Home पशुपालन UP: पशुपालकों को कौन बताता है कि सालभर कहां-कौनसा चारा-घास उगेगी, पढ़ें IGFRI के बारे में सब कुछ
पशुपालन

UP: पशुपालकों को कौन बताता है कि सालभर कहां-कौनसा चारा-घास उगेगी, पढ़ें IGFRI के बारे में सब कुछ

igfri
igfri की फोटो

नई दिल्ली. भारतीय चरागाह और चारा अनुसंधान संस्थान, झांसी (IGFRI), झांसी की स्थापना साल 1962 में चरागाहों और चारा उत्पादन, संरक्षण और उनके इस्तेमाल पर आर्गनाइज्ड वैज्ञानिक रिसर्च करने के लिए की गई थी. फिर 1 अप्रैल, 1966 को यह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) का हिस्सा बन गया. इसके बाद 1972 में IGFRI झांसी में चारा फसलों और इस्तेमाल पर रिसर्च परियोजना शुरू की गई. इसके अलावा विभिन्न राज्य कृषि विश्वविद्यालयों/एनजीओ/ICAR में 23 कोआर्डिनेशन केंद्रों और 15 स्वयंसेवी केंद्रों के माध्यम से राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली के तहत काम किया गया. संस्थान में फसल सुधार, फसल उत्पादन, कृषि मशीनरी और कटाई के बाद की तकनीक, बीज तकनीक, सामाजिक विज्ञान, चरागाह और सिल्विपैचर मैनेजमेंट जैसे पौधे और पशु से जुड़े सात विभाग हैं.

इसमें पांच इकाइयां भी हैं, जैसे पीएमई, एचआरडी, एटीआईसी, आईटीएमयू और एकेएमयू और पुस्तकालय, केंद्रीय अनुसंधान फार्म, डेयरी और केंद्रीय इंस्ट्रूमेंटेशन. संस्थान के तीन क्षेत्रीय स्टेशन अविकानगर (राजस्थान), धारवाड़ (कर्नाटक) और श्रीनगर (जम्मू और कश्मीर) में स्थित हैं जहां जलवायु परिस्थितियों पर केंद्रित चारे पर रिसर्च किया जाता है. जबकि पालमपुर (हिमाचल प्रदेश) में एक चरागाह केंद्र है. संस्थान में चारा फसलों और चारागाहों के सुधार, उत्पादन और उपयोग पर बुनियादी रणनीतिक और अनुकूली रिसर्च, पशुधन उत्पादकता बढ़ाने के लिए उत्पादकता और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए चारा और चारागाहों पर रिसर्च कोआर्डिनेशन, टेक्नोलॉजी प्रौद्योगिकी प्रसार और मानव संसाधन विकास आदि पर काम होता है.

मिल चुका है ये पुरस्कार
संस्थान ने चारा टेक्नोलॉजी के प्रोडक्शन में कई मील के पत्थर हासिल करते हुए 58 वर्षों तक सफलतापूर्वक देश की सेवा की है. संस्थान को चारा रिसर्च, क्षमता निर्माण और बुनियादी ढांचे के विकास के क्षेत्र में प्रगति और योगदान के लिए वर्ष 2015 में “सरदार पटेल उत्कृष्ट आईसीएआर संस्थान पुरस्कार” से सम्मानित किया गया था. संस्थान एक आईएसओ 9001, 2015 प्रमाणित संस्थान है. ये सघन चारा उत्पादन प्रणालियों, वैकल्पिक चारा सोर्स, चरागाहों, सिल्वी और बागवानी-चारागाह प्रणालियों, बीज उत्पादन, कृषि मशीनीकरण, कटाई के बाद स्टोरेज और इस्तेमाल, पशुधन आहार और प्रबंधन और साथ ही विभिन्न प्रजातियों में बुनियादी और एप्लाइड रिसर्च में प्रयासरत है. संस्थान चारे की कमी और क्वालिटी से भरपूर चारे की कमी को पूरा करने में जुटा रहा है.

