नई दिल्ली. मौजूदा वक्त में बकरी दूध उत्पादन के मामले में भारत का दुनिया में पहला नंबर है. जबकि कुछ वक्त था कि बकरी को गरीबों की गाय कहा जाता था. यही वजह है कि पंजाब में तो बकरी पालन करने वालों को गरीब मान लिया जाता था, लेकिन आज पंजाब प्रांत ने ही देशभर में बकरी पालन की तस्वीर को चमका दिया है. पंजाब में तो एक किसान ने अपने खेत को ही बकरों की इंटरनेशनल बाजार बना लिया है. जहां सिर्फ देश दूसरे राज्यों के साथ ही साथ नेपाल और बांग्लाादेश तक से ग्राहक आा रहे हैं. यही वजह है कि किसान बलविंदर सिंह मान को गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी (गडवासु), लुधियाना ने मुख्यामंत्री अवार्ड से भी नवाजा गया है. इसके वाइस चांसलर डॉ. इन्द्राजीत सिंह की मानें तो आज पंजाब में 100 से 150 बकरियों के बड़े फार्म हैं.
बात करें किसान बलविंदर सिंह मान की तो उनका कहना है कि आज उनके खेत में लगने वाले बाजार में हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, केरल समेत दूसरे राज्यों के बकरी खिंचे चले आते हैं. उनका कहना है कि नेपाल और बांग्लादेश से भी ग्राहक बकरे-बकरी लेने के लिए आते हैं.बकरीद के मौके पर एक-एक ग्राहक 200 से 250 बकरों की बुकिंग कराता है. तुंगवाली गांव जिला भटिंडा, पंजाब के निवासी किसान बलविंदर सिंह मान का कहना है कि साल 2017 में वो गांवों से नौ बकरियां खरीदकर लाए थे. कुछ वक्त के बाद इन बकरियों ने 18 बच्चे दिए. जिसके बाद तीन से चार महीने के होने पर उन बच्चों को बेचा दिया. बच्चों को बेचने के बाद जो पैसे मिले उससे बकरियों की लागत मिल गई. उनका कहना है कि कम वकत में ज्यादा मुनाफे का इससे बढ़कर उन्हें कोई दूसरा काम नहीं समझ आया है. कहा कि इसी रकम में कुछ और पैसे मिलाकर 12 बकरियां और लाए हैं. इस तरह मैंने इस कारोबार को बढ़ाना शुरू कर दिया.
उनका कहना है कि परेशानी ये थी कि बकरे-बकरियां बेचने के लिए कोई बाजार नहीं था. बकरी पालक अपना माल बेचने के लिए कहां जाए. या फिर खरीदने वाले उनके पास कहां से आएंगे. उन्होंने कहा कि इसलिए उन्होंने गुरुवार के दिन अपने खेत में ही बकरों की मंडी लगाने का निर्णय किया. अपने बकरे-बकरी ले आते और पास के गांवों से भी कुछ लोगों को बुला लिया करते थे. इससे आसपास के इलाके में बकरा मंडी का प्रचार-प्रसार हो गया और फिर कुछ लोगों ने मंडी के बारे में सोशल मीडिया पर भी लिखना शुरू कर दिया. लोग फोटो भी डालते थे.
बकरीद पर होता है खूब मुनाफा
उन्होंने कहा कि हमारी साउथ इंडिया की कई पार्टी ऐसी भी हैं जो हमारे बाजार से बकरा खरीदकर उसे खाड़ी देशों में एक्सपोर्ट करती हैं. इसके अलावा बकरीद से एक महीने पहले बकरों की बुकिंग शुरू हो जाती है. उन्होंने कहा कि 200 से 250 बकरों की बुकिंग कराता है. साथ ही इस मौके पर बकरों के रेट भी अच्छे मिल जाते हैं. आम दिनों के मुकाबले एक बकरीद के त्योहार के पर सात से आठ हजार रुपये ज्यादा का मुनाफा होता है. मेरे अपने फार्म में आज 400 बकरे-बकरियां हैं. बाजार से और माल खरीदकर ग्राहकों की डिमांड पूरी करता हूं.ृ
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