नई दिल्ली. विकसित भारत 2047 पहल के तहत भारत के 100-दिवसीय लक्ष्य के मुताबिक मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत मत्स्य विभाग, जलीय कृषि को बढ़ाने और देशभर में इंटीग्रेटेड फिशरीज को बढ़ावा देने के लिए प्रभावशाली पहल कर रहा है. विभाग ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए कई टारगेट सेट किए हैं. जिसमें 200 हेक्टेयर खारे पानी की जलीय कृषि का विकास और 500 हेक्टेयर एइंटीग्रेटेड फिशरीज का विस्तार शामिल है. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत फंडेड ये पहल, मत्स्य पालन क्षेत्र को मजबूत करने और लगातार विकास को बढ़ावा देने के लिए रणनीतिक रूप से तैयार की गई है.
इस प्रयास को पूरा करने के लिए 11 सितंबर, 2024 को पीएमएमएसवाई की चौथी वर्षगांठ के दौरान, जलीय कृषि व इंटीग्रेटेड फिशरीज खेती परियोजना के लिए 800 हेक्टेयर खारे क्षेत्र का विकास 1.50 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा. जलीय कृषि और इंटीग्रेटेड फिशरीज को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश, राजस्थान हरियाणा, पंजाब, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर और मिजोरम में 42.43 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजनाओं का भी अनावरण किया गया है.
इन राज्यों को करोड़ों का बजट मिला
खारे पानी की जलीय कृषि भारत के मत्स्य पालन क्षेत्र के विकास में एक महत्वपूर्ण घटक है. खासतौर से उन क्षेत्रों में जहां मीठे पानी के सोर्स कम हैं. या कृषि क्षेत्रों से खारे पानी के आने से जल संसाधन प्रभावित हो रहा है. इस क्षमता को पहचानते हुए, मत्स्य विभाग, भारत सरकार ने हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान राज्यों में खारे पानी की जलीय कृषि के विकास को प्राथमिकता दी है. वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के लिए 36.93 करोड़ रुपये के बजट के साथ 263.80 हेक्टेयर को कवर करने वाले परियोजना प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है. खारे पानी की जलीय कृषि कई फायदे लाती है, जिसमें सीमांत भूमि का उपयोग शामिल है, जो अन्यथा कम उपयोग की जाती है, जिससे वे बंजर भूमि से संपदा भूमि में बदल जाती है.
किसानों को होगा आर्थिक फायदा
यह पहल हाई वैल्यू वाली प्रजातियों जैसे वन्नामेई झींगा और खारे पानी की मछलियों जैसे सी बास की खेती को भी समर्थन और प्रोत्साहन देगी. जिनकी बाजार में मजबूत मांग है. वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए, भारत सरकार के मत्स्य विभाग ने 500 हेक्टेयर के शुरुआती लक्ष्य के मुकाबले 550 हेक्टेयर एकीकृत मछली पालन के विकास को मंजूरी दी है. यह पहल अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर और मिजोरम राज्यों में 5.50 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ विकसित की जाएगी. इंटीग्रेटेड पालन एक सटीकता को बढ़ावा देता है. जहां एक गतिविधि से निकलने वाले वेस्ट दूसरी गतिविधि के लिए संसाधन के रूप में काम करेगा. इससे संसाधन दक्षता बढ़ेगी, लागत और पर्यावरणीय प्रभाव कम होंगे और डायवर्सिफिकेशन के माध्यम से किसान परिवारों को आर्थिक फायदा होगा.
Leave a comment