नई दिल्ली. चूजों के सही पालन-पोषण के लिये हमें कुछ बातों का ख्याल रखना चाहिए. चूजे पालने का उचित समय चूजे ऐसे समय खरीदें या घर पर ही अंडो से निकाले कि उनका अंडा उत्पादन उस समय शुरू हो ताकि अंंडो की ज्यादा कीमत हासिल हो सके. इसके मद्देनजर जनवरी-मार्च का समय चूजा पालन के लिए बेहतर होता है. जहां तक संभव हो एक दिन की उम्र के ही चूजे खरीदें और हमेशा हेल्दी चूजे ही प्राप्त करें. चूजे पालने के तरीकों की बात की जाए तो अंडे से चूजे निकलने के बाद चूजों को मौसम के मुताबिक 8 सप्ताह तक एक निश्चित तामपान देने की आवश्यकता होती है. इस क्रिया को ब्रूडिंग भी कहा जाता है. चूजा पालन की दो विधियों प्रचलन में है.
मुर्गी की मदद से अंडो से चूजा निकालने का काम किया जाता है. चूजा पालन के लिये भी प्राकृतिक विधि द्वारा मुर्गी की सहायता से किया जाता है। मुर्गी अपने शरीर का तापमान चूजों को देकर उन्हें पालती है। अपने आकार के अनुसार एक मुर्गी 10-15 चूजे पाल सकती है. इस काम के लिये देशी मुर्गी ज्यादा उपयुक्त होती हैं. इस काम के लिये एक अलग पालन दड़बों का इस्तेमाल करना चाहिये. यह दड़बा 2 फीट 2 फीट का, एक तरफ थोड़ा ढलान वाला होना चाहिये. जिसे बांस की टोकरी, गत्ते का बक्सा आदि से बनाया जा सकता है.
बैलेंस्ड फीड जरूर दें
यहां मुर्गी चूजों के पास बैठ कर अपने शरीर की गर्मी चूजों को दे सकती है. इस तरीके से चूजा पालन करते समय भी कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है. मुर्गी और चूजों को अन्य मुर्गियों से थोड़ा अलग सूखा, हवादार व सुरक्षित दड़बा / जगह देना चाहिये. ताकि वह अपनी और चूजों की हिफाजत कर सके एवं उन्हें भली-भांति पाल सके. मुर्गी और चूजों को संतुलित आहार / अनाज का मिश्रण दिन में कम से कम दो बार जरूर दें. साफ पानी सदा उपलब्ध रहना चाहिये तथा पानी का बर्तन गहरा नहीं होना चाहिये नहीं ता चूजे उसमें डूब कर मर सकते हैं.
वैक्सीन लगवाना चाहिए
दिन में मुर्गी व चूजों को बाहर खुला छोड़ दें लेकिन रात में उन्हें दड़बों में बंद करें, जिससे जंगली जानवर, कुत्ते, बिल्ली, चूहों व सांप से तथा गर्मी, सर्दी व बरसात से उनका बचाव हो सके. चूजों के स्वास्थ्य के बारे में हमेशा होश्यिार रहना चाहिये और समय-समय पर लगने वाले टीके लगवाना चाहिये. चूजों व बड़ी मुर्गियों में कई बार एक दूसरे को चोंच मार कर घायल कर देने की बुरी आदत पड़ जाती है, जिसे केनिबोलिज्म कहते है.
मादा चूजों की काट दें चोंच
ऐसा तब होता है जब कम जगह में अधिक चूजे रखे जाएं. ज्यादा तापमान हो, खाने-पीने के बर्तन में दाने पानी का न हो, असंतुलित आहार हो और अधिक रोशनी तथा अपर्याप्त प्रबन्ध व्यवस्था हो. इस बुरी आदत से बचाने के लिये 4 से 6 सप्ताह की आयु पर चूजों की चोंच के ऊपर वाले हिस्से का एक तिहाई भाग काट दें. यह ध्यान रखें की केवल मादा चूजों की ही चोंच काटे नर चूजों की नहीं अन्यथा वह बड़ा होकर मादा पर प्रजनन हेतु नहीं चढ़ सकेगा.
Leave a comment