नई दिल्ली. यह तो कहा जाता है कि पोल्ट्री फार्मिंग एक बेहतरीन व्यवसाय है लेकिन इसमें सफलता तभी मिलती है, जब इसकी मुकम्मल जानकारी पोल्ट्री फार्मर को होती है. पोल्ट्री फार्मिंग में फार्म मैनेजमेंट में क्या-क्या जरूरी चीज हैं, जिससे मुर्गियों की ग्रोथ अच्छी हो और उन्हें बीमारियों से बचाया जाए उन्हें किस तरह का फीड दिया जाए, इन तमाम चीजों की जानकारी होना चाहिए. पोल्ट्री एक्सपर्ट कहते हैं कि मुर्गी पालन में कई बातों का ख्याल रखना बेहद जरूरी होता है. उसमें से ही मुर्गी या चूजे को जहां पर रखा जाता है, उस जगह की जमीन पर कुछ चीजों को बिछाया जाता है. जिससे फंगस नहीं लगता.
पोल्ट्री एक्सपर्ट की मानें तो बिछावन का सही मैनेजमेंट मुर्गियों की सेहत के लिए बेहद ही अहम होता है. इससे पोल्ट्री फार्मिंग का मुनाफा भी बढ़ जाता है. इसलिए कभी भी बिछावन गीला हो तो उसे तुरंत ही बदल देना चाहिए. नहीं तो फंगस होने से मुर्गियों को बीमारियां लग सकती हैं और पोल्ट्री फार्मिंग के काम में नुकसान हो सकता है. एक्सपर्ट के मुताबिक कभी भी पुराने बिछावन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. इससे भी नुकसान हो सकता है.
इन बातों का जरूर रखें ख्याल
एक्सपर्ट कहते हैं कि बिछावन में कई चीजों का इस्तेमाल किया जाता है. ताकि वह सूखा और फंगस से फ्री रहे. इसमें सूखने की क्षमता ज्यादा होनी चाहिए. इसलिए चावल का छिलका बिछाया जाता है.
चावल का छिलका सस्ता और आसानी से उपलब्ध हो जाता है. जिससे पोल्ट्री फार्मिंग की लागत कम होती है. वहीं ये चूजों के लिए आरामदायक भी होता है. लकड़ी के बुरादे को भी बिछावन के तौर पर इस्तेमाल किया जाना चाहिए.
इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि बुरादा हमेशा ही सुखा लें. अगर गीला है तो ये पोल्ट्री फार्मिंग में फर्श बिछाने के काम नहीं आता. बुरादे में इस बात का भी ख्याल रखना चाहिए कि मोटे टुकड़े नहीं होने चाहिए. अगर मजबूरी हो तो गेहूं या धान की सूखी बड़ी घास भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
पोल्ट्री एक्सपर्ट के मुताबिक चावलों का सूखा छिलका सबसे बेहतर होता है. कुछ पोल्ट्री फार्म में बिछावन के तौर पर रेत का भी इस्तेमाल किया जाता है. यह तरीका गलत है. कभी भी रेत का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
सामान्य तौर पर सर्दी में पोल्ट्री फार्म पर अमोनिया गैस बनने की सबसे ज्यादा संभावना होती है. सर्दियों में बिछावन तीन इंच तक देने से अमोनिया कम बनती है.
अमोनिया के स्तर को कम करने के लिए फर्श में वजन के हिसाब से 5 फीसदी फिटकरी मिलाने से अमोनिया गैस 70 फीसदी तक कम हो जाती है. बिछावन में बैक्टीरिया का प्रभाव भी काफी कम हो जाता है.
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