नई दिल्ली. आप मछली पालक हैं या फिर पालने का प्लान कर रहे हैं तो ये खबर आपके लिए है. क्योंकि आपके के लिए ये जानना बेहद जरूरी है कि मछलियों को हर छोटी-बड़ी बीमारी से कैसे बचाया जा सकता है. वैसे तो पोल्ट्री की तरह से मछली पालन में ऐसी कोई बीमारी नहीं होती है जो तेजी के साथ सभी मछलियों को जकड़ ले लेकिन फिर भी सावधानी बरतना जरूरी होता है. मछलियों को बीमारी से बचाना होता है उसमें सबसे खतरनाक लाल धब्बा है. देखने में तो ये बीमारी मामूली नजर आती है लेकिन इसके कारण मछलियों की मौत भी हो जाती है. मछली पालक चाहे मछली को तालाब में पाले, या फिर टैंक और जाल लगाकर पाले, कुछ खास तरीके अपनाकर मछलियों छोटी-बड़ी बीमारी की पहचान खुद ही कर सकता है.
इन बातों का रखें खास ख्याल
सभी मछली पालक ये बात जानते ही हैं कि मछलियां खारे और मीठे दो तरह के पानी में रहती हैं. नदी और समुंद्री मछली को खारे पानी की मछली कहा जाता है. जबकि तालाब, टैंक और जाल लगाकर पाली जा रही मछलियों को मीठे पानी की मछली माना जाता है. ध्यान देने वाली बात ये है कि तालाब की समय-समय पर सफाई कर के भी मछलियों को छोटी-बड़ी बीमारियों से बचा सकते हैं. ध्यान दें कि मछलियों का दाना गुणवत्ता वाला और संतुलित दिया जाए. बीमार मछलियों को अलग हटा देना ही बेहतर है. तालाब के आकार के हिसाब से ही मछलियों की संख्या तय करनी चाहिए. तालाब में और दूसरी मछलियों को नहीं पनपने देना चाहिए.
इन लक्षणों से बीमारी का पता लगाएं
मछली पालक तालाब के किनारे टहलते हुए भी मछलियों सामान्य लक्षण देख उनकी बीमारी की पहचान कर सकता है. कुछ सामान्य लक्षण हैं, जिसको देखकर पता चल सकता है कि मछलियां बीमारी का शिकार हैं. मसलन, मछलियों द्वारा सामान्य तरीके से दाना न खाना, मछलियों द्वारा बार-बार तालाब या टैंक के किनारे आ जाना, मछलियों का खरपतवार की आड़ में छिपकर रहना और मछली द्वारा सुस्त तरीके से पानी में रहना मतलब तैरना.
शारीरिक लक्षण से भी लगा सकते हैं पता
ये ध्यान दें कि यदि मछलियों के शरीर से जरूरत से ज्यादा श्लेष्मा (बलगम) निकले तो सावधान हो जाना चाहिए. क्योंकि ज्यादा श्लेष्मा निकलने का मतलब है कि मछली बैक्टीरिया का शिकार हो सकती हैं. मछली अपने मूल रंग से यदि बदरंग हो जाए. मछली के पंखों के नीचे लाल तरह का जख्म दिखे. वहीं मछली के शरीर पर सफेद और काले धब्बे दिखने लगें. उसका पेट फूलना, स्केल के बीच में मवाद जम जाना. मछलियों के पंख टूटना और उनका सड़ना. इसके अलावा मछलियों की आंख में सूजना, मछली का शरीर छोटा और सिर बड़ा दिखाई देना, मछली का गलफड़ ज्यादा लाल होना और गलफड़ का टूटना और सड़ना आदि से भी बीमारी का पता लगाया जा सकता है.
अंदरूनी लक्षण भी कर लें जानकारी
एक्सपर्ट कहते हैं कि किसी भी मछली की बीमारी के अंदरूनी लक्षण का पता उसके पोस्टमार्टम से ही चल सकता है. मछली पालक मछली की चीरफाड़ कर आप उसके अंदरूनी अंगों को देखकर भी उसकी बीमारी का अंदाजा लगा सकता है. मछली की आंत के पास से गाढ़ा और बदबूदार पानी नजर आएगा. मछली के लिवर का रंग असामान्य हो जाएगा. मछली के गुर्दों में टूटफूट और सड़न का हो जाएगी. मछलियों की आंत में पैरासाइट का मिल सकता है. मछली के लिवर और गुर्दे में गांठ का होना उसकी बीमारी के लक्षण हैं.
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