नई दिल्ली. अखिल भारतीय बकरी सुधार शोध समन्वय परियोजना 2021-22 और 2022-23 की समीक्षा बैठक मखदूम, फरह मथुरा स्थित केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान में 18 और 19 मार्च को आयोजित की गई. बैठक में देशभर के 3.5 करोड़ बकरी पालकों की आमदानी बढ़ाने के लिए तमाम तरीकों पर चर्चा की गई. इसका रोडमैप को तैयार करने पर भी सहमति बन गई है. बताते चलें कि भारत में बकरियों की कुल 39 नस्ल पंजीकृत हैं. जिसमें 50 प्रतिशत बकरियों की नस्ल अखिल भारतीय शोध परियोजना में शामिल किया गया है.
इस बैठक में देश की 16 प्रमुख बकरियों की नस्लें जो देश के 21 तमाम स्थानों और राज्यों में पाली जा रही हैं के बारे में डिटेल से बातचीत हुई. मीटिंग में खोज के आधार पर तमाम नस्लों में स्थायी आनुवांशिक सुधार उनका प्रमोशन, मैनेजमेंट के तरीके, तकनीकी एवं ट्रेनिंग विकास द्वारा बकरियों की गुणवत्ता एवं प्रोडक्शन, विकास बढ़ाने और इस प्रयास में किसानों की की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया गया.
ताकि रिसर्च को पशुपालक आसानी से अपना सकें
इसके साथ संस्थान स्थित AICRP की इकाई बरबरी, जमुनापारी, अन्य नस्लें एवं संस्थान द्वारा चलाई जा रही विभिन्न परियोजनाओं एवं रिसर्च प्रयोगों की मौके पर जानकारी ली गई. बैठक में मुख्य रूप से बकरियों की बरबरी, जमुनापारी, बीटल, सिरोही, गद्दी, चागथागी, ओस्मनावादी, संगमनेरी, मालावारी, गजांम, ब्लैक बंगाल, आसामहिल, बुन्देलखण्डी, पन्तजा, अंडमानी पर चर्चा हुई. कहा गया कि इसके अलावा कुछ नयी नस्लों को इस परियोजना में शामिल किया जाए. भारतीय कृषि अननुसंधान परिषद के उपमहानिदेशक डॉत्र राघवेन्द्र भट्टा द्वारा वैज्ञानिकों से आवाहन किया कि वे ऐसी तकनीकियों का विकास करें, जिनसे बकरी पालक आसानी से अपना सकें. इसके साथ ही उन्होंने प्रत्येक बकरी की नस्लों की प्रमुख समस्याओं तथा अनुसंधान द्वारा उनका समाधान करने के लिए रोडमैप बनाने पर जोर दिया.
मील का पत्थर साबित होगी योजना
संस्थान निदेशक डॉ. मनीष कुमार चेटली ने कहा कि ये समीक्षा बैठक भारत में पायी जाने वाली 15 करोड़ बकरियों तथा उनके पालने वाले लगभग 3.5 करोड़ बकरी पालकों की आजिविका, रोजगार एवं आमदनी बढ़ाने के लिए मील का पत्थर साबित होगी. यह योजना भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा वित्त पोषित एवं भारत के विभिन्न कृषि एवं पशु विश्वविद्यालयों के सहयोग से एवं केन्द्रीय बकरी अनुसंधान परिषद द्वारा चलायी जा रही है. वहीं इससे पहले बैठक की अध्यक्षता भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महोनिदेशक (पशु विज्ञान) डॉ. राघवेन्द्र भट्टा ने की. सह अध्यक्षता सहायक महानिदेशक डॉ. जी.के. गौर एवं संस्थान निदेशक डॉ. मनीष कुमार चेटली ने की. विशिष्ट अतिथि द्वारा नव स्थापित अजा संपदा स्थल एवं जल शक्ति गृह का उद्घाटन भी किया गया.
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