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Animal Husbandry: देशी गाय के गोबर और गो मूत्र से कैसे बढ़ सकती है खेती का उर्वरक क्षमता, जानें

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कृषि और पशुपालन की जानकारी देते विशेषज्ञ

नई दिल्ली. राष्ट्रीय कृषि विज्ञान परिषद नई दिल्ली में आयोजित स्थापना दिवस एवं प्रौद्योगिकी दिवस समारोह के अवसर पर डेरी संस्थान के निदेशक डॉ. धीर सिंह के मार्गदर्शन में मंगलवार (16 जुलाई 2024) को प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी भी लगाई गई. परिषद का 96वां स्थापना दिवस पर कृषि विज्ञान केंद्र करनाल द्वारा कृषक वैज्ञानिक संगोष्ठी एवं प्रदर्शनी का आयोजन गांव हसनपुर में भी किया गया. इस मौके पर 40 महिला किसानों, 20 छात्र-छात्राएं एवं 12 किसानों ने भाग लिया. इस दौरान किसान और छात्र—छात्राओं को पशु पालन, मधुमक्खी पालन आदि के बारे में जानकारी देकर इस तकनीकी को भविष्य में भी अपनाने की बात कही. इसमें देशी गाय के गोबर और मूत्र के महत्व के बारे में भी बताया गया. विशेषज्ञों ने बताया कि अगर इन दोनों का इस्तेमाल खेती में किया जाए तो ये भूमि की उर्वरक क्षमता को कई गुना बढ़ा देता है.

परिषद के स्थापना दिवस एवं प्रौद्योगिकी दिवस आयोजन के मुख्य अतिथि केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने संबोधन में प्राकृतिक खेती, कृषि में विविधीकरण, पशुपालन, डेरी, मत्स्य पालन अनुसंधान कार्यों को किसी विज्ञान केन्द्र के माध्यम से किसानों तक पहचाने की आवश्यकता पर जोर दिया. कार्यक्रम में मुख्य तकनीकी अधिकारी कुलवीर सिंह ने कृषि विज्ञान केन्द्र में होने वाले मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन एवं विभिन्न प्रशिक्षणों के बारे में अवगत कराया और शहद की आहार में महत्ता की जानकारी दी. मधुमक्खी के रख रखाव एवं आय-व्यय के बारे में जानकारी दी जिससे की किसान युवा महिलाऐं स्वयं मधुमक्खी पालन करके अपनी आय को बढ़ा सकते हैं.

गोबर व मूत्र से कैंचुओं की संख्या बढ़ती है
कार्यक्रम में अश्वनी कुमार ने बताया कि कम लगात में प्राकृतिक खेती पद्धति में कैंचुओं की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण है जो भूमि में न केवल नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करते हैं बल्कि भूमि के भौतिक गुणों में सुधार करते हैं. देशी गाय के गोबर व गो मूत्र में ऐसे गुण विद्यमान होते हैं जो कि केंचुओं को स्वत: आकर्षित करते हैं और कैंचुओं की संख्या बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जिससे की भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है. एक देशी गाय के गोबर व गो मूत्र में असंख्य भोजन निर्माण करने वाले जीवाणु होते हैं जो कि प्राकृतिक खेती में उपयोगी अव्यव जैसे बीजामृत, जीवामृत, घनजीवामृत, नीमास्त्र, ब्रम्हास्त्र को बनाने में उपयोगी है सभी किसानों और छात्रों को दर्शप्रणी अर्क, खट्टी लस्सी फफूंद नाशक द्वारा विभिन्न फसलों में होने वाली बिमारियों व कीट पतंगों की रोकथाम के बारे में जानकारी दी.

ऐसे कर सकते हैं जमीन को उपजाऊ
मुख्य तकनीकी अधिकारी डॉ. वीके मीणा ने बताया कि खेतों में पराली प्रबंधन कर मिट्टी की उर्वरता को बढाने पर जोर दिया. साथ ही मिट्टी के नमूने लेने की जानकारी दी, जिससे की खेत में विभिन्न पोषक तत्वों की मात्रा का पता कर उसी अनुपात में उर्वरको एवं पोषक तत्वों को खेत में प्रयोग करने की जानकारी दी.

सब्जियों के बारे में भी बताया
परिषद के स्थापना दिवस एवं प्रौद्योगिकी दिवस आयोजन के अवसर पर कृषि विज्ञान केन्द्र करनाल द्वारा करनाल क्षेत्र की ड्रोन दीदी सीता देवी गांव कटलहडी एवं गीता देवी गांव ऐचला के साथ राष्ट्रीय कृषि विज्ञान परिषद नई दिल्ली में भाग लिया. कार्यक्रम में प्राकृतिक विधि महिलाओं द्वारा प्राकृतिक विधि से उगाई गई सब्जियों एवं हल्दी की प्रदर्शनी लगाई गई एवं कृषि विज्ञान केन्द्र करनाल द्वारा प्राकृतिक खेती के मुख्य अवयव जैसे बीजामृत, जीवामृत, घनजीवामृत, नीमास्त्र, ब्रम्हास्त्र को प्रदर्शित किया गया.

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