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Poultry: पोल्ट्री फार्म में खुद पर हमला क्यों करते हैं मुर्गे-मुर्गियां, यहां जानें वजह और पढ़ें समस्या का हल

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फीड खाती मुर्गियों की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. पोल्ट्री कारोबारी जब फॉर्म में मुर्गा-मुर्गियों को पालते हैं तो एक बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है. ये समस्या पक्षियों की खुद पर हमला करने की आदत है. दरअसल, अक्सर मुर्गे खुद पर हमला करके घायल कर लेते हैं. ये हमला कई बार इतना गंभीर होता है कि उन्हें जख्म हो जाता है. यही जख्म आगे चलकर उनकी मौत का कारण बनता है. कई बार प्राकृतिक परिस्थितियों में प्रर्याप्त प्राकृतिक वातावरण के अभाव में भी पक्षी अपने साथी पक्षियों पर आक्रमण करता है.

जिसका नुकसान पोल्ट्री कारो​बारियों को होता है. इसलिए इस समस्या का हल जानना बेहद ही जरूरी है ताकि इस तरह की दिक्कते न आएं. इसके कई कारण हैं, जिनके बारे में इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे ताकि इस समस्या को जब भी फेस करना पड़े तो तुरंत आप इसका निदान कर दें. नहीं तो नुकसान उठाना पड़ेगा.

क्या है कारण पढ़ें यहां
-आनुवंशिक गड़बड़ी (हल्के वज़न की पक्षियों का आक्रामक व्यवहार के साथ).
-अपर्याप्त जगह, खाद्य या पानी और अधिक रोशनी.
-प्रोटीन और खनिजों की कमी होना.
-कीड़े, जूं आदि जैसे बाहरी परजीवी के कारण परेशानियां होना.
-पक्षियों के बीच लड़ने के दौरान दिए गए घाव भी मांस खाने को उत्तेजित कर सकते हैं.
-अंडे देने के दौरान बाहरी जननांग से खून बहने के कारण अन्य पक्षियां को चोंच मारने के लिए आकर्षित होती हैं.

क्या हैं आदत के लक्षण.
-पंख खींचने, पैर की अंगुली, सिर और भेन्ट में चोंच मारना.
-उजागर त्वचा पर खुले घाव, रक्त, गंदे पंख और रक्त मिलना हमेशा सामान्य होता है.
-भेन्ट पेकिंग ज़्यादातर सतह पर रखे पक्षियों में देखने को मिलता है और अगर भीड़ ज़्यादा है तो परिस्थिति और भी गम्भीर हो जाती है.
-यदि तुरंत सुधारात्मक उपाय नहीं किए गए तो इस आदत के कारण झुंड में विभिन्न मृत्यु दर देखने को मिलता है.

निदान और उपचार के बारे में जानें
-बाहरी जख्म, गिरते एवं बिखरे पक्षी के पंख निदान में सहायता करता है.
-एंटीसेप्टिक के साथ घावों का ड्रेसिंग किया जाना चाहिए.
-पक्षियों के चोंच को सही तरीके से रेतना चाहिए.
-मांस खाने वाले करने वाले पक्षियों को तुरंत अलग करना चाहिए.
-पर्याप्त खाद्य और पानी की ब्यवस्था के साथ-साथ भीड़-भाड़ में कमी करनी चाहिए.
-आहार में पोषक तत्वों (प्रोटीन, खनिज, विटामिन और नमक) की कमी को सुधारना चाहिए.
-रोशनी की तीव्रता को कम करने और घर में लाल बल्ब की व्यवस्था उपयोगी हो सकती है. बिछौने/घोंसले बनाने का प्रावधान माँस भक्षण को कम करने में मदद कर सकता है.

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Livestock Animal News

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