नई दिल्ली. मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत पशुपालन और डेयरी विभाग की कोशिश है कि किसानों की इनकम को बढ़ाया जाए और इसके लिए कोशिशें भी की जा रही हैं. विभाग के अधिकारियों का कहना है कि भारत की देशी गोजातीय नस्लें मजबूत हैं और उनमें नेशनल इकोनोमी में अहम किरदार निभाने की जेनेटिक काबिलियत है. साइंटिफिक तरीके से देशी गोजातीय नस्लों के कंजर्वेशन और डेवलपमेंट मकसद से दिसंबर 2014 में “राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम)” की शुरुआत की गई थी. बता दें कि आरजीएम के तहत साल 2021 से यह विभाग दूध प्रोड्यूस करने वाले किसानों डेयरी सहकारी समितियों/एमपीसी/एफपीओ और कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियनों (एआईटी) प्रोत्साहन के तौर पर हर वर्ष राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार से नवाजता है.
इस वर्ष से, विभाग ने उत्तर पूर्वी क्षेत्र (एनईआर) राज्यों के लिए एक विशेष पुरस्कार शामिल किया है ताकि उत्तर पूर्वी क्षेत्र (एनईआर) में डेयरी विकास में भी किसान अहम रोल अदा कर सकें. वहीं इन इलाकों में डेयरी कारोबार बढ़ सके. एनजीआरए 2024 के तहत बेस्ट डेयरी सहकारी समिति (डीसीएस)/दूध उत्पादक कंपनी (एमपीसी)/डेयरी किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) और सर्वश्रेष्ठ कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन (एआईटी की कैटेगरी में पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर आने वालों को स्पेशल प्राइज दिया जाएगा. वहीं एनजीआरए 2024 में पहली दो कैटेगरी यानी बेस्ट डेयरी किसान और बेस्ट डीसीएस/एफपीओ/एमपीसी में योग्यता प्रमाणपत्र, एक स्मृति चिन्ह और नगर ईनाम शामिल है.
किसे कितना मिलेगा ईनाम
पहली रैंक के लिए पांच लाख रुपये, दूसरी रैंक के लिए तीन लाख रुपये और तीसरी रैंक के लिए 2 लाख रुपये ईनाम मिलेगा. पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) के लिए स्पेशल प्राइज रखा गया है. बेस्ट एआई टेक्नीशियन (एआईटी) कैटेगरी में, राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार-2024 में सिर्फ योग्यता प्रमाण पत्र और एक स्मृति चिन्ह शामिल होगा. कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन (एआईटी) श्रेणी में कोई नकद पुरस्कार नहीं दिया जाएगा.
कब दिया जाएगा ईनाम
साल 2024 के दौरान राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार के लिए नॉमिनेशन राष्ट्रीय पुरस्कार पोर्टल यानी https://awards.gov.in के माध्यम से 15.07.2024 से ऑनलाइन जमा किए जाएंगे. नामांकन जमा करने की आखिरी तरीख 31.08.2024 है. ईनाम राष्ट्रीय दुग्ध दिवस 26 नवंबर, 2024 के मौके पर दिया जाएगा. इलीजिबिलिटी और ऑनलाइन अप्लीकेश करने से संबंधित दिशा-निर्देशों के बारे में अधिक जानकारी के लिए, वेबसाइट https://awards.gov.in या https://dahd.nic.in क्लिक कर सकते हैं.
इन नस्ल की गाय है रजिस्टर्ड
बताते चलें कि कुछ खास नस्ल की गायों पालने वालों को ही इस ईनाम से नवाजा जाएगा. उसमें कर्नाटक की अमृतमहल, बिहार की बचौर, तमिलनाडु की बरगुर, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की डांगी, महाराष्ट्र और कर्नाटक की देवनी, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की गाओलाओ गुजरात की गिर, कर्नाटक की हल्लीकर, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान की हरियाणा तमिलनाडु की कंगयम, गुजरात और राजस्थान की कांकरेज, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की केनकथा, उत्तर प्रदेश की खेरीगढ़, महाराष्ट्र और कर्नाटक की खिलार, कर्नाटक की कृष्णा घाटी, मध्य प्रदेश की मालवी, राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की मेवाती, राजस्थान की नागोरी को शामिल किया गया है. वहीं निमारी, मध्य प्रदेश, ओंगोल, आंध्र प्रदेश, पोंवार, उत्तर प्रदेश, पुंगनूर, आंध्र प्रदेश, राठी, राजस्थान, लाल कंधारी, महाराष्ट्र, लाल सिंधी, केवल संगठित खेतों पर, साहिवाल, पंजाब और राजस्थान, सिरी, सिक्किम और पश्चिम बंगाल थारपारकर, राजस्थान, उम्बलाचेरी, तमिलनाडु, वेचुर, केरल, मोटू, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश, घुमुसरी, उड़ीसा, बिंझारपुरी, उड़ीसा, खरियार, उड़ीसा, पुलिकुलम, तमिलनाडु, कोसली, छत्तीसगढ़, मलनाड गिद्दा, कर्नाटक, बेलाही, हरियाणा और चंडीगढ़, गंगातिरी, उत्तर प्रदेश और बिहार, बद्री, उत्तराखंड, लखीमी, असम, लद्दाखी, जम्मू और कश्मीर, कोंकण कपिला, महाराष्ट्र और गोवा, पोडाथुरपु, तेलंगाना, नारी, राजस्थान और गुजरात, दगरी, गुजरात, थुथो, नागालैंड, श्वेता कपिला, गोवा, हिमाचली पहाड़ी, हिमाचल प्रदेश, पूर्णिया, बिहार, कथनी, महाराष्ट्र, सांचोरी, राजस्थान, मासिलम नस्ल मेघालय रजिस्टर्ड है.
इय नस्ल की भैंसे हैं पंजीकृत
भैसों की बात की जाए तो भदावरी, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश प्रदेश, जाफराबादी, गुजरात, मराठवाड़ी, महाराष्ट्र, मेहसाणा, गुजरात, मुर्रा, हरियाणा, नागपुरी, महाराष्ट्र, नीली रावी, पंजाब, पंढरपुरी, महाराष्ट्र, सुरती, गुजरात, टोडा, तमिलनाडु, बन्नी, गुजरात, चिलिका, उड़ीसा, कालाहांडी, ओडिशा, लुइट (दलदल) असम और मणिपुर, बरगुर, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ी, छत्तीसगढ़, गोजरी, पंजाब और हिमाचल प्रदेश, धारवाड़ी, कर्नाटक
मांडा, ओडिशा और पुरनाथाडी नस्ल महाराष्ट्र की रजिस्टर्ड है.
Leave a comment