नई दिल्ली. पशुपालन में पशुओं को चारे की जरूरत होती है. अगर पशुओं को हरा चारा न मिले तो इसका मतलब ये है कि पशु को जरूरी पोषक तत्व नहीं मिलेगा. जबकि इसका असर दूध उत्पादन और फिर पशुओं की सेहत पर भी पड़ता है. देश के कई इलाकों में हरे चारे का संकट ज्यादा है. जैसे राजस्थान में ही काल की स्थिति में पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था करना बहुत ही मुश्किल काम होता है. इसलिए पशुपालक को इसका विकल्प तलाशना पड़ता है. ऐसा न कर पाने पर पशुओं को दिक्कतें हो सकती हैं.
अगर आप भी पशुपालक हैं तो ये जानना आपके लिए बेहद ही जरूरी है कि काल में पशुओं को ऐसा क्या खिलाएं जिससे पशुओं को जरूर जरूरी पोषक तत्व मिल सकें.
क्या-क्या खिला सकते हैं जानें यहां
- अकाल की स्थिति में पेड़ों की पत्तियां सबसे महत्वपूर्ण वैकल्पिक आहार हैं. अकालग्रस्त क्षेत्रों में स्थानीय उपलब्धता के अनुसार अरडू, खेजड़ी, बबूल सुबबूल, पीपल, नीम, गूलर, बरगद, शहतूत आदि की पत्तियां पशुओं को खिलानी चाहिये. पत्तियों के साथ ही सेंजना, खेजड़ी आदि की फलियों को भी पशु आहार के रूप में उपयोग लिया जा सकता है.
- विभिन्न प्रकार की झाड़ियां जैसे बेरी, झरबेरी इत्यादि जो कि रेतीली भाग में बहुत मिलती हैं और इनके लिये पानी की अधिक जरूरत नहीं होती, प्रदेश में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है. इनकी कुट्टी बनाकर पशुओं की आहार जरूरत को पूरा किया जा सकता है.
- मूंज व कांस जो कि झोपड़ी बनाने और खेतों की मेड़ पर बाड़ बनाने में काम आती है, इनकी कोमल पत्तियों की कुट्टी बनाकर अकाल वाले क्षेत्रों में पशुओं को आहार के रूप में दिया जा सकता है. यदि शीरा उपलब्ध हो तो इन्हें शीरे के साथ मिलाकर खिलाना पशुओं के लिए फायदेमंद है.
- गोखरू के पौधे हरी एवं मुलायम अवस्था बेहद पौष्टिक होती है. जिन क्षेत्रों में गोखरू उपलब्ध हो उसे पशुओं को खिलाने के उपयोग में लिया जा सकता है.
- गन्ने का रस निकालने के बाद बचे वेस्ट को काटकर इसकी 4 किलोग्राम तक मात्रा वयस्क पशु को दी जा सकती है. बछड़ों के लिये इसमें शीरा एवं गेहूं का चापड़ मिलाकर इस्तेमाल में लेना चाहिए. व्यस्क पशुओं के लिये इसे बारीक काटकर उसे यूरिया-शीरे के मिश्रण से उपचारित कर सकते हैं.
- फलों एवं सब्जियों के बाइप्रोडक्ट फलों के बाइप्रोडक्ट जैसे सेब, संतरे एवं आम की छीलन, आम की गिरी, आदि ऊर्जा के अच्छे स्त्रोत हैं. सब्जियों के अवशेषों जैसे पत्तागोभी, फूल गोभी, मूली की पत्तियों, गाजर की पत्तियों आदि में प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है. इसलिए इन्हें भी अकाल के दौरान पशुओं को खिलाना फायदेमंद है.
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