नई दिल्ली. सरकार डेयरी व्यवसाय को बढ़ावा देने का काम कर रही है ताकि ज्यादा से ज्यादा रोजगार के अवसर खुलें. वहीं किसानों की इनकम को भी दोगुना किया जा सके. जबकि इससे दूध में दूध उत्पादन की स्थिति में और ज्यादा सुधार होगा. इस लिहाज से भी डेयरी व्यवसाय को बढ़ावा देना बेहद ही अहम है. असम में अमूल का डेयरी प्लांट लगाने को लेकर कैबिनेट ने जमीन के मंजूरी दे दी है. कैबिनेट की ओर से अमूल को राज्य में डेयरी प्लांट स्थापित करने का जो फैसला लिया गया है, उससे यहां डेयरी सेक्टर को बहुत मजबूती मिलेगी. जिसका फायदा राज्य के पशुपालकों को भी सीधे तौर पर मिलेगा.
कहा जा रहा है कि इस क्षेत्र में अभी भी बहुत सी संभावनाएं बाकी हैं, इसलिए इसे और अधिक निवेश और लगातार ध्यान की आवश्यकता है. इन व्यवस्थाओं के तहत, AMUL को रानी में एक आधुनिक उत्पाद डेयरी प्लांट शुरू करने के लिए 20 बीघा जमी पट्टे पर दी जाएगी. जिसकी क्षमता प्रति दिन 1 लाख लीटर दूध प्रोसेसिंग की होगी. इस प्लांट से लगभग 20 हजार डेयरी किसानों को लाभ होगा और यह स्थानीय युवाओं के बीच उद्यमिता विकास में मदद करने की उम्मीद है.
राज्य में है डेयरी सेक्टर में बहुत संभावनाएं
सरकार की ओर से कहा गया है कि राज्य में डेयरी सेक्टर को लेकर बहुत संभावनाएं हैं. उन्हीं संभावानाओं को भुनाने के लिए अमूल के डेयरी प्लांट के लिए जमीन की मंजूरी दी गई है. अब बहुत से समर्पित उद्यमी इस व्यवसाय में अपना सहयोग कर सकते हैं. जिससे राज्य में डेयरी सेक्टर को मजबूती मिलेगी और इसका फायदा किसानों को मिलेगा. हालांकि सरकार ने माना है कि बड़े पैमाने पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण की जरूरत है जो उभरते उद्यमियों के लिए फायदे के दरवाजों को खोल दे और देश विकास राष्ट्र की ओर मजबूती से कदम बढ़ाए.
राज्य में बेरोजगारी दूर करने में मिलेगी मदद
सरकार ने माना है कि बढ़ती बेरोजगारी को डेयरी और संबद्ध क्षेत्रों में जुड़ाव के माध्यम से काफी हद तक कम किया जा सकता है. देश भर में कई ऐसी मिसालें हैं जहां डेयरी फार्मिंग ने दूध उत्पादन में लगे हजारों परिवारों की जिंदगी को वैज्ञानिक तरीके से बदल दिया है. जिससे रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं. ग्रामीणों की आय स्तर में सुधार हुआ है और लोगों के पोषण मानकों में वृद्धि हुई है. ऐसे परिवर्तनों के लिए, राज्य सरकार को बाजार संबंधों जैसे मामलों में सुविधा देने वालों के रूप में कार्य करना होगा. एक ऐसे राज्य में जहां आत्म-उद्यमिता को कम प्रोत्साहन मिलता है, बेरोजगार स्थानीय युवाओं द्वारा उद्यमिता को बढ़ावा देने की तत्काल आवश्यकता है.
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