नई दिल्ली. अंडों का सीजन शुरू हो चुका है और इसकी डिमांड भी बढ़ रही है. इसी के साथ ही अब पोल्ट्री फॉर्मर्स एक और काम कर रहें हैं वो ये है कि कम अंडे देने वाली मुर्गियों की छंटाई की जा रही है. ऐसा हर बार सीजन शुरू होने से पहले किया ही जाता है. दरसअल, ऐसा इसलिए किया जाता है कि अंडे की लागत का एवरेज रेट खराब न हो इसके लिए ऐसी मुर्गियों को अलग करना पोल्ट्री कारोबारियों की मजबूरी है. वो दाना तो पूरा खाती हैं लेकिन अंडा कम देती हैं इसलिए नुकसान न हो ऐसे में कारोबारी ये करते ही हैं. हालांकि ऐसा करने से दुकानदारों को फायदा होता है. वो आम ब्रॉयलर मुर्गे के साथ इन मुर्गियों को रखकर बेच देते हैं और रेट वही रखते हैं, जबकि उन्हें काफी कम दाम पर ये मुर्गियां मिलती हैं. कुछ प्वाइंट्स के जरिए आप इसका पता लगा सकते हैं.
इसलिए ब्रॉयलर चिकन में मिलाई जाती है लेयर बर्ड
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पोल्ट्री एक्सपर्ट मनीष शर्मा ने बताया कि ब्रॉयलर चिकन वो है जो बाजारों में चिकन फ्राई, चिकन टंगड़ी, चिकन टिक्का और तंदूरी चिकन के नाम से से बेचा जाता है. जबकि चिकन बिरयानी बनाने का भी इस्तेमाल इसी से किया जाता है. खासतौर पर चिकन करी के लिए घरों में इसका उपयोग होता है. ब्रॉयलर मुर्गे का थोक रेट 105 रुपये किलो से लेकर 120 रुपये तक चल रहा है.
यहां आपको लेयर मुर्गी के बारे में भी बता देते हैं जो अंडा देने के काम आती है. बाजार में जो सफेद रंग का छह से सात रुपये का अंडा बिकता है वो लेयर बर्ड से ही प्राप्त होता है. लेयर बर्ड का पालन सिर्फ और सिर्फ अंडे प्राप्त करने के लिए होता है. दो से सवा दो साल तक यह अंडा देती हैं. इसके बाद इनकी छटनी कर दी जाती है. फिर पोल्ट्री फार्म वाले महज 15 से 25 रुपये किलो के रेट से चिकन बेचने वाले दुकानदारों सेल कर देते हैं.
ब्रॉयलर और लेयर बर्ड में ऐसे करें पहचान
लेयर बर्ड पतली-दुबली होती है इसका वजन दो किलो तक होता है.
ब्रॉयलर डेढ़ से तीन किलो वजन रखती है.
वहीं लेयर बर्ड के शरीर पर चर्बी नहीं होती है.
जबकि ब्रॉयलर के शरीर पर चर्बी लाजिमी है. क्योंकि ये मोटी होती है.
लेयर बर्ड के शरीर पर घने पंख होते हैं.
जबकि ब्रॉयलर के शरीर पर पंख न के बरारबर होता है.
लेयर के सिर पर लाल गहरे सुर्ख रंग की बड़ी सी झुकी हुई कलंगी होती है.
ब्रॉयलर में बहुत छोटी कलंगी होती है. रंग भी थोड़ा दबा हुआ होता है.
लेयर के पंजे यानि पैर पतले होते हैं.
जबकि ब्रॉयलर के पंजे मोटे होते हैं.
लेयर काफी फुर्तीली होती है. इसे खुला छोड़ दिया जाए तो पकड़ना मुश्किल होता है.
जबकि वजनी और मोटा होने के चलते ब्रॉयलर दौड़ नहीं सकता है.
कुक करने के दौरान लेयर का मीट अच्छी तरह से नहीं गलता है.
वहीं ब्रॉयलर का मीट आसानी के साथ पक जाता है.
आप ये भी जान लें कि एक दिन की लेयर बर्ड (चूजा) 40 से 45 रुपये का होता है. वहीं जब ये 4.5 से 5 महीने की उम्र तक पहुंचता है तो अंडा देना शुरू करता है. 19 से 20 महीने तक की मुर्गी 90 फीसदी तक अंडा दे देती है. मुर्गी अंडा देने के लिए करीब हर दिन 125 से 130 ग्राम तक दाना खा लेती है. इस मुर्गी के अंडे से चूजा नहीं निकलता है.
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