नई दिल्ली. देश का किसान सिर्फ खेती पर निर्भर है, ये बात अब गुजरे जमाने की हो गई. अपनी आर्थिक स्थिति को ठीक करने के लिए किसान अब पशुपालन में भी किस्मत आजमा रहे हैं. यही वजह है देश में अभी पशु पालन तेजी से बढ़ रहा है. पशु पालन कई मायनों में फायदे का सौदा भी साबित हो रहा है. हालांकि कभी-कभी गलत जानकारी या अनभिज्ञता पशुपालकों को बड़ा नुकसान भी पहुंचा देती है. इसी में से एक है कि जब गाय-भैंस गर्भवती हो तो क्या खिलाएं और क्या न खिलाएं. खान-पान का असर पशु के बच्चे पर भी पड़ता है. कई बार तो ऐसा होता है कि अगर पशुओं को पौष्टिक खान—पान न मिले तो पशुओं के बच्चों पर भी इसका बुरा असर पड़ता है.
गर्भवती गाय-भैंस को क्या खिलाएं
जब आपकी गाय या भैंस गर्भवती है तो उसे पौषक तत्व खिलाएं. प्रतिदिन एक से डेढ़ किलो दाने का मिश्रण दें. इसके अलावा ब्यांत से कुछ समय पहले सामान्य खुराक में प्रतिदिन 100 मि.ली. कैल्शियम का घोल जरूर पिलाएं. वहीं पशुओं के ब्यांत के बाद उन्हें आसानी से पचने वाले आहार खिलाएं. इसमें गेहूं का चोकर, गुड़ और हरा जरूर दें. पशुपाल विशेष ध्यान दें कि ऐसे में समय में पशुओं को ठंडा पानी न पिलाएं.
दुधारू पशुओं को ये खिलाएं
दुधारू पशुओं को दलहनी चारे का मिश्रण खिलाना बेहद जरूरी है. ऐसा इसलिए करना चाहिए ताकि पांच लीटर दूध देने वाले पशुओं को केवल अच्छे प्रकार का हरा चारा खिलाकर दूध प्राप्त किया जा सकता है जबकि उससे ज्यादा दूध देने वाले जानवरों को आहार में हरे चारे के साथ ही दाना और खली लिखनी चाहिए. अगर गर्भवती गाय और भैंस को अंतिम तीन महीनों में 10-15 किलोग्राम हारा चारा खिलाना चाहिए. वहीं ब्यांत से करीब 15 दिन पले गाय-भैंस को ढाई किलो तक दाना खिलाना चाहिए.
इन बातों का भी रखना चाहिए ध्यान
पशु चिकित्सक डॉक्टर मनोज शर्मा की मानें तो गाय का गर्भकाल करीब 285 दिन का होता है जबकि भैंस का 305 दिनों का. पशुओं के शरीर में बच्चे का विकास गर्भकाल के छह से सात महीने बहुत धीमी गित से होता है जबकि अंतिम तीन महीनों में बहुत विकास होता है. इसिलए गर्भवर्ती पशुओं की देखभाल और उनके पोषण में बहुत ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. इसके अलावा पशुओं को लंबी दूरी तक चलाना भी फायदेमंद साबित होता है.
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