Home तकनीक Animal Water Management: गर्मी के मौसम में पशुओं में पानी की जरूरत कैसे पूरी हो, जानिए ये तरीके
तकनीक

Animal Water Management: गर्मी के मौसम में पशुओं में पानी की जरूरत कैसे पूरी हो, जानिए ये तरीके

बेसहारा गोवंश हाईवे से लेकर शहरों और गांवों की गलियों में घूमते हैं. यहां तक कि किसानों की फसलें खाकर उन्हें बर्बाद कर देते हैं. अब मध्य प्रदेश में ऐसे गोवंश के लिए सरकार ने कदम उठाए हैं
प्रतीकात्मक तस्वीर।

नई दिल्ली. इंसान हो या पशु, सभी को पानी की जरूरत होती है. पशुओं को हमेशा साफ पानी देना चाहिए. पशुओं को जो पानी दिया जा रहा है, उसमें यह ध्यान देना चाहिए कि पानी में कोई विषैला पदार्थ न हो. बीमारी पैदा करने वाले जीवाणु और कई प्रकार की परजीवियों के अंडे न हों. क्योंकि गंदा पानी पीने से पशुओं को कई तरह की बीमारी हो सकती है. जिसमें एथ्रेंक्स, गलाघोंटू, लंगडी और अपच जैसी बीमारियां भी शामिल हैं. पशु एक्सपर्ट कहते हैं कि गर्मियों में एक पशु को कम से कम तीन बार पानी पिलाना चाहिए. अगर पशु दिन में 5 लीटर दूध देता है तो उसे दिन भर 15 लीटर पानी पीने की जरूरत होती है.

पशुओं को अगर पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पिलाया गया, तो इसका असर उनकी सेहत पर दिखता है. वहीं दूध उत्पादन में भी असर पड़ता है. अगर पशु को जरूरत के मुताबिक पानी नहीं मिला तो उसकी दैनिक जरूरत पूरी नहीं होगी और इससे कई तरह की दिक्कतें भी होगी. आमतौर पर पशुपालक सोचते हैं कि पशुओं की पानी की जरूरत सिर्फ पीने के पानी से पूरी होती है, लेकिन यहां हम बताना चाहेंगे कि वह गलत हैं. पशुओं के शरीर में जितनी पानी की जरूरत होती है पीने के पानी के अलावा दो अन्य तरीके से भी पूरी की जा सकती है. एक्सपर्ट के मुताबिक आहार द्वारा और उपापचयी पानी के जरिए भी पशुओं के शरीर में पानी की जरूरत पूरी की जा सकती है. आइए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं.

पीने के पानी के जरिए: पशु अपनी आवश्यकता के मुताबिक अधिकांश भाग पानी पीकर पूरा करते हैं. अन्य स्रोतों से प्राप्त जल के बाद जो जरूरत रहती है उसे अपनी पशु पीने के पानी के जरिए पूरा कर लेते हैं. इसलिए जरूरी है कि पशु को समय-समय पर उनकी जरूरत के मुताबिक पानी दिया जाए. खास तौर पर गर्मी में पशुओं के शरीर में पानी की कमी न होने दिया जाए. इसका खास ख्याल पशुपालक रखें.

आहार के जरिए: पशुओं को जब रसदार हरे चारे प्राप्त होते हैं तो वह अपनी जरूरत का ज्यादातर पानी चारों द्वारा भी प्राप्त कर लेते हैं. शुष्क पशु यदि वर्षा ऋतु में हरी घासों पर निर्भर रहता है तो उनकी पानी की बहुत सी जरूरत इन्हीं चारों से पूरी हो जाती हैं. तब पशु बहुत कम पानी पीते हैं और उन्हें ज्यादा पानी की जरूरत भी नहीं होती है.

उपापचयी पानी क्या है: पशुओं के पानी की जरूरत उपापचयी जल से भी पूरी हो जाती है. शूगर के मेटाबोलिज्म से उनके भार का 60 प्रतिशत, प्रोटीन से 42 प्रतिशत तथा वसा से 100 प्रतिशत से भी अधिक पानी पैदा होता है. इसी तरह से प्रोटीन, वसा तथा शूगर के शरीर में सिंथेसिस से मेटाबोलिज्म से एक व्यक्ति जो 2400 कैलोरी ऊर्जा पैदा करता है, उसके शरीर में लगभग 300 मिली मेटोबोलिज्म जल उत्पन्न होता है. ज्यादातर पालतू पशुओं में उनकी आवश्यकता का 5-10 प्रतिशत तक जल उपापचय द्वारा प्राप्त होता हैं.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

पुंगनूर गाय दुनिया में सबसे खूबसूरत गायों में शामिल है. ये गाय दूध कम मात्रा में देती है. पुंगनूर गाय औसतन 1-3 लीटर दूध ही रोजाना दे पाती है. जबकि ये गाय प्रत्येक दिन करीब पांच किलो चारा खा जाती है.
तकनीक

Andhra Pradesh Cattle: आंंध्र प्रदेश की पहचान हैं गाय और नंदी की ये नस्लें, बेहद फेमस है पुंगनूर

पुंगनूर गाय दुनिया में सबसे खूबसूरत गायों में शामिल है. ये गाय...

हाथी मोबाइल क्लीनिक में अभी तक 50 से अधिक हाथियों का सफल स्वास्थ्य परीक्षण किया गया है. यह शिविर काज़ीरंगा नेशनल पार्क एवं टाइगर रिज़र्व और मेरापानी फॉरेस्ट डिवीजन में गश्त और वन्यजीव संरक्षण कार्यों में शामिल हाथियों के लिए विशेष रूप से हुआ था.
तकनीक

अब हाथियों को तुरंत मिलेगा ट्रीटमेंट, देश का पहला ‘हाथी सेवा मोबाइल क्लीनिक’ शुरू

नई दिल्ली। वन्य जीव संरक्षण संस्था वाइल्डलाइफ एसओएस ने हाथियों के संरक्षण...

live stock animal news
तकनीक

Start-Up: अब डेयरी-फिशरीज सेक्टर को तरक्की देंगे स्टार्टअप, यहां होगा ग्रैंड चैलेंज

इस ग्रैंड चैलेंज में शामिल होने वालों को पशुधन, डेयरी और मत्स्य...