नई दिल्ली. मौसम के लिहाज से पोल्ट्री की देखरेख की जाती है. जिससे पोल्ट्री फार्मिंग में फायदा कई गुना बढ़ जाता है. गर्मी के मौसम में मुर्गी पालन से अच्छी कमाई की जा सकती है, लेकिन गर्मी में उसकी सही तरह से देखरेख की जाए तभी इसमें ज्यादा फायदा कमाया जा सकता है. अगर देखरेख में कमी की गई तो फिर इस काम में नुकसान भी उठाना पड़ सकता है. हाल ही के मौसम में हुए बदलावों और तापमान में अचानक बढ़ोत्तरी ने हालातों को और भी चुनौतीपूर्ण बना दिया है. आइए जानते हैं कि गर्मी का तनाव पोल्ट्री उत्पादन को कैसे प्रभावित करता है और कैसे अपने पोल्ट्री की देखरेख की जा सकती है.
गर्मी के तनाव का पोल्ट्री उत्पादन पर कई तरह के नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. बढ़ता तापमान फीड की खपत और पोषक तत्वों के अवशोषण को कम करता है, हार्मोन के स्तर को बाधित करता है और प्रजनन प्रदर्शन और अंडे की गुणवत्ता को प्रभावित करता है. ब्रायलर का वजन कम हो सकता है, निम्न गुणवत्ता वाला मांस पैदा हो सकता है और उच्च मृत्यु दर का सामना करना पड़ सकता है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है. गर्मी से परेशान पक्षी ठंडे फर्श की तलाश में पानी के पाइप को छूकर या कूड़े में खुदाई करके ठंडक की तलाश करते हैं.
साफ और ताजा पानी देना है जरूरी: मुर्गियों को गर्मी में पर्याप्त ताजा पानी और ठंडा पानी उपलब्ध कराना चाहिए. जिस जगह मुर्गियों को रखा जा रहा है, उस जगह को साफ सुथरा रखना भी जरूरी होता है. मुर्गियों को परेशान न करें. अगर वह ठंडी मिट्टी में लोट रहीं हैं तो उन्हें लोटने दें. उन्हें पर्याप्त जगह की जरूरत होती है. इसलिए उन्हें जगह उपलब्ध कराएं. पानी को ठंडा रखने के लिए आप मिट्टी के बर्तन का इस्तेमाल कर सकते हैं. वहीं वॉटरर में जमे हुए पानी की बोतल रखें. मुर्गियों को पिलाने वाला पानी ऐसी जगह रखें जो छांवदार हो.
शेड हो छायादार: छायादार क्षेत्र प्रदान करना और स्प्रिंकलर सिस्टम से शेड पर छिड़काव करने से नीचे ठंडक बनी रहती है. शीतल पैड स्थापित करने से सीधे सूर्य की रोशनी और कम परिवेश के तापमान से राहत प्रदान करता है. 40-41°C से अधिक तापमान के दौरान बाष्पीकरणीय शीतलन विधियों, जैसे स्प्रिंकलर, का उपयोग करें. दिन के दौरान ठंडा पानी उपलब्ध कराने से पीने को बढ़ावा मिलता है, जबकि फीड में वसा का स्तर बढ़ने से ऊर्जा का स्तर बढ़ जाता है.
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