नई दिल्ली. मछली पालन को बढ़ावा देने के मकसद के तहत सरकार की ओर से समय-समय पर कई सारी योजनाएं भी चलाई जाती हैं. ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग मछली पालन के कार्य में आगे आ सकें. समुद्र और नदियों से मछली पकड़कर अपनी आजीविका चलाने वाले लोगों को कई तरह का खतरा रहता है. कभी बार नदियों में बाड़ आने पर हादसा हो जाता है. जबकि समुद्र में तो खतरा बहुत ज्यादा होता है. इसको देखते हुए सरकार की ओर से प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत मछुआरों को 5 लाख रुपये तक की मदद की की जाती है. आइए इसके बारे में आपको जानकारी देते हैं.
27 सितंबर को लाइव स्टक एनिमल न्यूज के आर्टिकल में आपको ये बताया गया था कि इस बीमा योजना का कवर किन लोगों को मिलता है और किन लोगों को नहीं है. अगर आप मछली पालन से जुड़े हैं तो वो खबर भी आापके काफी काम की है. इसको जरूर पढ़ें, ताकि आपको पूरी जानकारी मिल जाए.
2.5 लाख से 5 लाख रुपये किया
बताते चलें कि प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) के तहत समूह दुर्घटना बीमा योजना (जीएआईएस) दुर्घटना किसी की मृत्यु होने पर या स्थायी विकलांगता के लिए 5 लाख रुपये की मदद की जाती है. वहीं अगर स्थायी आंशिक विकलांगता हो जाए तो 2.5 लाख रुपये और अस्पताल में भर्ती होने पर 25,000 रुपये का बीमा कवरेज प्रदान किया जाता है. इससे पहले नीली क्रांति योजना के तहत, दुर्घटना बीमा, मौत या पूरी तरह से विकलांगता के लिए 2 लाख रुपये, आंशिक स्थायी विकलांगता के लिए 1 लाख रुपये और अस्पताल में भर्ती होने के खर्च के लिए 10,000 रुपये जारी किया जाता था.
64.50 करोड़ रुपये का दिया बीमा कवरेज
PMMSY के संचालनन के दौरान पिछले चार वर्षों (2021-22 से 2023-24) और मौजूदा वित्त वर्ष (2024-25) के दौरान, मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार ने 131.30 लाख मछुआरों के बीमा कवरेज के लिए 64.50 करोड़ रुपये की राशि जारी की है. जिसमें सालाना औसतन 32.82 लाख मछुआरे शामिल हैं. इसके नतीजे में अब तक प्राप्त 1438 दावा प्रस्तावों में से 874 दावों का निपटारा किया जा चुका है, जिसके तहत 40.30 करोड़ रुपये पर दावों का निपटारा हुआ है.
प्रतिबंध के दौरान मिली मछुआरों को मदद
PMMSY के तहत, सरकार वार्षिक मछली पकड़ने पर प्रतिबंध यानि जब मछली को पकड़ने पर पाबंदी होती है तो उस दौरान आजीविका और पोषण सहायता प्रदान करती है. PMMSY के चलाने के पिछले चार वर्षों (2020-21 से 2023-24) और वर्तमान वित्त वर्ष (2024-25) के दौरान, औसतन 5.94 लाख मछुआरों को सालाना आजीविका और पोषण सहायता प्रदान की गई. जिसका कुल खर्च 1,384.79 करोड़ रुपये था, जिसमें 490.84 करोड़ रुपये का केंद्रीय हिस्सा (शेयर) शामिल था.
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