नई दिल्ली. पशुपालक गाय पालन करके मुख्य रूप से दो तरह से कमाई करते हैं. गाय को पालकर उसका दूध निकाल कर बेचने से अच्छी खासी आमदनी होती है. इसके साथ ही गोबर का भी जैविक खाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. इस वजह से पशुपालक दूध और उसके गोबर से अच्छा फायदा उठते हैं. हर तरह की एक गाय पर हर दिन में 60 से 70 रुपए का खर्च आता है. इसके अलावा गायों को खल, चापड़, तिल्ली की खड़ और कपासिया दिया जाता है जो 15 से 16 रुपए तक किलो तक मिलता है. गौशाला में ढाई किलो दूध देने वाली गाय को 1 किलो दाना दिया जाता है. इसके अलावा गायों पर एक आदमी की भी जरूरत होती है.
65 रुपये केजी बिकता है दूध
यहां बात की जा रही है गिर गाय की. गिर गाय राजस्थान गुजरात और महाराष्ट्र में पाई जाती है. इसे देदेसण, गुजराती, सूरती, काठियावाड़ी और सोरठी भी कहा जाता है. इसका शरीर लाल रंग का होता है जिस पर सफेद धब्बे, गुंबद के आकार के और लंबे कान होते हैं. यह एक बेयांत में औसतन 2100 से 3600 लीटर दूध देती है. इस गाय की बिक्री एक लाख रुपये तक में होती है. इस गाय के दूध का औसत दाम 65 रुपए होता है. गाय 30 दिन में 360 लीटर दूध देती है.
385 किलोग्राम होता है वजन
इसकी सबसे अनूठी विशेषता और उनके उत्तल माथे हैं, जो इसको तेज धूप से बचाते हैं. ये मध्यम से लेकर बड़े आकार में पाई जाती है. गिर मादा का औसत वजन 385 किलोग्राम तथा ऊंचाई 130 सेंटीमीटर होती है. जबकि नर गिर का औसतन वजन 545 किलोग्राम तथा ऊंचाई 135 सेंटीमीटर होती है. इसके शरीर की त्वचा बहुत ही ढीली और लचीली होती है.
ये है इसकी पहचान
एक्सपर्ट कहते हैं की गाय के दूध का सेवन करने से दिमाग तेज होता है. ऑटिज्म और न्यूरो की बीमारी से बचाता है. कोलेस्ट्रॉल कम करने के साथ दूध में मौजूद पोटैशियम से शुगर और बीपी कंट्रोल रहता है. गिर गाय की पहचान की बात की जाए तो एक ऐसी खास नस्ल है जो अधिक दूध देने के लिए न सिर्फ भारत बल्कि पूरे विश्व में जानी जाती है. गिर नस्ल की गाय को आसानी से पहचाना जा सकता है. इसके शरीर में गहरी लाल चॉकलेटी रंग के धब्बे होते हैं जो इसकी पहचान है.
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