नई दिल्ली. हरियाणा के विभानी में पशुपालन विभाग की ओर से ब्रुसेलोसिस टीकाकरण का अभियान शुरू कर दिया है. इस अभियान के तहत कटड़ियों व बछड़ियों को ब्रुसेलोसिस बीमारी से बचाने के लिए टीके लगाए जा रहे हैं. इसके तहत सभी 4 से 8 माह के कटड़ियों व बछड़ियों को ब्रुसेलोसिस के टीके लगाए जा रहे हैं. पशुपालन विभाग के उप निदेशक डॉ. रविंद्र सहरावत ने बताया कि ब्रुसेलोसिस एक खतरनाक बीमारी है. अगर लापरवाही बरती तो ये इंसानों में भी फैल सकती है. इसलिए पशुपालकों को भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए और समय से टीका लगवाना चाहिए.
पशु चिकित्सकों की मानें तो ब्रुसेलोसिस बीमारी पशुओं से इंसानों में भी फैल सकती है. इस बीमारी में इंसानों को बुखार, जोड़ों में दर्द यहां तक कि बांझपन के लक्षण भी आ जाते हैं और जो पशुपालक पशुओं की देखभाल करते हैं या पशु चिकित्सा क्षेत्र में लगे हैं, उन्हें यह बीमारी होने की अधिक आशंका बनी रहती है. एक बार टीकाकरण होने के बाद पशु में उसके पूरे जीवनकाल में यह बीमारी नहीं होती. इसीलिए यह टीकाकरण पशुओं के लिए जरूरी है.
इस बीमारी से तीन माह में हो जाता है गर्भपात
उपनिदेशक डॉ. रविंद्र सहरावत ने बताया कि कच्चे दूध या पशु के प्लेसेंटा से भी यह बीमारी फैलती है. उन्होंने बताया कि इस बीमारी में पशु ब्यात के अंतिम तीन माह में गर्भपात कर देता है.पशु चिकित्सक या वीएलडीए इस टीकाकरण को पूरी सुरक्षा के साथ करते हैं, क्योंकि यह जीवाणु आंखों या कहीं घाव हो, इससे शरीर में प्रवेश कर जाता है. यह संक्रमित पशु के सीधे संपर्क में आने से फैलता है.
टीका लगने के बाद नहीं होती फिर कभी बीमारी
उन्होंने बताया कि इस बीमारी को जड़ से मिटाने के लिए पशुपालन विभाग सभी 4 से 8 माह की कटड़ियों व बछड़ियों को टीकाकरण करता है. उन्होंने कहा कि एक बार टीकाकरण होने के बाद पशु में उसके पूरे जीवनकाल में यह बीमारी नहीं होती. इसीलिए यह टीकाकरण पशुओं के लिए जरूरी है.
इस बीमारी इंसानों में भी घट जाती है प्रजनन क्षमता
पशु चिकित्सक डॉ. विजय सनसनवाल ने बताया कि यह बीमारी बहुत ही घातक है. इस बीमारी से अकेले पशुओं में नहीं, इंसानों में भी प्रजनन क्षमता घटती है. पशुपालक पशु के ब्याने पर प्लैसेंटा को दस्ताने पहनकर ही उठाएं व उसे गड्डा खोद दबाएं. अगर किसी पशु में यह बीमारी हो जाए तो उसे अन्य पशुओं से अलग रखें.
ऐसे किया जाता है पंजीकरण
पशुपालन विभाग के उपमंडल अधिकारी डॉक्टर अशोक गुप्ता ने बताया कि सभी पशु चिकित्सकों को आदेश दिए गए हैं कि 4 से 8 माह कटड़ी व बछड़ी टीकाकरण से वंचित न रहें. उन्होंने बताया कि टीकाकरण के बाद कानों में टैग भी लगाया जाता है, इसके बाद मालिक का रजिस्ट्रेशन किया जाता है. मालिक के फोन पर ओटीपी आता है. पशुपालक से ओटीपी लेकर पशु का रजिस्ट्रेशन किया जाता है. इसमें पशु की फोटो भी अपलोड की जाती है.
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