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Animal News: यूपी सरकार ने 543 गो आश्रय केंद्रों के निर्माण को दी मंजूरी, जानें दूसरे बड़े फैसले

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प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. ये बात फैक्ट है कि उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में गोवंश हैं. इनकी संख्या भी बढ़ रही है. वहीं उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार गायों के संरक्षण के लिए काम कर रही है. गौरतलब है कि सीएम योगी आदित्यनाथ का गायों को लेकर प्रेम पूरा देश जानता है. ऐसे में उन्होंने गायों के संरक्षण और उनकी बेहतर देखभाल को लेकर कई अहम फैसले किए हैं. ताकि गायों को किसी भी तरह की तकलीफ से बचाया जा सके. गायों को आरामदायक माहौल देने के लिए सरकार ने अपना खजाना खोल दिया है.

यूपी सरकार ने जहां अनुपूरक बजट मे गोवंशों की देखभाल और इससे जुड़े अन्य कामों के लिए हजार करोड़ का बजट जारी किया था तो वहीं एक बार फिर हाल ही में पेश किए गए बजट में भी 2 हजार करोड़ का बजट पेश किया और गायों की सेवा के प्रति अपनी सरकार की प्रतिबद्धता को दिखाया है.

बजट में 2000 करोड़ रुपये का प्रावधान
हाल ही प्रस्तुत बजट में सरकार ने छुट्टा गोवंश के संरक्षण के लिए 2000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया. इसके पहले अनुपूरक बजट में भी इस बाबत 1001 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था. यही नहीं बड़े गो आश्रय केंद्र के निर्माण की लागत को बढ़ाकर 1.60 करोड़ रुपये कर दिया है. ऐसे 543 गो आश्रय केंद्रों के निर्माण की भी मंजूरी योगी सरकार ने दी है. मनरेगा के तहत भी पशुपालकों को सस्ते में कैटल शेड और गोबर गैस लगाने की सहूलियत दी जा रही.

प्राकृतिक खेती के संबल बनेंगे गो आश्रय केंद्र
सरकार की मंशा है कि सभी गोआश्रय केंद्र अपने सह उत्पाद (गोबर, गोमूत्र) के जरिये स्वावलंबी बनें. साथ ही जन, जमीन की सेहत के अनुकूल इकोफ्रेंडली प्राकृतिक खेती का आधार भी. इससे गो आश्रय केंद्र को भी फायदा मिलेगा और किसानों को भी. मालूम हो कि वैश्विक महामारी कोरोना के बाद पूरी दुनिया स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हुई है. हर जगह स्थानीय और प्राकृतिक खेती से पैदा ऑर्गेनिक उत्पादों की मांग बढ़ी है। ऐसे उत्पादों का निर्यात बढ़ने से अन्नदाता किसान खुशहाल होंगे. खास बात यह है कि प्राकृतिक खेती से जो भी सुधार होगा वह टिकाऊ (सस्टेनेबल), ठोस और स्थायी होगा. इन्हीं वजहों के नाते योगी सरकार छुट्टा गोवंश के संरक्षण का हर संभव प्रयास कर रही है. हाल ही में महाकुंभ के दौरान इस विषय पर पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्रालय ने भी गहन चर्चा की. साथ ही इस बाबत रणनीति भी बनाईं.

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