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Animal Husbandry: बरसात में पशुओं को ऐसे बचाएं परजीवी रोगों से, Luvas ने जारी की ये गाइडलाइन

ब्रुसेलोसिस ब्रुसेला बैक्टीरिया के कारण होता है जो मुख्य रूप से पशुधन (जैसे गाय, भेड़, बकरी) में पाए जाते हैं.
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. पशु पालकों को पशु पालन में कुछ बातों का बहुत ध्यान रखना चाहिए. खासकर बरसात के मौसम में. अगर बारिश में पशुओं की ठीकठाक से देखभाल कर ली तो वे बीमार नहीं होंगे. कभी-कभी पशु इतने बीमार हो जाते हैं कि उनकी जान तक चली जाती है. इसलिए पशुपालक और किसानों को बरसात के मौसम में पशुओं के प्रति जागरूक करने के लिए हरियाणा के हिसार स्थित लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय,पशु परजीवी विज्ञान विभाग ने कुछ गाइडलाइन जारी की हैं, जिससे पशुओं की देखभाल करके उन्हें बीमार होने से बचाया जा सकता है.

तंदरुस्त पशु खुद ही बीमारियों से बचाव का सामर्थ्य रखते हैं. इसलिए पशुओं को सम्पूर्ण पौष्टिक आहार जिसमें उपयुक्त प्रोटीन की मात्रा हो, खाने के लिए देना चाहिए. बछड़े रोगों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, इसलिए उनकी अधिक देखभाल करनी चाहिए. पशु व बछड़ों के आश्रयों की नियमित सफाई व कीटाणुशोधन करना चाहिए. प्रतिदिन गोबर को इकट्ठा कर उसका कहीं दूर ढेर बना कर रखना चाहिए. इससे गोबर के ढेर में उत्पन्न होने वाली ऊष्मा से संक्रमण योग्य अंडों व जीवों (लार्वा) का नाश संभव हो पाता है.

इन गाइडलाइन को करेंगे फोलो तो पशु नहीं होंगे बीमार

चरागाहों का नियमित आवर्तन व वैकल्पिक चरागाहों में पशुओं को चरने के लिए छोड़ा जाना गोल कृमियों के जीवन चक्र को तोड़ने में सहायक होता है।

गर्मियों व बरसात के मौसम में पशुओं को तराई के इलाकों में चरने के लिए नहीं छोड़ना चाहिए.

पशुओं के गोबर की परजीवियों के संक्रमण को आंकने के लिए नियमित जांच अत्यधिक आवश्यक है.

कृमिनाशकों का इस्तेमाल पशु चिकित्सक की सलाह से ही करना चाहिए. कृमिनाशकों का दुरुपयोग परजीवियों में कृमिनाशक प्रतिरोध की क्षमता उत्पन्न कर देता है, जिस कारण पशुओं में इस्तेमाल होने वाले कृमिनाशकों का परजीवियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता व पशुओं के स्वास्थ्य पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.

बाह्य परजीवियों के इलाज के लिए कीटनाशक दवाइयों का घोल बनाकर पशु के शरीर पर तथा पशुघर में स्प्रे करें, लेकिन ध्यान रहे कि सभी प्रकार के कीटनाशक जहर होते हैं, इसलिए इनका प्रयोग सावधानीपूर्वक करें.

कीटनाशक दवा स्प्रे करते वक्त बरतें ये सावधानी

कीटनाशक दवाइयों की पशु चिकित्सक द्वारा निर्देशित की गई मात्रा ही प्रयोग करें.

इसके लिए पशु, पशुघर व इसके इर्द-गिर्द सफाई का विशेष ध्यान रखें.

पशु पर खरखरा फेरते रहने से बाह्य परजीवी कम लगते हैं.

पशुघर में छिद्र या दरारें नहीं होनी चाहिए क्योंकि इनमें छिपकर मादा चिचड़ियां (कलीले) अण्डे देती हैं. इसलिए दीवारों व खुरलियों की मिट्टी/सीमेंट से पुताई कर दें.

कीटनाशक दवाई पशु को लगाने के बाद उसे धूप में ना बांधें.

कीटनाशक दवाई लगाने के बाद पशु को नहलाना नहीं चाहिए.

पशुघर में पानी के निकास का प्रबन्ध होना चाहिए क्योंकि नमी की मात्रा पर कई परजीवियों का जीवन चक्र निर्भर करता है.

कीटनाशक के खाली डिब्बों को नष्ट कर दें.

कीटनाशक को बच्चों से दूर रखें.

हवा का रूख, दिन कैसा है आदि का ध्यान रखें.

पशुओं को भीड़ में न रखें तथा पशुघर हवादार होना चाहिए.

पशुओं को कीटनाशक दवाइयां लगाने से पहले साफ ताज़ा पानी पिलाएं.

कीटनाशक के प्रयोग के समय हाथों में दस्ताने, आंखों पर चश्मा व मुंह पर कपड़ा जरूर लगाएं.

समय-समय पर पशुओं के गोबर व खून की जांच करवाएं.

पशुओं को संतुलित आहार दें.

—घाव का तुरन्त इलाज करेंः पशु के शरीर पर लगे साधारण घाव (पूंछ या ऊन काटते समय या अन्य किसी कारण से) का तुरन्त इलाज करें. घावों पर मक्खियां बैठने से कीड़े पड़ने का डर रहता है. पशु चिकित्सक की सलाह से घावों पर दवाई का प्रयोग करें. घाव से निकले कीड़ों को गड्ढे में दबाना चाहिए.

सबसे बड़ी और अहम बात यह है कि एक स्वस्थ, साफ-सुथरे और अच्छे खिलाये-पिलाये पशु को परजीवी कम प्रभावित करते हैं.

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