नई दिल्ली. मछली पालन आज एक बड़ा बिजनेस बन गया है. मछली के मीट को बहुत ज्यादा पसंद किया जाता है. अगर आप भी मछली पालन करने की सोच रहे हैं तो जान लें कि ये बेहद ही फायदा पहुंचाने वाला सौदा आपके लिए साबित हो सकता है. एक हेक्टेयर के तालाब में आप कम से कम 10 टन मछली का उत्पादन कर सकते हैं और इससे आपको 10 लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है. सेहत से भरपूर मछली के मीट की बड़े पैमाने पर बिक्री होती है. मछली का बिजनेस आज एक ऐसा बिजनेस बन गया है जो हर मौसम में लगातार बना रहता है. एक्सपर्ट का कहना है कि मछली पालन करने के दौरान कुछ बातों का ख्याल रखना होता है, तभी इसमें ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाया जा सकता है.
मछली पालन के दौरान मछली के संचयन का समय क्या है. कब मछलियों खाना देना चाहिए. इन चीजों की जानकारी आपको हम इस आर्टिकल के जरिए दे रहे हैं. ये टिप्स अपनाकर आपकी मछली जबरदस्त ग्रोथ करेगी.
कब डालें बीज: मछली बीज डालते वक्त कुछ बातों का ख्याल रखना बेहद जरूरी है. मत्स्य बीज को सुबह पानी में छोड़ें और छोड़ते समय पानी का तापमान कम होना चाहिए. थैली के जल का तापमान तालाब के जल के तापमान के बराबर होना चाहिए. इसलिए, उस थैली को आधा घंटे तक तालाब के जल में डुबाकर रखें और बाद में मछली जल में छोड़ दें.
मछली को फीड देने का सही तरीका और समय
- मछली को फीड सुबह या शाम को पानी का तापमान कम होने पर देना चाहिए और आहार देते समय एक दिन में आधी मात्रा दें.
- संतुलित आहार में पोषक तत्वों करी कमी व जलीय प्रदूषण के कारण मछली में दुर्बलता आती है. इससे नुकसान होता है.
- आहार की दर मछली को उसके वजन का 5 फीसदी से 10 फीसद मात्रा के दर से आहार देना चाहिए.
- एक किलो कि मछली को 50 से 100 ग्राम आहार की जरूरत होती है. इस हिसाब से 1 हेक्टेयर के तालाब के लिए एक से 1.5 टन आहार प्रति वर्ष लग जाता है.
- कृत्रिम आहार में जीवों और वनस्पतियों का उपयोग किया जाता है.
- जूनोटिक्स आहार मछली का चूरा, झींगा का चूरा, रेशम के कीडों के बच्चे शामिल होते हैं.
- वनस्पतिजन्य आहार में मूंगफली की खली, सरसों की खली, सोयाबीन की खली और अधिक चावल का भूसा, गेहूं की भूसी 1:1 अनुपात में दिया जा सकता है.
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