नई दिल्ली. बकरी पालन (Goat Farming) में बकरी के बच्चों से ज्यादा फायदा होता है. क्योंकि यही बच्चे आगे चलकर बेचे जाते हैं और बकरी पालकों को इससे एक मुश्त कीमत मिल जाती है, जो उनका शुद्ध फायदा होता है. हालांकि बकरी पालन में बकरी के बच्चों की मौत भी बहुत ज्यादा होती है. उनमें मृत्यु दर के चलते नुकसान भी ज्यादा होता है. इसलिए उनकी देखभाल पोषण का ख्याल रखना भी बेहद जरूरी होता है, नहीं तो जिस फायदे की उम्मीद में बकरी पालन किया जाता है, वह नुकसान में तब्दील हो सकता है.
भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) के मुताबिक बकरी के बच्चों का ध्यान बहुत सावधानी के साथ रखना चाहिए. इस आर्टिकल में IVRI के एक्सपर्ट ने लाइव स्टक एनिमल न्यूज (Livestock Animal News) को बताया कि 0 से 3 महीने की उम्र वाले बच्चों का किस तरह से पोषण प्रबंधन किया जाना चाहिए. आइए इस बारे में डिटेल से जानते हैं.
कब क्या देना चाहिए
बच्चों की उम्र जब 7 दिन की हो और उसका भार 1 से 3 किलो हो तब मां के दूध के साथ उसे कुछ और देने की जरूरत नहीं है. सिर्फ बकरी के बच्चे की इच्छा अनुसार उसे मां का दूध मिलना चाहिए.
इसी तरीके से जब उसकी उम्र 8 से 30 दिन के बीच की हो तब उसका वजन 3 से 5 किलो हो जाएगा. तब उसे मां का दूध 200 से 300 मिली लीटर देना चाहिए. हरा चारा और क्रीप आहार उसे उसकी इच्छा के अनुसार देना चाहिए.
जब बच्चा 31 से 60 दोनों का हो जाए तब उसका वजन 5 से 7 किलो तक हो जाता है. इस वक्त उसे मां का दूध 300 से 400 मिलीलीटर चाहिए होता है. हरा चारा अगर वह खाए तब देना चाहिए. क्रीप आहार 100 से 150 दे सकते हैं.
इसी तरीके से जब बकरी के बच्चे की उम्र 61 से 90 दिन के बीच हो जाए तो उसका शारीरिक भर 6 से 10 किलो हो तो मां का दूध 200 मिलीलीटर, हरा चारा उसकी इच्छा के अनुसार और क्रीप आहार 150 से 200 देना चाहिए.
निष्कर्ष
अगर बकरी के बच्चों का इस तरह से आप ख्याल रखते हैं और उन्हें उनकी जरूरत के मुताबिक पोषण देते हैं तो उनका वजन भी तेजी के साथ बढ़ेगा और जिससे आपको बकरी के बच्चे को बेचते हैं तो उस वक्त अच्छा दाम भी मिलेगा. इसलिए इन बातों का ध्यान रखना बेहद ही जरूरी है.
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