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World Endangered Species Day : क्यों मनाते हैं विश्व संकटग्रस्त प्रजाति दिवस, जानने के लिए पढ़ें ये खबर

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टाइगर (फोटो क्रेडिट वल्डलाइफ एसओएस)

नई दिल्ली. जैसा कि दुनिया वर्ल्ड एन्डैन्जर्ड स्पीशी डे (विश्व संकटग्रस्त प्रजाति दिवस) मना रही है, वाइल्डलाइफ एसओएस भारत के विविध और लुप्तप्राय वन्यजीवों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए अपनी प्रतिबद्धता के लिए समर्पित है. हलचल भरी मानव आबादी के बावजूद, भारत दुनिया की कुछ दुर्लभ लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है, जिनमें एशियाई हाथी, बाघ, मगरमच्छ, स्लॉथ भालू, पैंगोलिन, स्टार कछुए, हूलॉक गिब्बन, एक सींग वाले गैंडे और कई अन्य प्रजातियां शामिल हैं. ये शानदार जानवर, मैंग्रोव वनों जैसे अपने प्राकर्तिक आवासों में अत्यधिक सुरक्षा के साथ भारत में पनपते हैं.

हर साल मई के तीसरे शुक्रवार को, दुनिया भर में हजारों लोग लुप्तप्राय प्रजाति दिवस मनाने में भाग लेते हैं, खतरे में पड़ी और लुप्तप्राय प्रजातियों की रक्षा के लिए यह दिन एक बेमिसाल स्मारक के रूप में जाना जाता हैं, जहां लोग इन प्रजातियों के बारे में सीखते हैं और ज्ञान अर्जित करते हैं. वाइल्डलाइफ एसओएस जंगलों के विनाश और तेजी से शहरीकरण के कारण लुप्तप्राय के रूप में वर्गीकृत कई जानवरों को बचाने का कार्य करता है. गिद्धों और हंगुल हिरण से लेकर हिमालयन ब्राउन भालू तक, वाइल्डलाइफ एसओएस उनकी सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है.

वन्यजीव तस्करी गिरोहों का किया भंडाफोड़
हाथी, भालू, बाघ और तेंदुए जैसी लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण के उद्देश्य से सक्रिय परियोजनाओं के साथ, वाइल्डलाइफ एसओएस दिल्ली, आगरा, वडोदरा और जम्मू और कश्मीर क्षेत्रों में बचाव हॉटलाइन संचालित करता है. संस्था पैंगोलिन और मगरमच्छ जैसे विभिन्न लुप्तप्राय जंगली जानवरों को बचाती है और उनका पुनर्वास करती है. अपनी अवैध शिकार विरोधी इकाई, ‘फ़ॉरेस्ट वॉच’ के माध्यम से, वाइल्डलाइफ़ एसओएस ने कई लुप्तप्राय जानवरों को बचाया है और उन्हें अवैध शिकार से बचाने के लिए वन्यजीव तस्करी गिरोहों का भंडाफोड़ किया है.

जानवरों के बारे में जानना जरूरी
वाइल्डलाइफ एसओएस की सह-संस्थापक और सचिव, गीता शेषमणि ने कहा, “विश्व लुप्तप्राय प्रजाति दिवस के अवसर पर, वाइल्डलाइफ एसओएस प्रकृति प्रेमियों और संरक्षण के प्रति उत्साही लोगों को आगरा, मथुरा और बैंगलोर में हमारे रेस्क्यू सेंटर्स पर अपने स्वयंसेवी कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आमंत्रित करता है. स्वयंसेवा करके, व्यक्ति इन लुप्तप्राय जानवरों और उनके आवासों के संरक्षण प्रयासों में सक्रिय रूप से योगदान दे सकते हैं.

जानवरों को बचाने के लिए वनों का संरक्षण जरूरी
वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्तव्य को समझ कर लुप्तप्राय प्रजातियों को बचाने में योगदान दे सकते है, भले ही वे मानव निवास के करीब हों. इन प्रजातियों की सुरक्षा के लिए वनों और उनके प्राकृतिक आवासों को संरक्षित करना महत्वपूर्ण है. लोग वाइल्डलाइफ एसओएस जैसी संरक्षण संस्थाओं का समर्थन कर सकते हैं और संरक्षण पहल में भाग ले सकते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हम अपने जीवनकाल में लुप्तप्राय प्रजातियों के नुकसान को न देखें.

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