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पशु पालक खुद पता कर सकते हैं बकरियों की बीमारी, ऐसे पता करें डायरिया, कीड़े और इंफेक्शन के बारे में

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प्रतीकात्मक फोटो: livestockanimalnews

नई दिल्ली. मॉनसून में हरा चारा बेहिसाब मिलता है. पशुओं को पशु पालक हरा चारा खूब खिलाते हैं. हालांकि एक बार जो ध्यान देने वाली होती है वो ये है कि हरे चारे में इस दौरान नमी बहुत होती है. इसके चलते डॉक्टर सलाह देते हैं कि मॉनसून में पशुओं को हरा ज्यादा नहीं खिलाना चाहिए. हालांकि जो खिलाते हैं उन्हें कुछ ऐहतियात बरतने की भी पशुओं के डॉक्टर सलाह देते है. ऐसा इसलिए कहा जाता है कि क्योंकि मॉनसून में हरा चारा ज्यादा खाने की वजह से पशुओं में डायरिया की बीमारी होने का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है. जबकि अक्सर पशु दूषित पानी पी लेते हैं तो पेट में कीड़े होने संभावना भी बहुत ज्यादा बढ़ जाती है. हालांकि अब यदि बकरी पालक हैं तो उसकी मेंगनी और उसकी आंखों को देखकर दोनों ही बीमारी के बारे में पता लगा सकते हैं.

एक्सपर्ट कहते हैं कि भेड़-बकरी में दिखने वाले यह दो सामान्य लक्षण हैं, जिनकी पहचान पशुपालक कर सकता है और उसके आधार पर उनका इलाज भी करवा सकता है. इस संबंध में केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के एक्सपर्ट कहते हैं कि बकरी के यूरिन में होने वाले बदलाव से भी बीमारियों का पता चलता है. क्योंकि बकरी पालन में पशुपालक को सबसे ज्यादा नुकसान बकरियों की मृत्यु से होता है. जबकि इस बीमारी के चलते कभी-कभी भेड़-बकरी की मौत भी हो जाने का खतरा रहता है. एक्सपर्ट का कहना है कि अगर छोटी-छोटी बातों पर गौर किया जाए और बकरियों की लगातार निगनानी की जाए तो बकरियों को होने वाली बीमारी का समय रहते पता लगाया जा सकता है.

कैसे आंख में देखकर लगाए बीमारी का पता

सीआईआरजी के प्रिंसीपल साइंटिस्ट डॉ. आरएस पवैया कहते हैं कि आप घर ही बकरी के पेट में पड़े कीड़े के बारे में पता लगा सकते हैं. ये जरूरी नहीं कि डॉक्टर के पास ले जाएं. कहा कि जैसे भेड़-बकरी के अंदर हिमोकस नाम का पैरासाइड आ जाता है और तो सबसे पहले भेड़-बकरी की आंखों में बदलाव होता है. होता ये है कि हिमोकस पैरासाइड भेड़-बकरी का खून चूसता है. जब यह खून चूसने लगता है तो इसकी संख्या भी इजाफा होने लगता है. जबकि स्वस्थ भेड़-बकरी की पहचान ये है कि उनकी आंखें एकदम से चमकीली लाल-गुलाबी होती हैं. दूसरी ओर जब उनके पेट में हिमोकस है तो आंख हल्की गुलाबी हो जाती है. इसके साथ ही जैसे-जैसे हिमोकस की संख्या बढ़ती है तो वो खून चूसते हैं तो भेड़-बकरी की आंख सफेद होने लग जाती ळै. जिसका सीधा से मतलब यह है कि भेड़ या बकरी में खून की कमी हो गई है.

मेंगनी से पता इस तरह डायरिया का पता करें

वहीं डॉ. आरएस पवैया कहते हैं कि एक स्वस्थ बकरी गोल, चमकदार और सॉलिड मेंगनी ही करती है. जिसका मतलब साफ है कि वो बिल्कुल ठीक है. जबकि दूसरी ओर बकरी की मेंगनी आपस में चिपकी हो गुच्छे की शक्ल ले ले तो यहां फौरन अलर्ट हो जाने की जरूरत है. इसका संकेत ये है कि बकरी बीमार हो रही है. इसके अलावा बकरी की मेंगनी जब पेस्ट का रूप ले ले तो पशु पालकों को समझ लेना चाहिए कि उसे किसी न किसी तरह का इंफेक्शन हो गया है. या​ तो बकरी को डायरिया हो गया है. पशु पालकों ऐसी कंडीशन में ये करना चाहिए कि मेंगनी को एक जिप वाली पॉलीथिन में भरकर पशु चिकित्सा से जुड़ी किसी लैब में ले जाकर उसका टेस्ट कराना चाहिए.

यूरिन से कैसा पता करें बीमार है बकरी

वहीं एक्सपर्ट कहते हैं कि बकरी के यूरिन की निगरानी से भी बकरियों की बीमारी के बारे में पता चलता है. एक्सपर्ट की मानें तो पशुपालकों को ये पता होना चाहिए कि बकरी का यूरिन भूसे यानि हल्के पीले रंग का है तो वो सामान्य है. यदि अगर गहरे पीले रंग का यूरिन हो तो इसका मतलब बकरे-बकरी ने पानी कम पिया है. या फिर उन्हें डिहाइड्रेशन हो गया है. जबकि यह रंग और ज्यादा गहरा पीला हो जाए और उसमें लालपन आ जाए तो ये समझना चाहिए कि बकरी और बकरे के यूरिन की जगह पर कोई लग गई है. इसके अलावा यूरिन का कलर कॉफी जैसा हो जाए तो ये इस बात का संकेते है कि बकरी इंफेक्शन हो गया है.

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