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Fish Farming: तालाब में मछली की ग्रोथ के लिए जरूरी है अच्छी फीड, कैसे करें उसका मैनेजमेंट, जानें यहां

फीड के एक भाग को पाउडर के रूप में तालाब के सतह पर छिड़कते हैं ताकि ऊपरी सतह पर रहने वाली मछलियों को पर्याप्त भोजन मिल सके.
प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली. मछली पालन आज अच्छी कमाई का बिजनेस बन गया है. अच्छी कमाई के लिए जरूरी है मछलियों की सेहत. मछली पालन में कुछ चीजों का ध्यान रखना जरूरी होता है. मछली पालन में पानी, फीड और खाद बहुत जरूरी होती है. तभी मछलियों की ग्रोथ जल्द बढ़ती है और इसका रिजल्ट भी अच्छा आता है. अच्छी ग्रोथ होने से मछलियों का बाजार में दाम भी अच्छा मिलता है. सरकार भी मछली पालन को बढ़ावा दे रही है और कई सारी स्कीमें चला रही है. मछली पालन में धैर्य रखना बेहद जरूरी है. एक अच्छे तालाब में पाली गई मछली पांच से छह महीने में प्रोडक्शन देना शुरू कर देती है. आइये जानते है फीड मैनेजमेंट के बारे में. इस आर्टिकल के जरिए फिश एक्सपर्ट के टिप्स से मछली पालन में अच्छी ग्रोथ मिलेगी और बिजनेस में भी अच्छी कमाई होगी.

मछली के फीड, फार्मिंग से जुड़ी कुछ चीजें हैं, जिनका ध्यान रखना जरूरी होता है. क्योंकि इसका सीधा संबंध मछलियों के प्रोडक्शन से होता है. अगर जरूरत के मुताबिक इसपर ध्यान दिया जाए तो फिर ​मछलियों की ग्रोथ बढ़ती है और मुनाफा ज्यादा होता है. आइए इसके बारे में जानते हैं. फीड मैनेजमेंट की बात करें तो रियरिंग तालाब में फीड के रूप में स्थानीय उपलब्ध खाद सामग्री जैसे धान का कुंडा, गेहूं का कुंडा, सरसों की खल्ली, फिश मील, सोयाबिन, विटामिन आदि का उपयोग किया जा सकता है.

पानी का मैनेजमेंट: मछली की सेहत के लिए पानी के बेहतर मैनेजमेंट की जरूरत होती है. नियमित रूप से खाद और चूने का प्रयोग तालाब में करते रहना चाहिए. तालाब की गहराई एक से डेढ़ मीटर भी रखनी चाहिए. जिन तालाबों में संचयन ज्यादा है उसमें पानी बदलते रहना चाहिए जिससे कि तालाब में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा बनी रहे.

वजन के मुताबिक दें फीड: फीड की मात्रा पल रही मछली के नमूना के टेस्ट के बाद औसत वजन, अनुमानित सरवाइवल प्रतिशत एवं कुल भार के वजन के अनुसार बढ़ाते हैं. पहले महीने में भोजन की शुरुआत के वजन का 8-10 प्रतिशत देते हैं और अगले दो महीने में मछली के वजन का 6-8 प्रतिशत देते हैं. हर दिन के कुल भोजन को 2 बराबर भाग में बांटते हैं और सुबह एवं शाम को एक वक्त में भोजन देते हैं. फीड के एक भाग को पाउडर के रूप में तालाब के सतह पर छिड़कते हैं ताकि ऊपरी सतह पर रहने वाली मछलियों को पर्याप्त भोजन मिल सके. अगर तालाब में ग्रास कार्प का संचयन है तो उसके लिए डकविड या डुमरी घास को खिलाते हैं.

छह से सात महीने में तैयार होती है फिश: 2-5 से.मी. की मछली 2-3 माह में बढ़कर 8-10 से.मी. को हो जाती है. वहीं फिंगर्स को तालाब से निकालने के लिए बेहतर है कि, बड़ी जाल का उपयोग करना चाहिए. इसका इस्तेमाल फसल निकालने के लिए सुबह में किया जाता है. आमतौर पर सरवाइवल 60-70 प्रतिशत होती है. जिसे बेहतर प्रबंधन से बढ़ाया जा सकता है. फिंगर्स को निकालना है तो एक दिन पहले खाना नहीं देना चाहिए.

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