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Dairy: हर किसी को चौंका रहा है कश्मीर का दूध उत्पादन, इस योजना ने दिखाया यहां कमाल

हरित प्रदेश मिल्क प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन सदस्यों को बोनस का तोहफा दिया जा रहा है.
प्रतीकात्मक फोटो. livestock animal news

नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर ने दूध के उत्पादन के मामले में सभी को चौंका दिया है. जिस कश्मीर की चर्चा आंतक को लेकर होती थी, उसी कश्मीर में दूध की धारा बह रही है. कश्मीर के कई जिलों ने दूध उत्पादन के मामले में अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया है. यही वजह है कि मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय परषोत्तम रूपाला भी कश्मीर की तारीफ करने से खुद को रोक नहीं सके और उन्हें कहना पड़ा कि अब कश्मीर में गोली बंदूक नहीं दूध के बारे में बात हो रही है. ये इस राज्य के लिए बड़ी उपलब्धि है.

अनंतनाग पे पुलवामा भी पीछे छोड़ा
अनंतनाग जिले में दूध उत्पादन के मामले में पुलवामा जिले को भी पीछे छोड़ दिया है और कश्मीर के नए आनंद का खिताब हासिल कर लिया है. अनंतनाग वर्तमान में प्रतिदिन 7.39 लाख लीटर दूध का उत्पादन कर रहा है. अफसरों का कहना है कि जिले में वार्षिक दूध उत्पादन का लगभग 266.35 हजार टन है, जो पुलवामा को पीछे छोड़ रहा है. जिसका वार्षिक दूध उत्पादन 262.95 हजार टन है. आने जिले में दूध उत्पादन का स्तर अलग-अलग बताया गया है. जिसमें बडगाम में 240.70 हजार टन, बारामूला में 19.95 हजार टन, कुलगाम में 161 हजार टन दूध का उत्पादन हुआ है. इसके अलावा बांदीपोरा में 119.98 हजार टन और श्रीनगर में 100.410 हजार टन दूध उत्पादन हुआ.

इन जिलों में सबसे कम हुआ उत्पादन
गांदरबल और शोपियां में 96.37 हजार टन और 72.96 हजार टन सालाना के साथ सबसे कम दूध उत्पादन दर्ज किया गया. कश्मीर के पशुपालक और डेयरी कारोबारी कश्मीर में दूध उत्पादन बढ़ाने की कामयाबी एकीकृत डेयरी योजना को देते हैं. उनका कहना है कि इस योजना से बहुत सुधार हुआ है. पशुपालन अधिकारी बताते हैं कि चालू वित्तीय वर्ष की पहली तीन तिमाहियों के लिए 221 लाभार्थियों के बीच 1.11700000 रुपये की सब्सिडी वितरित की गई है.

सरकारी योजनाओं का मिला फायदा
अधिकारियों ने बताया कि नहीं इकाइयों ने न केवल दूध उत्पादन बढ़ाने में योगदान दिया है. बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार भी पैदा किया है और जैविक खेती को भी इसे बढ़ावा मिला है. जिले के पशुपालन विभाग के अधिकारियों का कहना है कहना अनंतनाग के किसानों ने उन्नत प्रजनन विधियां और डेरी मवेशियों के लिए बेहतर पोषण सहित आधुनिक तकनीक को अपनाया. इन प्रयासों से प्रति गाय अधिक दूध की पैदावार हुई. जिससे उत्पादन में समग्र इजाफा हुआ. उन्होंने कहा डेरी उद्योग के समर्थन देने वाले सरकारी योजनाएं जैसे, पशु आहार सब्सिडी, पशु चिकित्सा सेवाएं और बुनियादी ढांचे के विकास के वित्तीय सहायता ने किसानों को डेरी संचालन में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया है.

मंत्री ने किया किसानों को संबोधित
देशभर से आए सैकड़ों पशुपालक मछली पालक 26 जनवरी के मौके पर दिल्ली में थे. इस दौरान केंद्रीय मत्स्य पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने किसानों को सुना और कहा कि आज कश्मीर में गोली बंदूक नहीं दूध के बारे में बात हो रही है. वहीं मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने 1100 से अधिक किसानों को परेड देखने के लिए आमंत्रित किया था. जो राष्ट्रीय गोकुल मिशन और प्रधानमंत्री मातृ सम्पदा योजना जैसी केंद्र सरकार की योजनाओं के लाभार्थी हैं. इस दौरान मंत्री परषोत्तम रूपाला ने देश के विकास में इन किसानों के महत्वपूर्ण योगदान पर टिप्पणी की.. उन्होंने आगे कहा कि उनके अथक प्रयासों के लिए एक योग्य मंच और स्वीकृति प्रदान करके सरकार का लक्ष्य हमारे महान राष्ट्र के कृषि परिदृश्य को आकार देने में इन लाभार्थियों द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करना है.

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