नई दिल्ली. पोल्ट्री फीड के लिए पोल्ट्री संचालकों की पहली पसंद मक्का है. एक आंकड़े के मुताबिक देश में पोल्ट्री फीड के लिए 70 फीसदी तक मक्का का इस्तेमाल किया जा रहा है. एक्सपर्ट के मुताबिक क्का में वो तमाम गुण हैं जो पोल्ट्री फीड के लिए जरूरी हैं. इस वजह से पोल्ट्री कारोबारी फीड के तौर पर मक्का ही देना पसंद करते हैं. हालांकि मौजूदा वक्त में मक्का से इथेनॉल बनाया जा रहा है. इसके चलते इसके दाम ने आसमान छूना शुरू कर दिया है. इसके चलते पोल्ट्री कारोबारियों के सामने दिक्कत ये है कि वो महंगा मक्का कैसे खरीदें. आपको बताते चलें कि पंजाब के लुधियाना स्थिति गडवासु में इसी को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है.
गडवासु की ओर से शेयर की गई जानकारी के मुताबिक 11 मई को आयोजित हो रही इस कार्यशाला में देशभर एक्सपर्ट इकट्ठा हो रहा है. इस कार्यशाला का मुख्य मकसद यही है कि पोल्ट्री फीड के तौर पर मक्का का विकल्प तलाश किया जाए. मक्का का विकल्प क्या हो सकता है. मक्का से ये सस्ता हो और इसके अंदर भी वो तमाम गुण हों जो मक्का में है, ताकि पोल्ट्री फीड की तमाम जरूरतें पूरी की जा सकें. इन तमाम बिंदुओं पर चर्चा होगी. बता दें कि 11 मई को 11 बजे उद्घाटन सेशन में 6 और टेक्निकल सेशन में भी 6 गेस्ट इस विषय पर अपनी राय रखेंगे.
पोल्ट्री फीड के दाम 15 फीसदी तक बढ़े हैं
गौरतलब है कि पोल्ट्री सेक्टर में फीड पर टिका हुआ है. फीड से मतलब मक्का और सोयाबीन से है. जबकि बार-बार पोल्ट्री फीड के दाम में इजाफा होता चला जा रहा है. दूसरी ओर पोल्ट्री प्रोडक्ट के दाम में इतना ज्यादा इजाफा नहीं होता है. मौजूदा वक्त में मक्का से इथेनॉल बनाया जा रहा है. इसके चलते इसके दाम ने आसमान छूना शुरू कर दिया है. वहीं इसको लेकर पोल्ट्री फेडरेशन का कहना है कि उन्हें किसानों को मिले रहे अच्छे रेट से कोई दिक्कत नहीं है. वो चाहते हैं कि किसानों को अच्छा दाम मिले. हालांकि इसके दूसरे पहलू पर गौर करें तो पोल्ट्री कारोबार से जुड़े 10 हजार के करीब छोटे किसानों को मुश्किल हो रही है. सरकार को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए. बीते कुछ साल में ही पोल्ट्री फीड के दाम में 10 से 15 फीसदी का इजाफा हुआ है.
जीएम मक्का की खेती की मांगी है इजाजत
फेडरेशन से जुड़े लोगों का कहना है कि सरकार से हमारी मांग है कि वो जीएम मक्का की खेती करने की इजाजत दे. ऐसे में पैदावार ज्यादा होगी तो फूड, फीड और फ्यूल सभी की जरूरत को पूरा किया जा सकता है. पोल्ट्री फेडरेशन के अध्यक्ष रनपाल डाहंडा कहते हैं कि सरकार को पोल्ट्री फार्मर की पीड़ा और पोल्ट्री सेक्टर की जरूरत को समझना होगा. इस वक्त भारत दुनिया में अंडा उत्पादन करने के मामले में पांचवीं पोजिशन पर है. पोल्ट्री एक्सपर्ट इस बात को मानते हैं कि इंडियन पोल्ट्री का इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत मजबूत है और जब चाहे उत्पादन को जरूरत के हिसाब से बढ़ा सकता है.
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