नई दिल्ली. पशुपालन के क्षेत्र में आज देहात हो या शहर, सभी जगह पशुपालन किया जा रहा है. एक ऐसी ही नस्ल है जो देश के दो राज्यों में बेहद मशहूर है, ये है भदावरी भैंस. भदावरी भैंस यूपी और मध्य प्रदेश की एक देसी नस्ल है जो घी उत्पादन के लिए जानी जाती है. भदावरी भैंसें मध्यम आकार की होती हैं और इनके सींग नुकीले और अंदर की ओर मुड़े होते हैं.
पशुपालन करने वालों को ये बखूबी पता होगा कि अगर दूध में एसएनएफ और वसा ज्यादा है तो फिर दूध का दाम भी अच्छा मिलता है. क्योंकि ऐसा दूध क्वालिटी वाला माना जाता है. डेयरी कंपनियां ऐसे दूध से कई और प्रोडक्ट बना सकती हैं. जबकि दूध में इन खूबियों के होने से मोटी मलाई निकलती है और इससे घर पर भी घी और मक्खन निकाला जाता सकता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि पशुपालकों को चाहिए कि वो ऐसी नस्ल की भैंस का चयन करें जिसकी दूध की क्वालिटी अच्छी हो. एक बार क्ववांटिटी कम होगी तो चल जाएगा.
भदावरी भैंस के दूध में होती है बहुत वसा: भदावरी भैंस अपने दूध में अधिक वसा के लिए मशहूर है. भदावरी भैंस यमुना और चंबल के दोआब में पाई जाती है. प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश में पाई जाती है. यह आगरा के बाह, चकरनगर, और बारपुरा व इटावा ब्लॉक में पाई जाती है. इसका नाम आजादी से पहले भदावर रियासत के नाम पर पड़ा है.
ये होती है खासियत: भदावरी भैंस का शरीर मध्यम आकार व तिकोना होता है. यह आगे से पतली व पीछे से चौडी होती है. रंग काला तांबाई होता है, पैरों का रंग थोड़ा गेहुआ होता है, शरीर पर बाल कम होते हैं. इस भैंस के खुर काले होते हैं. इस भैंस के बछड़े बड़ों से हल्के रंग के होते हैं. आमतौर पर इनका रंग स्लेटी और हल्का स्लेटी होता है. दो सफेद धारिया होती है, जिसे ग्रामीण कंठी के नाम से पुकारते हैं.
भैंस के बछड़े की पहचान: निचले गर्दन पर होती है, सिर छोटा होता है. सींग काले व मुडी हुई हल्के से बहार की और निकले हुए होते हैं. आंखों की ऊपर बालों का रंग तांबाई रंग लिए होती है व काले पाया जाता है. खुर काले होते है, पूंछ लम्बी घनी होती है. कभी- कभी भूरी व सफ़ेद सिरे पर गुच्छे होते हैं.
दूध देने के लिए जानी जाती है ये भैंस: इसका अयन कूप छोटा और अल्प विकसित होता है. इस भैंस के थन नुकीले होते हैं. मादा का वजन 450-700 किग्रा होता है. इसका पहला गर्भधारण काल 920-1355 दिन का होता है. पहली ब्यात की उम्र 1335-1550 दिन होती है. इस नस्ल की दूध उत्पादन की बात की जाए तो सालभर में 700-1150 लीटर उत्पादन करती है. वसा 6.0-12.5 प्रतिशत होता है.
Leave a comment