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Animal Husbandry: सावधान! ज्यादा सर्दी में दुधारू पशु हो सकते हैं बीमार, ऐसे करें बचाव

Animal Husbandry: Milk animals can become sick in extreme cold, adopt these methods to protect them from diseases.
प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. मौसम में हो रहे हर रोज बदलाव का प्रभाव सिर्फ मानवों पर ही नहीं पड़ता बल्कि पशु-पक्षी और जानवरों पर भी पड़ता है. मौसम परिवर्तन की वजह से पशु और जानवरों बीमार तक हो जाते हैं. कभी-कभी ये मौसमी बीमारी जान तक पर आ जाती है. इसलिए किसानों को चाहिए कि शीतलहर, कोहरा और ज्यादा ठंड में अपने जानवरों को बचाकर रखें और समय-समय पर उन्हें देसी दवाएं भी देते रहें, जिससे उन्हें बीमार होने से बचाया जा सके. आपको बता दें कि अधिक ठंड पड़ने के कारण दुधारू पशुओं पर सबसे ज्यादा असर देखा जाता है. ठंड के कारण सबसे पहले तो दूध कम हो जाता है.इसलिए बेहतर है कि किसान और पशुपालक आर्थिक जोखिम उठाने से पहले कुछ सावधानियां बरत लें.

ज्यादा सर्दी में हो जाती हैं ये बीमारियां
ज्यादा सर्दी के मौसम में दूध देने वाले पशुओं को ठंड लगने की शिकायतें आने लगती हैं. ठंड में पशु निमोनिया, दस्त, अफारा रोग, खुरपका-मुंहपका और गलघोंटू जैसी बेहद गंभीर रोगों से ग्रसित हो जाते हैं. कभी-कभी ये बीमारियां इतनी गंभीर रूप धारण कर लेती हैं कि उनकी मौत तक हो जाती है. इसलिए पशुपालक वक्त रहते सचेत होकर इनके उपाय खोज ले तो जानी और माली दोनों तरह के नुकसान से बच सकते हैं.

ठंडेला रोग से इस तरह करें बचाव
इन सबके अलावा सर्दियों में पशुओं को ठंडेला रोग भी लग जाता है. निमोनिया होने का असर दूध देने पर पड़ता है. तेज हवा और ठंड लगने से पशुओं की नाक तक बंद हो जाती है और उन्हें सासं लेने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है. इसलिए किसान पशुओं की नाक को खोलने के लिए बाल्टी में गर्म पानी लें और उसकी नाक पर घांस डाल दें. पशु की नाक में एक मोटा कपड़ा रखे. इससे पशुओं की बंद नाक खुल जाएगी. इस तकनीक को बेहद सावधानीपूर्वक करें, जिससे पशु की नाक न जल पाए. इसके अलावा अजवाइन, धनिया और मेथी को कूटकर पानी में उबाल दे. फिर हल्का गर्म होने पर इसे पशुओं को पिलाएं. इससे पशु को काफी आराम मिलेगा.

थनैला रोग से ऐसे बचाएं अपने पशु को
अफरा, निमोनिया के अलावा दुधारू पशुओं में थनैला रोग भी देखा जाता है. इस बीमारी के कारण थनों में सूजन, दर्द और कड़ापन होता है. इस कारण थनों से फटा हुआ थक्केनुका दही की तरह जमा हुआ दूध निकलता है. दूध से स्मैल भी आने लगतील है. थन में गांठे पड़ जाती है, जिससे पशु के थनों से दूध तक आना बंद हो जाता है. इस गंभीर बीमारी से बचाने के लिए दूध निकालने के बाद थन में बीटाडीन लगाए और अच्छे से थनों की सफाई करें. इस बीमारी का सबसे सफल इलाज तो सफाई है. अगर फिर भी पशु ठीक नहीं हो रहा तो पशु डॉक्टर से परामर्स करें.

निमोनिया होने पर ये नियम अपना लें किसान
ज्यादा सर्दी पड़े पर पशुओं को निमोनिया बीमारी भी हो जाती है. सर्दियों में पशुओं को निमोनिया होने की भी शिकायत मिलती है. क्योंकि अक्सर गाय खुले में या ओस में बंधी होती है. निमोनिया होने पर गाय-भैंस के आंख और नाक से पानी गिरने लगता है साथ ही पशु को बुखार भी हो जाता है इससे वह सुस्त हो जाता है. इससे बचाने के लिए पशुओं को रात के वक्त खुले आसमान के नीचे नहीं बांधे. तेज धूप या मौसम गर्म होने पर ही उन्हें बाहर निकाले या नहलाएं.स्काईमेट की खबर के अनसार इसके साथ ही बीमार पशु को नौसादर, सौंठ औऱ आजवायन को अच्छी तरह से कूटकर मिला दे और 250 ग्राम गुड़ के साथ मिलाकर दिन में दो बार दें. इसके साथ ही पशुओं को एंटीबॉयोटिक का इंजेक्शन लगाए और उनके रहने की जगह को सूखा रखें.

ज्यादा हरा चारा खिलाने से बचें
ज्यादा सर्दी में पशु बीमार हो जाते हैं. इसमें एक बड़ा कारण जरूरत से ज्यादा हरा खिलाना भी होता है. हरे चारे से पशुओं के पेट में गैस बनने लगती है, जिसे अफारा रोग भी कहा जाता है. इस अफारे की वजह से जानवरों में चिड़चिड़ापन हो जाता है. इसलिए किसान अपने पशुओं में इस बीमारी से बचाव के लिए ठंड के मौसम में पशुओं को हरा चारा कम लेकिन उसके साथ-साथ सूखा चारा अधिक खिलाएं. सर्दियों में पशुओं को समय-समय पर गुड़ खिलाना न भूलें. साथ ही अफारा रोग होने पर सरसों के तेल में तारपीन मिलाकर भी पिला दें. इन उपायों से हम पशुओं को काफी हद तक बीमारी से बचा सकते हैं.

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