के साथ सितम्बर 2022 में आनलाइन और जनवरी 2023 में फिजिकल मीटिंग भी की गई थी.

कुछ राज्यों ने दी जानकारी

ये बात हम पहले ही आपको बता चुके हैं कि पशुपालन मंत्रालय ने देश के करीब 12 राज्यों से खानाबदोश समुदाय के बारे में जानकारी मांगी थी. जिन राज्यों से जानकारी मांगी गई है उसमें यूपी, उत्तराखंड, राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, ओड़िशा, आंध्रा प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश शामिल है. इन सभी राज्यों को पत्र जारी करके मंत्रालय ने सभी प्वाइंट पर जानकारी मांगी है. मंत्रालय ने कहा कि इन राज्यों से खानाबदोश की आबादी के बारे में जानकारी, उनकी संख्या, उनके पास पशु कौन से हैं, पशुओं की संख्या, सर्वे के दौरान जहां रह रहे हैं, उस रोड का नाम, अनुमानित उत्पादन, बिक्री का तरीका, अगर किसी योजना का फायदा ले रहे हैं तो उसकी जानकारी. हालांकि मंत्रालय द्वारा मार्च में दी गई जानकारी के मुताबिक ये बताया गया कि अभी तक उत्तराखंड, लद्दाख, राजस्थान, हिमाचल, कर्नाटक, सिक्किम और जम्मू-कश्मीर राज्यों ने ही खानाबदोश समुदाय के बारे में जानकारी मुहैया कराई है. जबकि बाकी के राज्यों से अभी आना बाकी है.

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