नई दिल्ली. सोयाबीन की फली पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ-साथ प्रोटीन, तेल और स्वास्थ्य का एक प्रमुख स्रोत भी है जो दुनियाभर में मानव पोषण और पशुधन आहार के लिए फाइटोकेमिकल्स (पादपरासायनिक) को बढ़ावा देने में मदद करता है. सोया दूध मूलतः सोयाबीन का निचोड़ (रस) होता है. इसकी तैयारी के मूल चरणों में सोयाबीन का चयन, पानी में मिलाना, पीसना और फाइबर (ओकरा) से सोया दूध को अलग करना, लिपोऑक्सीजिनेज और ट्रिप्सिन अवरोधकों को निष्क्रिय करने के लिए पकाना, सूत्रीकरण करना, गढ़ बनाना और सोया दूध की पैकेजिंग करना शामिल है. सोया दूध-टोफू बेचकर हर साल पांच लाख रुपये से भी अधिक की कमाई की जा सकती है.
ऐसे करता है प्लांट काम
भाकृअनुप-केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल और मैसर्स रॉयल प्लांट सर्विसेज, दिल्ली ने 100 लीटर/घंटे की क्षमता वाला एक स्वचालित सोयामिल्क प्लांट विकसित किया है. इस संयंत्र की विशेषताओं में भरण और पिसाई इकाई, भंडारण स्टोरेज टैंक, बॉयलर यूनिट, कुकर, न्यूमेटिक टोफू प्रेस और कंट्रोल पैनल आदि शामिल हैं. ग्राइंडिंग सिस्टम में टॉप हॉपर, फीडर कंट्रोल प्लेट, बॉटम हॉपर और ग्राइंडर शामिल हैं. चक्की से आने वाली सोया घोल को स्टोरेज टैंक में इकट्ठा किया जाता है और स्क्रू पंप असेंबली द्वारा कुकर में पंप किया जाता है. 12 किलोवाट हीटर और कुकर के बॉयलर स्वचालित दबाव वाल्व द्वारा जुड़े होते हैं और वांछित दबाव और तापमान पर कुकर को आसानी से भाप जारी करते हैं. फीड दर को 20 किग्रा/घंटा पर नियंत्रित किया जाता है. कुकर में 490 केपीए का भाप दाब तथा 150 डिग्री सेल्सियस का तापमान जारी किया जाता है. जब कुकर का दबाव और तापमान क्रमशः 2.5 किलो और 120 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है और इस स्थिति को तीन मिनट तक बनाए रखा जाता है. तब स्वचालन वाल्व खुल जाता है और सोया घोल विभाजक को पंप करता है. विभाजक वांछित सोया दूध और ओकारा को अलग कर देता है. विकसित स्वचालित सोया दूध संयंत्र बहुत अच्छी गुणवत्ता वाले दूध का उत्पादन करता है.
लाखों रुपये में है शुद्ध लाभ
मैसर्स श्री श्यामा काली एंटरप्राइजेज, कामरे, राँची ने दूध और टोफू के लिए सोयाबीन प्रसंस्करण स्वचालित सोया दूध संयंत्र स्थापित किया है. वे हर दूसरे दिन करीब 70 लीटर सोया दूध और 10 किलोग्राम टोफू का उत्पादन करते हैं. सोया दूध और टोफू की बिक्री की लागत क्रमशः 40 रुपए प्रति लीटर और 150-200 रुपए प्रति किलो है. सोया दूध और टोफू के उत्पादन की लागत को क्रमशः 15 रुपए प्रति लीटर और 50 रुपए प्रति किलोग्राम मानते हुए सोया दूध और टोफू के उद्यमों से शुद्ध लाभ क्रमशः 3,18,500 रुपए और 2,73,000 रुपए प्रति वर्ष है.
रोजगार देने के साथ ही कर सकते हैं मोटी कमाई
पांच व्यक्तियों को रोजगार प्रदान करने, आसान संचालन और उत्पादन प्रक्रिया के दौरान कम-से-कम श्रम की जरूरतों के आलावा सोया दूध और टोफू दोनों उद्यमों के लिए इस संयंत्र से प्रतिवर्ष कुल 5, 91,500 रुपए का लाभ होता है.पंजाब के जिला होशियारपुर में मैसर्स एग्रो सोया मिल्क ऑर्गेनिक प्लांट गंभावोल ने सोया दूध आधारित पेय पदार्थ और टोफू के प्रसंस्करण के लिए संयंत्र लगाया और हर दूसरे दिन करीब 100 लीटर सोया दूध और 60 किलोग्राम टोफू का उत्पादन कर रहा है.
इतने रुपये में बिकता है सोया दूध और टोफू
सोया दूध और टोफू की बिक्री मूल्य क्रमशः 45 रुपए प्रति लीटर और 120-150 रुपए प्रति किग्रा है. सोया दूध और टोफू बेचकर उद्यमियों द्वारा अर्जित लाभ 5,46,000 रुपये और 7,64,400 रुपये बताई गई है. सोया दूध और टोफू से उद्यमियों को प्राप्त कुल लाभ 13,10,400 रुपए प्रति वर्ष है जो लोगों की जीवन शैली को बेहतर बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
देश के कई जिलों में लगे प्लांट दे रहा फायदा
बैंगलोर में मैसर्स लवसोय फूड प्रोडक्ट्स लिमिटेड ने सोया दूध, टोफू और पाउडर के प्रसंस्करण के लिए स्वचालित सोया दूध संयंत्र स्थापित किया है. वे प्रतिवर्ष करीब 20 टन सोया दूध पाउडर और 3-4 टन टोफू का उत्पादन कर रहे हैं और सफलतापूर्वक उद्यम चला रहे हैं. मैसर्स मंथन सोया प्रोडक्ट्स, राजसमंद, राजस्थान ने स्वचालित सोया दूध संयंत्र की स्थापना की है और हर दूसरे दिन करीब 50 लीटर सोया दूध और 25 किलोग्राम टोफू का उत्पादन कर रहे हैं. उद्यमी को सोया दूध और टोफू बेचकर प्रति वर्ष 4,95,000 रुपए का शुद्ध लाभ प्राप्त हो रहा है.
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