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अभिनेत्री अदा शर्मा अचानक क्यों पहुंच गईं भालू और हाथियों के सेंटर में, रिफ्यूज टू राइड पर कह दी बड़ी बात

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हाथियों को चारा खिलातीं अभिनेत्री अदा शर्मा

नई दिल्ली. मशहूर बॉलीवुड अभिनेत्री अदा शर्मा ने हाल ही में आगरा और मथुरा स्थित वाइल्डलाइफ एसओएस के केंद्रों में अपना तीन दिवसीय दौरा संपन्न किया, जहां उन्होंने हाथी और भालू संरक्षण के उद्देश्य की पहल में सक्रिय रूप से भाग लिया. अपनी इस विज़िट के दौरान, अदा को मथुरा में मौजूद हाथी संरक्षण और देखभाल केंद्र, हाथी अस्पताल परिसर और आगरा भालू संरक्षण केंद्र में होने वाली गतिविधियों को करीब से जानने का अवसर मिला. अदा ने मथुरा में भारत के पहले हाथी अस्पताल का भी दौरा किया. यहां, उन्होंने बंदी हाथियों में होने वाली गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में जाना और घायल, बीमार और वृद्ध हाथियों के इलाज में विशेषज्ञ पशु चिकित्सा टीम के समर्पित प्रयासों को देखा. अस्पताल की अपनी यात्रा के दौरान,अदा ने वृद्ध मादा हथिनी जिंजर का नियमित चिकित्सा उपचार और लेजर थेरेपी भी देखा.

हाथी संरक्षण और देखभाल केंद्र में, अदा ने बचाव सुविधा में बचाए गए हाथियों के इतिहास के बारे में जाना. एक समय दुर्व्यवहार और क्रूरता का शिकार रहे इन हाथियों को वाइल्डलाइफ एसओएस के अथक प्रयासों की बदौलत जीवन जीने का दूसरा मौका मिला. संस्था के हाथी देखभाल विशेषज्ञों और पशु चिकित्सकों की टीम के साथ जानकारीपूर्ण सत्रों में शामिल होकर, अदा ने भारत में एशियाई हाथियों के सामने आने वाली महत्वपूर्ण चुनौतियों के बारे में जानकारी प्राप्त की. उन्होंने वाइल्डलाइफ एसओएस के प्रभावशाली ‘रिफ्यूज टू राइड’ अभियान के बारे में भी जाना, जिसका उद्देश्य भारत में हाथियों की सवारी के आकर्षण के पीछे की काली वास्तविकता के बारे में पर्यटकों को जागरूक करना है.

अदा ने रिफ्यूज टू राइड अभियान के बारे में भी जाना
स्लॉथ भालूओं के लिए दुनिया के सबसे बड़े बचाव और पुनर्वास केंद्र, आगरा भालू संरक्षण केंद्र पर अपना ध्यान केंद्रित करते हुए, अदा को भारत में ‘डांसिंग’ भालू व्यापार की कठोर वास्तविकताओं से अवगत कराया गया। वाइल्डलाइफ एसओएस ने इस क्रूर प्रथा का कैसे अंत किया और पुनर्वास केंद्र में रह रहे लगभग 100 बचाए गए स्लॉथ भालूओं को कैसे नया जीवन दिया. एक ओरिएंटेशन सत्र के बाद, अदा ने ग्रीन किचन सहित बचाव सुविधा का दौरा किया, जहां निवासी भालुओं के लिए पर्यावरण के अनुकूल खाना पकाने का काम किया जाता है. भालू संरक्षण केंद्र में रहते हुए, उन्होंने यमुना नदी पर नाव की सवारी का भी आनंद लिया, जहां उन्होंने पक्षियों को देखा. इसके अलावा,

जानवरों कोबचाने के लिए अदा करतीं है प्रेरित
अदा शर्मा ने कहा, “वाइल्डलाइफ एसओएस के केंद्रों का दौरा करना मेरे लिए एक सुखद अनुभव रहा है. मनुष्य के रूप में हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम वन्यजीवों पर होने वाले दैनिक अत्याचारों को रोकने के लिए जानवरों के प्रति सहानुभूति विकसित करें. मैं हर किसी को प्रोत्साहित करती हूं कि वे इन बचाए गए जानवरों को प्रत्यक्ष रूप से देखने के लिए इन सुविधाओं का दौरा करें और अपने परेशान कर देने वाले अतीत के बावजूद उनमें मौजूद गहन भावनाओं को पहचानें.

फूलकली के साथ की शाम की सैर
भालू और हाथी बचाव केंद्रों में रहते हुए, अदा ने विभिन्न वालंटियर गतिविधियों में भी भाग लिया, जहां उन्होंने भालुओं को दलिया वितरित किया और केंद्रों में हाथियों और भालूओं के लिए भोजन की व्यवस्था की. हथिनी सूज़ी के लिए भोजन की तैयारी करते समय उन्होंने फल काटे और सूज़ी स्मूथीज़ के महत्व के बारे में सीखा. उन्होंने हाथियों के खाने के लिए फीडर में चारा भी भरा. उन्होंने अपनी विज़िट का समापन वृक्षारोपण करके और यमुना नदी के किनारे हथिनी माया, एम्मा और फूलकली के साथ शाम की सैर के साथ किया.

सुरक्षा और पुनर्वास के महत्व को भी बढ़ाया
वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “अदा की आगरा और मथुरा में वाइल्डलाइफ एसओएस केंद्रों की यात्रा वन्यजीव संरक्षण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है. संस्था के अथक प्रयासों को समझ, उन्होंने न केवल हाथियों और स्लॉथ भालूओं के संरक्षण में सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में अपनी समझ को गहरा किया है, बल्कि उनकी सुरक्षा और पुनर्वास के महत्व को भी बढ़ाया है.

हाथियों-स्लॉथ भालू के संरक्षण में आने वाली चुनौतियों के बारे में जागरूक किया
वाइल्डलाइफ एसओएस की सह-संस्थापक और सचिव, गीता शेषमणि ने कहा, “स्वयंसेवी गतिविधियों में अदा की उत्साही भागीदारी इस बात का एक शक्तिशाली प्रदर्शन है कि कैसे उनके जैसी हस्तियां अपने प्रभाव का उपयोग अच्छे कार्यों के लिए कर सकती हैं. हमारी पहल में सक्रिय रूप से शामिल होकर और अपने विशाल दर्शकों के साथ अपने अनुभव साझा करके, अदा ने भारत में हाथियों और स्लॉथ भालू के संरक्षण में सामने आने वाली महत्वपूर्ण चुनौतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है.

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