नई दिल्ली. गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में कुत्तों में कृत्रिम गर्भाधान का सीमेन सेंटर खुलने जा रहा है. कुत्तों के लिए ये देश का पहला एआई सीमेन सेंटर होगा. इस सेंटर के खुलने से सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि अब कुत्तों के सीमेन का इस्तेमाल करके, नस्ल सुधार में मदद मिलेगी. वहीं दूर के स्थानों पर मौजूद कुत्तों के सीमेन का इस्तेमाल करके ब्रीडिंग किया जा सकता है. किसी भी खास नस्ल के कुत्ते का सीमेन लंबे समय तक संग्रहीत करके उपयोग किया जा सकता है. वहीं इससे लोग अपनी मनपसंद नस्ल का कुत्ता पैदा करा पाएंगे.
गडवासु में कुत्तों का सीमेन सेंटर खुलने के बाद हो सकता है कि सेक्सड सार्टेड पर भी काम किया जाए. अगर ऐसा होता है तो फिर लोगों अपनी पसंद से मेल या फिर फीमेल कुत्तों का जन्म करा सकेंगे.
इस विभाग को मिली ग्रांट
बता दें कि कुत्तों का सीमेन सेंटर खोलने के लिए गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय को 45 लाख रुपये का अनुदान मिला है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), नई दिल्ली, लुधियाना द्वारा अनुभवात्मक शिक्षण परियोजना (ईएलपी) के तहत कैनाइन सीमेन क्रायोप्रिजर्वेशन और एंडोस्कोपिक आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन यूनिट को मजबूत करने के लिए 45 लाख रुपये दिए गए हैं. ये ग्रांट पशु चिकित्सा स्त्री रोग और प्रसूति विभाग को दिया गया है, जो पशु प्रजनन के क्षेत्र में आईसीएआर द्वारा मान्यता प्राप्त एडवांसड फैकेल्टी ट्रेनिंग सेंटर (सीएएफटी) भी है.
हर तरह के कुत्तों का सीमेन होगा स्टोर
इस इकाई के विकास के लिए समूह के प्रमुख और प्रमुख वैज्ञानिक सह विभागाध्यक्ष डॉ. मृगांक होनपारखे ने बताया कि कुत्तों में एंडोस्कोपिक आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन (एआई) की पालतू जानवरों के मालिकों और प्रजनकों के बीच काफी मांग है. विभाग ने पहले ही कैनाइन सीमेन क्रायोप्रिजर्वेशन और एआई की प्रक्रियाओं को मानकीकृत कर दिया है. यह ग्रांट देश में अत्याधुनिक और अपनी तरह का पहला कैनाइन सीमेन बैंक विकसित करने में सक्षम होगा, जहां सामान्य और दुर्लभ नस्लों के सीमेन को फ्यूचर के प्रजनन उद्देश्यों के लिए संरक्षित किया जा सकता है.
कुलपति ने उपलब्धि पर जताई खुशी
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. जतिंदर पॉल सिंह गिल ने पूरी टीम को बधाई दी और जोर दिया पशुधन और पालतू जानवरों के मालिकों के लाभ के लिए और छात्रों की समझ और ज्ञान में सुधार के लिए ऐसी और नई सुविधाओं के विकास पर. डॉ. संजीव कुमार उप्पल, डीन पोस्ट ग्रेजुएट स्टडीज और इस परियोजना के नोडल अधिकारी ने इस प्रतिष्ठित अनुदान के लिए टीम को बधाई दी. जिससे पशु चिकित्सा छात्रों और श्वान चिकित्सकों को कुत्तों में वीर्य क्रायोप्रिजर्वेशन और कृत्रिम गर्भाधान की तकनीक सीखने में मदद मिलेगी.
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