नई दिल्ली. पोल्ट्री फार्मिंग में ब्रॉयलर मुर्गों को फॉर्म में पालकर बेचा जाता है. इससे पोल्ट्री फार्मर को अच्छी कमाई होती है. ब्रॉयलर मुर्गे फार्म से बेचे जाते हैं और फिर ये दुकानों पर पहुंचते हैं और वहां इनके मीट को बेचा जाता है. तंदूरी चिकन और घरों में इस्तेमाल होने वाले मीट इन्हीं मुर्गों से हासिल किए जाते हैं. पोल्ट्री एक्सपर्ट का कहना है कि तकरीबन 40 दिन में इनका वजन एक हजार किलोग्राम से 1400 किलोग्राम तक हो जाता है और ये बेचने के लिए तैयार हो जाते हैं. जबकि इसको बेचकर पोल्ट्री फार्मर्स को अच्छी कमाई होती है.
वहीं इसके बाद भी अगर इन्हें फार्म में रखा जाता है तो इनका वजन और ज्यादा बढ़ता जाता है. बहुत ज्यादा वजनदार मुर्गे अच्छे नहीं मानें जाते हैं और उनका दाम कम हो जाता है. क्योंकि उनमें मृत्युदर ज्यादा दिखाई देती है. बढ़ती उम्र के साथ ये सुस्त पड़ जाते हैं और दाना-पानी नहीं खाते पीते हैं. इसके चलते उनकी मौत भी हो जाती है. आपको यहां ये भी बता दें कि पोल्ट्री फार्म का बिजनेस काफी हद तक टेंपरेचर पर निर्भर करता है. जब चूजा फार्म में लाया जाता है तो टेंपरेचर अलग चाहिए होता है. जबकि बढ़ते हफ्तों के साथ टेंपरेचर डाउन करना पड़ता है.
पहले दो हफ्ते कितना होना चाहिए टेंपरेचर
एक्सपर्ट का कहना है कि कब कितना टेंप्रेचर रखना है, इस बात की जानकारी पोल्ट्री फार्मर को होना जरूरी है. तभी पोल्ट्री फार्मिंग के काम में फायदा मिलता है. जब फार्म के अंदर चूजे ले जाते हैं, तब फॉर्म का टेंपरेचर 34 डिग्री सेल्सियस रखा जाता है. इससे ज्यादा या इससे कम टेंपरेचर मुर्गों के लिए नुकसानदेह हो सकता है. इसलिए 34 डिग्री सेल्सियस टेंपरेचर बनाना पड़ता है. वहीं दूसरे हफ्ते पोल्ट्री फार्म का टेंपरेचर 30 डिग्री सेल्सियस मेंटेन करना चाहिए. मान लीजिए गर्मी ज्यादा है तब भी 30 डिग्री सेल्सियस टेंपरेचर रखना और ठंड ज्यादा है तब भी 30 डिग्री सेल्सियस टेंपरेचर फार्म के अंदर मेंटेन करना पड़ेगा.
तीसरे और चौथे हफ्ते के टेंपरेचर के बारे में जानें यहां
वहीं तीसरे हफ्ते में 2 डिग्री सेल्सियस टेंपरेचर कम किया जाना चाहिए और 28 डिग्री सेल्सियस टेंपरेचर की जरूरत ब्रॉयलर मुर्गों को होती है. जबकि चौथे हफ्ते में 24 डिग्री सेल्सियस टेंपरेचर रखना होगा. वहीं इससे ज्यादा अगर मुर्गों को पाला जा रहा है तो दो डिग्री सेल्सियस टेंपरेचर हर हफ्ते काम किया जाना चाहिए. आने वाले समय में गर्मी ज्यादा पड़ने वाली है. इसलिए टेंपरेचर का खास ख्याल रखना पड़ेगा. जब ज्यादा गर्मी पड़ेगी तो इस तरीके से टेंपरेचर को मेंटेन रखना पड़ेगा, नहीं तो मर्गों में मृत्युदर भी दिखाई दे सकती है.
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