नई दिल्ली. हरियाणा पशु विज्ञान केंद्र, महेंद्रगढ़, लुवास, हिसार की ओर से बाढ़ के दौरान पशुओं को बचाने के लिए कुछ टिप्स जारी किए गए हैं. एक्सपर्ट ने बताया कि आपदा के दौरान पशुओं तुरंत ही सुरक्षित स्थान पर ले जाएं. ऊंची जगह पर अपने पशुओं को रखने से बाढ़ के पानी से बचा जा सकता है. कोशिश करें कि आपदा के दौरान पशुओं को समूह में रखें. सुरक्षित स्थानों (जैसे ऊंचाई वाले स्थान तक पहुंचने के लिए रास्ता पहले से निर्धारित कर लेना चाहिए. डेयरी पशुओं को पानी की उचित व्यवस्था सुनिश्चित करें.
एक्सपर्ट डॉ. ज्योति शुंथवाल, डॉ. दविंदर सिंह, डॉ. आनंद कुमार पांडे और डॉ. सुजॉय खन्ना ने बताया कि बाढ़ के समय, पानी बह सकता है और उन्हें उचित पीने का पानी उपलब्ध कराना महत्वपूर्ण है. अगर स्वच्छ जल स्त्रोत संभव नहीं हैं तो, मानव मानकों के अनुसार अशुद्ध जल के आधिकारिक स्रोतों का उपयोग किया जा सकता है.
इमरजेंसी किट की पड़ेगी जरूरत
प्रत्याशित परिस्थितियों से निपटने की तैयारी के लिए रहने के लिए पहले से ही जरूरी किट तैयार रहना चाहिए.
जिसमे पशु प्रबंधन के उपकरण (जैसे हॉल्टर, नकेल वगैरह), दवाएं, साफ सफाई के लिए जरूरी सामान, सेल फोन, टॉर्च लाइट, पोर्टेबल रेडियो और बैट्रियां, बुनियादी प्राथमिक सहायता किट आदि होना चाहिए.
आपदा के दौरान होने वाले नुकसान से बचने के लिए पशुपालक अपने सभी पशुओ का इन्श्योरेंस जरूर कराएं.
महामारी के फैलाव की रोकथामः
आपदा के दौरान मरने वाले पशुओं की जल्द से जल्द निस्तारण की व्यवस्था करें. उन्हें खुले में जल पथ या मैदानों में न छोड़ें.
आपदा में बचे पशुओं की संख्या को पहचाने, ताकि आपदा में मर जाने वाले पशुओं की संख्या का पता चल सके.
संक्रमण प्रसार को रोकने के लिए सभी पशुओं को सभी संक्रामक बीमारियों के लिए टीकाकरण करें.
बाढ़ के पानी के बाद जल भराव के कारण परजीवियों की संख्या वृद्धि हो जाती हैं इसलिए पशुओं को आंतरिक व बाह्य परजीवी नाशक दवाइयां देना चाहिए। साथ ही ऐसे जल स्त्रोतों के बारे में ध्यान रखना चाहिए.
पशु प्रबंधनः
पशुओं को खुला रखा जाना चाहिए और उन्हें बांधना नहीं चाहिए ताकि अचानक आपदा की स्थिति में पशु स्वयं सुरक्षित स्थान तक जा सके.
यह भी सुनिश्चित करें कि आसपास बिजली के तार सुरक्षित हैं और ज्वलनशील सामग्री से दूर हैं.
बाढ़ जैसी आपदा के दौरान पशुओं की निगरानी रखे साथ ही पानी के स्तर और बाढ़ के प्रभाव का निरीक्षण करना जरूरी है.
स्थानीय चिकित्सा सेवाएं जैसे प्रशिक्षित चिकित्सा पेशेवरों को मदद के लिए तैयार रखना चाहिए.
उन्हें वेटरिनरियन चेक-अप कराना, सभी घायल जानवरों का तुरंत इलाज करना चाहिए और संभवतः इलाज में एंटीबायोटिक देना चाहिए.
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