जानें संस्थान ने क्या-क्या काम किये
देश में संसाधन संरक्षण आधारित परियोजनाओं के परफॉर्मेंस और इसे लागू करने लिए ज्ञान और कौशल का घटक है. संस्थान मृदा और जल संरक्षण के क्षेत्र में किसानों, छात्रों, राज्य सरकार के अधिकारियों, क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं के लिए अलग-अलग समय के ट्रेनिंग और कौशल विकास कार्यक्रम चलाता है. चारा उत्पादन टेक्नोलॉजी के 20 से अधिक गौशालाओं के साथ ओएमयू साइन किया है. बुंदेलखंड क्षेत्र की लाल मिट्टी में संसाधन संरक्षण और उत्पादकता बढ़ाने के लिए वैलिड टेक्नोलॉजी पर क्षेत्र प्रदर्शन पूरे जोरों पर चल रहे हैं. आडियल चारा ग्राम जैसे कई आउटरीच कार्यक्रम तीन गांवों का समूह, मेरा गांव मेरा गौरव (एमजीएमजी), राष्ट्रीय चारा प्रौद्योगिकी प्रदर्शन पहल (NIFTD), भदावरी भैंसों पर नेटवर्क परियोजना, आम के बागों में सहभागी चारा उत्पादन, किसान प्रथम कार्यक्रम, निक्रा, टीएसपी, एससीएसपी, एनईएच, डीएफआई-किसान मित्र और NIAFTA शुरू किया है.

क्या है NIAFTA
संस्थान ने देश के प्रत्येक राज्य क्षेत्र के लिए एक चारा संसाधन विकास योजना तैयार करने के लिए “चारा टेक्नोलॉजी अपनाने के लिए राष्ट्रीय पहल (NIAFTA)” की शुरुआत की है, जो खास क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है, चारा उत्पादन और उपयोग में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए उपलब्ध संसाधनों की क्षमता का उपयोग कर सकते हैं. NIAFTA का उद्देश्य नीति नियोजकों, प्रबंधन कर्मियों और क्षेत्र स्तर के अधिकारियों के साथ नए रिसर्च रिजल्ट, टेक्नोलॉजी का विस्तार करना है, ताकि देश की चारा उत्पादकता, क्षमता निर्माण और उभरती टेक्नोलॉजी पर चारा उत्पादकों और पशुपालकों के कौशल में इजाफा किया जा सके.

IGFRI की टेक्नोलॉजी

300 जारी की गई चारा किस्मों की संख्या.

बारिश आधारित स्थिति के तहत जलवायु अनुकूल चारा उत्पादन प्रणाली.

वर्ष भर चारा उत्पादन प्रणाली (सिंचित स्थिति).

पूरे साल चारा उत्पादन प्रणाली (वर्षा आधारित स्थिति).

खेत की सीमा, बांध नहरों पर चारा उगाने की विधि.

वैकल्पिक भूमि को इस्तेमाल करने की प्रणाली.

बंजर भूमि के लिए सिल्वो-चारागाह मॉडल.

वर्षा आधारित ईको सिस्टम में उच्च आय के लिए बागवानी-पशुधन मॉडल.

पशुधन उत्पादन के पोषण के लिए साइलेज.

सामुदायिक चारागाह विकास.

आम के बागों में चारा उत्पादन.

घास और खेती किए जाने वाले चारे की उन्नत किस्में.

सभी महत्वपूर्ण चारा के लिए बीज उत्पादन तकनीक.

चारा फसलों के बीज की गुणवत्ता और खेत मानक.

चारा फसलों के लिए डीयूएस दिशानिर्देश.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

bull breed, cow breed, breeder, bull breeder, cow milk,
पशुपालन

Animal Husbandry: ब्रीडर सांड की ऐसे की देखभाल तो AI के लिए हजारों रुपये का बिकेगा सीमेन

इसके लिए जरूरी है कि ब्रीडर सांड की अच्छी तरह से देखरेख...