Home पशुपालन Natural Farming: हरियाणा में प्राकृतिक खेती करने वालों की बढ़ रही भीड़, पढ़ें क्या कहते हैं आंकड़े
पशुपालनलेटेस्ट न्यूज

Natural Farming: हरियाणा में प्राकृतिक खेती करने वालों की बढ़ रही भीड़, पढ़ें क्या कहते हैं आंकड़े

livestock animal news
प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. प्राकृतिक खेती वक्त की जरूरत है. क्योंकि इसके कई फायदे हैं. एक्सपर्ट की मानें तो प्राकृतिक खेती से मिट्टी की उर्वरता को लंबे समय तक बचाए रखा जा सकता है. नेचुरल फार्मिंग पर्यावरण को स्वस्थ रखने में मदद करती है. इससे न सिर्फ किसानों की आय बढ़ती है बल्कि ये ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और रसायनों से होने वाले नुकसान को कम करने में भी बेहद ही मुफीद तरीका है. शायद इन बातों को हरियाणा के लोग समझ गए हैं. तभी तो यहां प्राकृतिक खेती करने वालों की भीड़ बढ़ गई है. आंकड़े तो इसी ओर इशारा कर रहे हैं.

आंकड़ों के मुताबिक हरियाणा के किसान प्राकृतिक खेती की ओर लौटने लगे हैं. इस बार 2.28 लाख एकड़ से ज्यादा रकबे के यह पिछले साल से करीब डेढ़ लाख ज्यादा हैं. वहीं सरकार ने एक लाख एकड़ में प्राकृतिक खेती का लक्ष्य रख 66.70 करोड़ रुपए का बजट तय किया है. कृषि विभाग ने अब तक 16 हजार 800 एकड़ का सत्यापन किया है. प्रदेश में वर्ष 1966 से पहले प्राकृतिक खेती बड़े स्तर पर होती थी, लेकिन बाद में फसलों में रासायनिक खादों का प्रयोग बढ़ा दिया है.

30 हजार रुपए मिलेंगे
पहले सरकार की योजना थी कि जो किसान 2 एकड़ या इससे ज्यादा भूमि पर प्राकृतिक खेती करता है, उसे देसी गाय खरीदने के लिए 25 हजार रुपए दिए जाते थे. अब एक एकड़ पर गाय खरीदने के लिए 30 हजार रुपए मिलेंगे. मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि कृषि विभाग ने अब तक 737 आवेदन वेरीफाई किया है. जबकि 26,442 आवेदन कैंसिल कर दिया है. फिलहाल 1,36,810 आवेदन लंबित हैं. पहले जांच जिला उप कृषि निदेशक के स्तर पर होती है, इसके बाद अन्य माध्यमों से जांच की जाती है.

ये सुविधा देती है सरकार
प्राकृतिक खेती के लिए किसानों को सरकार की ओर से 14.77 करोड़ रुपए दिए गए हैं. 492 देसी गाय खरीदने के लिए 1.23 करोड़, 2500 किसानों को को इम ड्रम खरीदने पर 75 लाख रुपए व 12.79 करोड़ रुपए की राशि प्रशिक्षण, गोष्ठी, किसान मेला आदि पर खर्च की गई है. वहीं किसान गुरुकुल कुरुक्षेत्र, हमेटी जीद, करनाल के घरौंडा और सिरसा के मांगियाना में प्रशिक्षण ले सकते हैं. मेरी फसल मेरा ब्योरा से जुड़ा प्राकृतिक खेती पोर्टल अप्रैल 2022 में लॉन्च किया था. कृषि विभाग वर्ष 2022 से अब तक 9707 प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दे चुका है.

बढ़ गई किसानों की आमदनी
प्राकृतिक खेती के प्रोडक्ट न केवल जहर रहित और गुणवत्ता से भरपूर होते हैं, जबकि ये बेहद ही पौष्टिक भी होते हैं. आईसीएआर के मोदीपुरम केंद्र के मार्गदर्शन में 16 राज्यों के 20 केंद्रों पर किए जा रहे रिसर्च में यह पाया गया कि गुणवत्ता की दृष्टि से जैविक उत्पाद, रासायनिक व जैविक मिश्रित दोनों से बेहतर रहे हैं. इसमें कम जुताई की जरूरत होती है. अगर बारिश ज्यादा हो जाए तो खेत में पानी लंबे समय तक जमा नहीं रहता. आइसीएआर के मुताबिक केवल रसायन न छोड़कर अगर कृतिक खेती के सभी उपाय अपनाए गए तो किसानों की आय में 2 से 7 गुना तक हो गई. रिपोर्ट के अनुसार शुरुआत के 2-3 सालों के बाद जैविक खेती में 18 फसलों में रासायनिक के बराबर या ज्यादा पैदावार मिली है. पर्यावरण के लिए भी लाभदायक है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

livestock animal news
पशुपालन

Animal Husbandry: अलग-अलग फार्म से खरीदें पशु या फिर एक जगह से, जानें यहां

फार्मों में अलग-अलग स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, इसलिए संक्रमण के प्रवेश...

livestock animal news
पशुपालन

Milk Production: ज्यादा दूध देने वाली गायों को हीट से होती है परेशानी, जानें क्या है इसका इलाज

उच्च गुणवत्ता-युक्त अधिक दूध प्राप्त होता है, लेकिन ज्यादा तापमान युक्त हवा...

ब्रुसेलोसिस ब्रुसेला बैक्टीरिया के कारण होता है जो मुख्य रूप से पशुधन (जैसे गाय, भेड़, बकरी) में पाए जाते हैं.
पशुपालन

Animal Husbandry: बरसात में पशुओं को इस तरह खिलाएं हरा चारा, ये अहम टिप्स भी पढ़ें

बारिश के सीजन में पशुओं को चारा नुकसान भी कर सकता है....

पशुपालन

CM Yogi बोले- IVRI की वैक्सीन ने UP में पशुओं को लंपी रोग से बचाया, 24 को मिला मेडल, 576 को डिग्री

प्रदेश सरकार के साथ मिलकर 2 लाख से अधिक कोविड जांच करवाईं....