नई दिल्ली. पशुओं में गलाघोंटू बीमारी बहुत ही खतरनाक बीमारी होती है. इस बीमारी का नाम वैज्ञानिक नाम हेमोरेजिक सेप्टिसीमिया भी होता है. ये बेहद खतरनाक बीमारी है, जिसमें पशुओं की मौत तक हो जाती है. पशु विशेषज्ञों का कहना है कि गलघोंटू बीमारी उन स्थानों पर पशुओं में अधिक होती है, जहां पर बारिश का पानी जमा हो जाता है. इस रोग के बैक्टीरिया गंदे स्थान पर रखे जाने वाले पशुओं तथा लंबी यात्रा या अधिक काम करने से थके पशुओं पर जल्दी हमला कर देते हैं. जबकि गंभीर बात ये भी है कि रोग का फैलाव बहुत तेजी से होता है. इस बीमारी को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश में पहले चरण में करोड़ों पशुओं को गला घोंटू बीमारी सये बचाने के लिए वैक्सीन लगाई जाएगी. इस वैक्सीन अभियान को पूरा करने के लिए 15 जुलाई तक का समय मिला है.
पशु विशषज्ञों की मानें तो हेमोरेजिक सेप्टीसीमिया (एचएस), मवेशियों और भैंसों की एक बहुत ही खतरनाक बीमारी है. कई जगहों पर इस बीमारी को गलघोंटू के अलावा ‘घूरखा’, ‘घोंटुआ’, ‘अषढ़िया’, ‘डकहा’ आदि नामों से भी जाना जाता है. जिसका वक्त रहते इलाज न किए जाने पर पशुओं की मौत होने से पशुपालकों को बहुत नुकसान उठाना पड़ता है. इसलिए जरूरी है कि इस बीमारी का वक्त से इलाज किया जाए.
15 जुलाई तक लगानी हैं करोड़ों वैक्सीन
पशु विशषज्ञों की मानें तो हेमोरेजिक सेप्टीसीमिया (एचएस), मवेशियों और भैंसों की एक बहुत ही खतरनाक बीमारी है. इस बीमारी से निजात पाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश में बड़े स्तर पर वैक्सीन लगाने का अभियान शुरू किया है. यूपी क 75 जिलों में करोड़ों की संख्या में पशुओं को निशुल्क वैक्सीन लगाई जाएगी. यूपी के एटा में शुक्रवार यानी सात जून—2024 को एटा के सीवीओ डॉक्टर अनिल कुमार सिंह ने बताया कि दुधारू पशुओं में गला घोंटू बीमारी होने से रोकने के लिए जनपद के 5.42 लाख गाय और भैंस जैसे दुधारू पशुओं को निशुल्क वैक्सीन लगाई जाएगी. एक से दो दिन के अंदर शासन से वैक्सीन डोज मिल जाएंगी. इसके अगले दिन से ही वैक्सीनेशन अभियान शुरू करा दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि जिले में गला घोंटू वैक्सीनेशन अभियान 15 जुलाई तक पूरा कराने के लिए सभी पशु चिकित्सकों एवं फार्मासिस्ट को लगाया जाएगा.
क्या है गलाघोंटू बीमारी के लक्षण
अगर गलाघोंटू बीमारी के लक्षण की बात की जाए तो एक्सपर्ट कहते हैं कि पशुओं में साथ-साथ घुर्र-घुर्र की आवाज आती है. पशु बहुत ज्यादा अवसाद में रहते हैं. मुंह से लार का बहना, नासिका स्राव, अश्रुपातन, गर्दन एवं झूल के साथ-साथ गुदा के आस पास (पेरिनियम) की सूजन रोग के सामान्य लक्षण दिखाई देते हैं. वहीं रोग की घातकता कम होने की स्थिति में निमोनिया, दस्त या पेचिस के लक्षण भी पशुओं में रहते हैं. इस बीमारी के लग जाने के बाद पशुओं की मौत के चांसेज बहुत ज्यादा होते हैं.
क्या है इस खतरनाक बीमारी का इलाज
एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि पशुओं में अगर ऐसी बीमारी लगे जो एक से दूसरे में प्रसार करती है तो तुरंत बीमार पशु को अलग बांधना चाहिए. वहीं गलाघोंटू रोग की भी पहचान होने पर तुरंत बीमारी पशु को बाकी पशुओं से अलग कर देना चाहिए. इतना ही नहीं बीमार पशुओं को साफ पानी, हरा चारा और पशु आहार खिलाना फायदेमंद होता है. अगर किसी वजह से पशु की जान चली जाती है, तो गड्ढे में नमक और चूना डालकर पशुओं को दफनायें. इससे अन्य पशुओं को बचाया जा सकता है.
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