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Poultry: अब पाकिस्तान भी इंपोर्ट करेगा GM सोयाबीन, इंडियन पोल्ट्री कारोबारी अभी भी लगा रहे गुहार

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पोल्ट्री फॉर्म में चूजे. live stock animal news

नई दिल्ली. इंडियन पोल्ट्री सेक्टर विश्व पोल्ट्री में एक अहम स्थान रखता है. अंडा उत्पादन में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है. एक रिपोर्ट के मुताबिक सबसे सस्ता अंडा भारत में बिकता है. बावजूद इसके पोल्ट्री फार्मर और कारोबारी दोनों पोल्ट्री फीड की परेशानी से गुजर रहे हैं. पोल्ट्री एक्सपर्ट के मुताबिक ये परेशानी पोल्ट्री फीड में शामिल होने वाली मक्का और सोयाबीन से जुड़ी हुई है. फीड में इस्तेमाल होने वाले ये दोनों ही अनाज के रेट ने पोल्ट्री बाजार का बजट बिगाड़ दिया है. डिमांड के मुताबिक फीड के लिए वक्त पर माल भी नहीं मिल पा रहा है. इसी के चलते पोल्ट्री सेक्टर लगातार केन्द्र सरकार से जीएम मक्का और सोयाबीन इंपोर्ट करने की अनुमति मांग रहा है.

पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी पोल्ट्री फार्मर यही डिमांड कर रहे थे. जिसे दो दिन पहले ही पाकिस्तान ने मान लिया है. अब भारत के सभी पड़ोसी मुल्क जैसे नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश और पाकिस्तान में पोल्ट्री फीड कारोबारियों को जीएम सोयाबीन इंपोर्ट करने की अनुमति है. जबकि देश में पोल्ट्री कारोबारी बीते करीब डेढ़ साल से लगातार ये मांग करते आ रहे हैं. पोल्ट्री कारोबारियों का कहना है कि जीएम मक्का-सोयाबीन इंपोर्ट करने की अनुमति हम पहली बार नहीं मांग रहे हैं. साल 2021 में भी सरकार ने जीएम सोयाबीन इंपोर्ट करने की अनुमति थी. पोल्ट्री सेक्टर को राहत देने और एक्सपोर्ट मार्केट में उसे आगे बढ़ाने के लिए अब ऐसा करना जरूरी हो गया है.

इंपोर्ट करने की इसलिए चाहिए अनुमति- रिकी थापर
पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के कोषाध्यक्ष रिकी थापर ने बताया कि पाकिस्तान द्वारा जीएम सोयाबीन के आयात की अनुमति देना पाकिस्तान पोल्ट्री पशुधन और एक्वा सेक्टर के लिए बहुत अच्छी खबर है. क्योंकि इससे फीड लागत को कम करने और अमेरिकी सोयाबीन इस्तेमाल करके अच्छी क्वालिटी वाला फीड बनाने में मदद मिलेगी. देश में भी हमारी संस्था समेत देशभर की तमाम पोल्ट्री एसोसिएशन संबंधि‍त मंत्रालय और अधिकारियों से जीएम मक्का और जीएम सोयाबीन इंपोर्ट करने की अनुमति मांग रही हैं. जिससे देश में फीड की लागत को स्थिर किया जा सके और स्थानीय बाजार की निर्भरता को कम किया जा सके. भारतीय पोल्ट्री सेक्टर हर साल 7 से 8 फीसद की रेट से बढ़ रहा है, लेकिन कृषि क्षेत्र में ये रेट सिर्फ 1 से 2 फीसद ही है. इसलिए आने वाले वक्त में मक्का और सोयाबीन की कमी होगी, जिसके चलते पोल्ट्री, पशुधन और एक्वा सेक्टर में फीड की लागत बढ़ जाएगी.

CII भी मक्का आयात करने की कर चुका है सिफारिश
फीड के दाम को लेकर पोल्ट्री सेक्टर में चल रही उथल-पुथल को देखते हुए कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) भी एक साल पहले केन्द्र सरकार से जीएम मक्का आयात करने की अनुमति देने की सिफारिश कर चुका है. बीते साल 30 अक्टूबर को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान सीआईआई ने सोयाबीन का उत्पादन बढ़ाने के लिए भी उचित कदम उठाने की मांग की थी. सीआईआई का कहना है कि पोल्ट्री सेक्टर हर साल सात से आठ फीसद की दर से बढ़ रहा है. अगर इसे सहयोग मिले तो ये और तेजी से बढ़ सकता है. गौरतलब रहे अभी तक फूड और फीड में शामिल मक्का को अब फ्यूल यानि इथेनॉल में शामिल कर लिया गया है. इसके बाद से मक्का के दाम में बड़ा परिवर्तन देखा जा रहा है.

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