नई दिल्ली. पौष्टिक आहार न मिलना, दूषित पानी के पीने के कारण पशुओं में लगातार कैल्शियम की कमी हो सकती है. जब कैल्शियम की कमी पशुओं में हो जाती है तो उन्हें बहुत सी परेशानी का सामना करना पड़ता है. गर्म मौसम में पशुओं को पौष्टिक और हरा चारा नहीं मिल पाता. ऐसी स्थिति में पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है. इतना ही नहीं पशु मर भी सकते हैं. इसलिए पशुओं के लिए चारे का इंतजाम पशुपालकों को करना ही चाहिए. कई राज्यों में भीषण गर्मी से चारे का संकट बढ़ जाता है. कैल्शियम और चारे की कमी को दूर करने के लिए आपको इस आर्टिकल के जरिए जानकारी दे रहे हैं.
ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन बड़े पैमाने पर किया जाता है. पशुपालन में पशुओं को चारे की जरूरत होती है. अगर पशुओं को हरा चारा न मिले तो इसका मतलब ये है कि पशु को जरूरी पोषक तत्व नहीं मिलेगा. पशु कमजोर भी हो सकता है और इसका सीधा असर दूध उत्पादन और फिर पशुओं की सेहत पर भी पड़ता है. राजस्थान में ही काल की स्थिति में पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था करना बहुत ही मुश्किल काम होता है. पशुपालक को इसका विकल्प तलाशना पड़ता है. ऐसा न कर पाने पर पशुओं को दिक्कतें हो सकती हैं.
इन चीजों से करें कमी पूरी: गर्मी के मौसम में गन्ने का रस जमकर बिकता है. गन्ने का रस निकालने के बाद बचे वेस्ट को काटकर इसकी 4 किलोग्राम तक मात्रा वयस्क पशु को दी जा सकती है. बछड़ों के लिये इसमें शीरा एवं गेहूं का चापड़ मिलाकर इस्तेमाल में लेना चाहिए. व्यस्क पशुओं के लिये इसे बारीक काटकर उसे यूरिया-शीरे के मिश्रण से उपचारित कर सकते हैं.
पशुओं में कैल्शियम को करें दूर: पशुओं की आवश्यकता को पूरा करने के लिए फास्फोरस, कैल्शियम के साथ अन्य पोषक तत्व और खनिज युक्त भोजन मिलना चाहिए, जो पशुओं को स्वस्थ रख सकें. पानी कैल्शियम और समग्र स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसलिए मनुष्यों की तरह से ही पशुओं को साफ और ताजा पानी पीने के लिए देना चाहिए. डॉक्टरों की सहायता से रक्त परीक्षण के माध्यम से समय-समय पर पशु के रक्त में कैल्शियम के स्तर की निगरानी करें.
कैसे बनाए रखें कैल्शियम का संतुलनः पशुपालक चेतन स्वरूप कहते हैं कि पशुपालन में सबसे पहली शर्त ही ये है कि पशुओं के लिए चारे का उचित प्रबंधन करना. चाहे सूखा हो या अकाल पड़े, पशुओं को तो चारा चाहिए. अगर चारा नहीं मिलेगा तो इसका असर पशुओं के स्वास्थ्य पर पड़ेगा और जब पशुओं का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहेगा तो दूध उत्पादन नहीं होगा, ऐसे में पशुपालकों को सिर्फ आर्थिक नुकसान ही उठाना पड़गा. इसलिए डेयरी पशुओं में कैल्शियम का स्तर बनाए रखना बेहद जरूरी है. अगर सूखे की स्थिति दिख रही है तो किसान या पशुपालकों को पहले से ही सूखे चारे का प्रबंधन या स्टोर करना चाहिए.
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