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Animal Husbandry: बरसात में पशुओं को हो सकती हैं ये बीमारियां, बचाने के लिए क्या करें

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गाय-भैंस की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. बहुत से सीमांत किसान खेती के अलावा छोटे स्तर पर पशुपालन करते हैं. हालांकि बात जब ज्यादा पशुओं के साथ पशुपालन की आती है तो फिर उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इसलिए किसानों के लिए जरूरी हो जाता है कि वो अपने पशुओं का पालन ठीक से करें. कुछ जरूरी बाते हैं जिनका ध्यान रखकर पशुओं की ​देखभाल अच्छे ढंग से की जा सकती है. गौरतलब है कि जुलाई महीने में मॉनसून के मौसम की शुरूआत हो जाती है और कुछ क्षेत्रों में बारिश के साथ धूल वाले तूफान का भी असर दिखाई देता है. जबकि गर्मी और नम मौसम के कारण पशुओं को बीमारियों का खतरा रहता है.

आइए इस आर्टिकल में हम आपको बताएं कि कैसे इस मौसम में पशुओं का ख्याल रखना है और उन्हें बीमारी से कैसे बचाना है. अगर इन चीजों को आपने कर लिया तो फिर किसी भी तरह की दिक्कतों का सामना नहीं करना होगा.

वैक्सीनेशन कराना बेहद ही अहम
एक्सपर्ट का कहना है कि बारिश में कीचड़ और बाढ़ से पशुओं को बचाने के लिए पर्याप्त व्यवस्थाएं होनी चाहिए. ज्यादा बारिश होने पर पशुओं को बीमारियों से बचाएं और इस समय में उनकी डीवॉर्मिंग करना ना भूलें. वहीं पशुओं का मुंह खुर रोग, गलघोटू रोग, लंगड़ा बुखार,आंतों का रोग आदि से यदि टीकाकरण करवाना बेहद ही अहम होता है. पशुओं को आंतों के रोग से बचाना चाहिए. बूढ़ी भेड़ और बकरी का वैक्सीनेशन कराएं. बछड़े/कटड़े/भेड़ के बच्चे के जन्म के बाद, नवजात शिशु को 2 घंटो के अंदर-अंदर खीस पिलायी जानी चाहिए.

बुखार से पशुओं को बचाएं
डिलीवरी के बाद बाद 7—8 दिनों में दुधारू पशुओं में सूतकी बुखार आता है. इससे बचाव के लिए गर्भावस्था के दौरान पशु को धूप में रखा जाना चाहिए. वहीं गर्भावस्था के आखिरी महीने में पशु को जन्म के समय आने वाली समस्याओं जैसे जेर का ना पड़ना आदि से बचाने के लिए विटामिन ई और सेलेनियम का इंजेक्शन देने की सलाह एनिमल एक्सपर्ट देते हैं. पशुओं को कैलशियम और फासफोरस के मिश्रण 70—100 मिली या 5—10 ग्राम चूना दें.

इस तरह का चारा खाने न दें
जानवरों को सिंचित चारा क्षेत्रों में चरने न दें, क्योंकि लंबी गर्मी के बाद, मॉनसून की शुरुआत के कारण चारा में इजाफा हो जाता है इसमें जहरीले साइनाइड होते हैं. वहीं ज्वार फसल में खासतौर पर इन चारा फसलों की कटाई समय से पहले या जानवरों को समय से पहले खिलाया नहीं जाना चाहिए. इसके अलावा बारहमासी चारे की फसल इस समय रोपित की जानी चाहिए. यह 40—50 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. पशु की संतुलित खुराक के लिए मक्का, ज्वार और बाजरा को ग्वार फली और लोबिया के साथ बोया जाना चाहिए. भेड़ की ऊन उतारने के 21 दिन बाद, उनके शरीर को कीटाणुशोधक में डुबोया जाना चाहिए.

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