नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश के बरेली में बीएल एग्रो, भारत की प्रमुख FMCG कंपनी, ने BL KAMDHENU FARMS का उद्घाटन किया है. जिसमें गाय प्रजनन और डेयरी प्रौद्योगिकी के लिए बेहतरीन और अत्याधुनिक केंद्र शामिल होंगे. कंपनी की ओर कहा गया है कि शुरुआत में एक हजार करोड़ रुपए इसमें निवेश किए जाएंगे लेकिन पूरी योजना के तहत 3 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे. जिससे दूध उत्पादन तो बढ़ेगा ही साथ ही गायों की नस्लों में भी सुधार किया जाएगा. वहीं जब ये काम होगा तो इससे दूध ज्यादा मिलेगा और किसानों की आर्थिक स्थिति और ज्यादा मजबूत होगी.
गौरतलब है कि भारत सरकार के फूड प्रोसेसिंग उद्योग मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि सतत कामधेनू नामक अग्रणी पहल के कारण मवेशी आनुवंशिकी, दूध उत्पादकता में सुधार के लिए कटिंगडेज टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होगा. इस वैज्ञानिक प्रगति का फायदा उठाकर उत्तर प्रदेश में डेयरी और पशुधन उद्योग को बदला जा सकेगा. इसके अलावा इस अवसर पर घ्यानशाम खंडेलवाल, अध्यक्ष, बीएल एग्रो, आशीष खंडेलवाल, प्रबंध निदेशक, बीएल एग्रो और नवनीत रविकर, सीईओ, बीएल एग्रो और सीएमडी, कनेक्ट सर्विसेज (एग्रीटेक वेंचर (बीएल एग्रो ग्रुप द्वारा एग्रीटेक वेंचर) आदि मौजूद रहे.
किसानों को मिलेगा सीधे तौर पर फायदा
बीएल एग्रो के प्रबंध निदेशक, आशीष खंडेलवाल ने कहा कि हमें बेहद खुशी हो रही है कि बीएल कामधेनू मवेशी प्रजनन और डेयरी टेक्नोलॉजी में बेहतरीन टेक्नोलॉजी, रिसर्च, प्रशिक्षण और कार्यान्वयन के लिए केंद्र बिंदु के रूप में काम करेगा. परियोजना में शुरुआतती निवेश लगभग 1,000 करोड़ रुपए का होगा. पूरी परियोजना में 3 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे. हमारा ध्यान इस बात पर है कि टिकाऊ और एक गोलाकार अर्थव्यवस्था बनाने के लिए काम किया जाए और कृषि अपशिष्ट को कम किया जा सके. इससे स्थानीय लोगों को फायदा होगा. गाय के प्रजनन और डेयरी तकनीक के लिए बेहतरीन और अत्याधुनिक केंद्र का उद्देश्य न केवल दूध उत्पादन को बढ़ाने और नस्ल की गुणवत्ता में सुधार करना होगा, बल्कि इससे किसानों को अधिक आर्थिक स्थिरता हासिल करने में भी मदद मिलेगी.
5 हजार देशी गायों को मिलेगा घर
बीएल कामधेनू फार्म फूड्स से टिकाऊ डेयरी फार्मिंग तक बढ़ने के लिए, बीएल एग्रो की विस्तार योजना का एक हिस्सा है. यह परियोजना नई प्रजनन टेक्नोलॉजी (आईवीएफ और ईटी), आंतरिक और बाहरी खपत के लिए एक फीड मिल, और सीबीजी उत्पादन के लिए जैव-उच्चारण को एकीकृत करती है, जो एक आत्मनिर्भर, पर्यावरण के अनुकूल मॉडल को सुनिश्चित करती है. यह परियोजना शुरू में 5000 स्वदेशी गायों को घर देगी, जो टिकाऊ डेयरी खेती पर ध्यान केंद्रित करेगी. परियोजना के आगे बढ़ने के साथ यह संख्या बढ़कर 10 हजार गायों तक बढ़ जाएगी.
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