नई दिल्ली. मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को मछली पालन करने के प्रति प्रेरित किया जा सके. इस योजना के तहत मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार ने क्लाइमेंट रेसीलिंएट कोस्टल फिशरमैन विललेज (सीआरसीएफवी) के रूप में समुद्र तट के करीब स्थित 100 तटीय मछुआरा गांवों की पहचान की है. पहचाने गए तटीय मछुआरा गांवों में जरूरत पर आधारित गतिविधियों के लिए सुविधाएं हैं जिनमें फिश ड्रायिंग यार्ड, मछली प्रोसेसिंग सेंटर, फिश मारकेट, फिशिंग जेट्टीस, आइस प्लांट, कोल्ड स्टोरेज और इमरजेंसी बचाव सुविधाएं जैसी सामान्य सुविधाएं शामिल हैं.
सरकार मत्स्यपालन विभाग की योजनाओं के माध्यम से बड़े पैमाने पर जलकृषि, विशेष रूप से सी वीड, खाद्य और ओर्नामेंटल फिश, बाइवाल्व आदि की मेरीकल्चर से क्लाइमेंट रेसीलिएन्ट आजीविका को बढ़ावा दे रही है. ताकि इसका फायदा मछुआ समाज के लोगों को मिल सके. इसके अलावा भाकृअनु परिषद-मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान द्वारा भारत सरकार की आर्थिक मदद से चल रहे रिसर्च, टेक्नोलॉजी विकास और क्षमता निर्माण के माध्यम से आईलैंड और समुद्री जलकृषि के बढ़ावा में योगदान दे रहे हैं. ताकि इससे फिशरीज सेक्टर से जुड़े लोगों को फायदा मिल सके और इनकम बढ़ सके.
मछुआरों का बायोमेट्रिक पहचान पत्र जारी होगा
भारतीय समुद्री क्षेत्र (विदेशी वेसल्स द्वारा मछली पकड़ने का विनियमन) अधिनियम, 1981 और सभी समुद्री राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मरीन फिशिंग एक्ट के रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में क्रमशः विदेशी वेसल्स और भारतीय वेसल्स द्वारा अवैध, अप्रतिबंधित, इल्लीगल, अनरिपोरटेड और अन रेगुलेटेड (आईयूयू) फिशिंग के कुछ रूपों को रोकने के प्रावधान हैं. इसके अलावा, फिशिंग वेसेल्स के रेजिस्ट्रेशन और लाईसेंसिंग के लिए वेब आधारित पोर्टल–रीएलक्राफ्ट, समुद्री मछुआरों को बायोमेट्रिक पहचान पत्र जारी करना और प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत सहायाता प्रदान किए जा रहे वेस्सल कम्यूनिकेशन एंड सपोर्ट सिस्टम भी आईयूयू फिशिंग की रोकथाम में मदद करती है.
मछुआरों को दी जा रही है ये अहम जानकारी
इसके अलावा, भारतीय मात्स्यिकी सर्वेक्षण (एफएसआई) देश भर के तटीय मत्स्यन गांवों में जागरूकता कार्यक्रम चला रहा है, ताकि मछुआरों को एफएओ-सीसीआरएफ (जिम्मेदार मात्स्यिकी के लिए आचार संहिता) और आईयूयू फिशिंग की रोकथाम की आवश्यकता के बारे में जानकारी मुहैया कराई जा सके. मत्स्यपालन विभाग भारत सरकार भी हिंद महासागर टूना आयोग (आईओटीसी) जैसे अंतरराष्ट्रीय निकायों के साथ सहयोग कर रहा है, जो हिंद महासागर क्षेत्र में आईयूयू फिशिंग को रोकने, निवारण और समाप्ति के लिए काम करता है.
Leave a comment