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Vaccination: कुत्तों को लगवाएं वैक्सीन, खुद को और अपने पेट्स को बीमारियों से बचाएं, पढ़ें डिटेल

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प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली. कुत्ता बहुत ही वफादार जानवर माना जाता है. यही वजह है कि बहुत से लोग कुत्तों को पालते भी हैं. अब तक कुत्तों के शौकीन लोगों ने उसे अपने बेडरूम तक में जगह दे दी है. कुत्तों को भी कई तरह की बीमारियां परेशान करती हैं. जिसकी वजह से इसके पालने वाले लोग परेशान हो जाते हैं. अगर इनकी मौत हो जाए तो उन्हें दुख भी होता है और पैसो का भी नुकसान होता है. खास करके विदेश नस्ल के ​कुत्ते हैवी डाइट लेते हैं. उनका रोज का खर्च ज्यादा है, अगर ऐसे में कुत्ते बीमार पड़ जाएं तो मालिकों पर एक्सट्रा खर्च आ जाता है. इसलिए जरूरी है कि कुत्तों का वैक्सीनेशन कराया जाए.

कुत्तों में टीकाकरण बीमारियों को रोकने एवं उन्हें स्वस्थ रखने का सबसे आसान तरीका है. टीकाकरण बीमारी की आशंका से पहले संक्रमण के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रणाली को विकसित करने के लिए दिया जाता है. नियमित तौर पर अनेक टीके गंभीर संक्रामक बीमारी के खिलाफ मुख्य बचाव के रूप में कुत्तों को दिए जाते हैं.

बीमारी से लड़ने में मिलती है मदद
मुख्य टीकों में नाइनपारवो वाइरस, डिस्टेम्पर, हिपेटाइटीस, पैराइन्फ्ल्युंजा डीएचपीपीआई युक्त और रेबीज शामिल है. गैर-मुख्य टीको में लैप्टोस्पाइरा का टीका भी शामिल है. आमतौर पर एकल और कई दवाइयों का काम्बिनेशन व्यावसायिक रूप से उपलब्ध है. वहीं एक्सपर्ट कहते हैं कि पशुचिकित्सक की परामर्श के बाद ही कृमिहरण कारकों का इस्तेमाल किया जा सकता है. कीड़े हो जाने पर दवा का इस्तेमाल किया जा सकता है. इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है. टीकाकरण के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है. केवल स्वस्थ कुत्तों का टीकाकरण करें. टीकाकरण से पहले कृमिहरण जरूर कर लें. सुबह या शाम के समय टीकाकरण करें. टीकाकरण के बाद तीन दिनों के लिए अपने कुत्ते को तनाव ज्यादा आराम नहीं देना चाहिए.

कुत्तों में डीवार्मिंग, क्यों है जरूरी
कुत्तों में पाए जाने वाले गोल कीड़े, हुक कीड़े, विपवर्म तथा फिता कीड़े प्राथमिक अंदर के कीड़े हैं. ये पाचनतंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं और आवश्यक पोषक तत्वों के सोखने में दिक्कत पैदा करते हैं. आमतौर पर ये कीड़े लोगों में आंत संक्रमण का कारण नहीं है, हालांकि, हुकवर्म संक्रमण प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देता है और पेट में दर्द का कारण बनते हैं. गोलकृमि कालार्वाभी को संक्रमित करने की क्षमता रखता है. गोलकृमि अंडे से संक्रमित भोजन ग्रहण करने से अतड़ी में लार्वा विकसित होने की संभावना के साथ ही संवेदनशील अंगो में असर डालते हैं. बच्चों में तथा कमजोर एवं बूढ़े लोगों में कुत्तों द्वारा इस प्रकार के संक्रमण के होने की बहुत अधिक सम्भावना रहती है. इसलिए नियमित रूप से कृमिहरण और साफ-सफाई इन परजीवी बीमारियों की रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण है.

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