Home पशुपालन Sheep Farming: छोटानागपुरी भेड़ की क्या है खासियत, सबसे ज्यादा कहां पाली जाती है
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Sheep Farming: छोटानागपुरी भेड़ की क्या है खासियत, सबसे ज्यादा कहां पाली जाती है

chottanagpuri sheep
छोटानागपुरी भेड़ की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. भेड़ों की अपनी-अपनी खासियत होती है. कई भेड़ सिर्फ ऊन के लिए पाली जाती हैं तो कई को मीट के लिए ज्यादा पसंद किया जाता है. हालांकि भेड़ पशु पालकों के लिए एक बेहतर कमाई का जरिया बन सकती है, यदि इसे सही से पाला जाए. भेड़ों की नस्ल में एक छोटानागपुरी भेड़ भी है. यह नस्ल झारखंड के छोटानागपुर, रांची, पलामू, हज़ारीबाग़, सिंहभूम, धनबाद और संथाल परगना और पश्चिम बंगाल के बांकुरा जिले में पाई जाती है. इस नस्ल के जानवर छोटे, वजन में हल्के होते हैं. रंग की बात की जाए तो हल्के भूरे और भूरे रंग के होते हैं. कान छोटे और सिर के समानांतर होते हैं. पूंछ पतली और छोटी होती है. ऊन मोटा, बालों वाला और खुला होता है और आमतौर पर काटा नहीं जाता है.

वर्ष में तीन बार मिलती है ऊन
इस भेड़ की नस्ल की बात की जाए तो इसके कान छोटे और सिर के समानांतर होते हैं. पूंछ पतली होती और छोटी होती है. जबकि ऊन मोटा होता है और बालों वाला खुला होता है. जानवरों से ऊन साल में तीन बार मार्च-अप्रैल, जून-जुलाई और अक्टूबर-नवंबर में प्राप्त की जाती है. सालाना औसतन 180 ग्राम बालों वाली भेड़ से ऊन उत्पादन किया जाता है. इसमें ऑस्टिन फाइबर व्यास 52.54 यू और मेडूलेशन प्रतिशत 84 होता है. इनके ऊन मोटे कालीन बनाने के काम में आते हैं. उनकी नस्ल के लिए ये कहा जाता है कि इस भेड़ की नस्ल काफी हद तक शुद्ध नस्ल होती है.

19 केजी होता है वजन
2007 की पशुधन जनगणना के अनुसार भारत में 203479 छोटानागपुरी नस्ल की भेड़ हैं. भेड़ की नस्ल से काफी हद तक शुद्ध मानी जाती है. आमतौर पर यह झुंड में रहती है. इसके झुंड में आमतौर पर 5 से 6 नर और 70 से 80 व्यस्क मादाएं और उनके बच्चे होते हैं. अगर उनके वजन की बात की जाए तो औसत शारीरिक वजन भेड़ नर का 19 किलो और मादा का भी 19 किलो ही होता है. जबकि शरीर की औसतन लंबाई 52 सेंटीमीटर दोनों ही की होती है.

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