नई दिल्ली. पशुपालन में दुधारू पशु का होना बेहद जरूरी होता है. एक दुधारू पशु की देखभाल जन्म से ही शुरू हो जाती है. दूध का अच्छा प्रोडक्शन और डेयरी में अच्छी कमाई के लिए जन्म के समय दुधारू पशु की कैसे देखभाल करें, हम आपको इसकी पूरी जानकारी दे रहे हैं. अगर बछिया की देखरेख उसकी कम उम्र में की जाए तो फिर इसका फायदा मिलता है और आगे चलकर वो प्रोडक्शन भी अच्छा देती है. सबसे अच्छी बात ये है कि फ्यूचर के लिए बिना किसी लागत से आप दुधारू पशु तैयार कर सकते है. हालांकि आपको इसमें कुछ बातों का ख्याल जरूर रखना होगा.
एनीमल एक्सपर्ट का कहना हैं कि बछिया को तैयार करना चाहते हैं तो बछिया का उचित तरीके से पोषण पहली प्राथमिकता होती है. जन्म लेने के बाद उसकी मां का दूध यानी खीस जरूर पिलाएं. कोशिश ये हो कि जन्म के पहले 6 घंटों में 2.5 या 3 लीटर या फिर बछड़ी के भार के 10 प्रतिशत के बराबर उसे खीस जरूर दें. खीस देने से बछड़ी में रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी हो जाती है. उसे जल्दी बीमारी नहीं लगती है.
खीस पिलाने के साथ कराएं टीकाकरण: पशु एक्सपर्ट कहते हैं कि खीस पिलाने के बाद दूसरा नंबर आता है बछिया को उचित पोषण देने का. इसके लिए आहार के साथ ही साफ पानी भी उचित मात्रा में देना चाहिए. पोषण के अलावा बछिया की उचित देखभाल करना भी बेहद जरूरी होता है. वहीं उसके रहने की जगह के तापमान पर भी आपको गौर करना है. इन सभी चीजों के बाद बछिया को कोई बीमारी न हो और वह किसी संक्रमण की चपेट में न आए इसके लिए समय-समय पर टीकाकरण भी कराते रहें, ताकि बाद में इसका फायदा आपको मिले.
जन्म के बाद करें साफ सफाई: जन्म के बाद सबसे पहले तो बछड़ी के नाक और मुंह से कफ और श्लेष्मा जैसी चीज़ों को अच्छे से साफ करना पहली प्राथकिता होनी चाहिए. इसके बाद बछिया को उसकी मां का दूध उचित मात्रा में पिलाना जैसा कि पहले जिक्र किया गया है बहुत ही जरूरी है. जन्म के एक हफ्ते के बाद उसे दाना व साफ-सुथरा हरा चारा भी धीरे-धीरे खिलाना चाहिए. पानी हमेशा ही सही मात्रा में और साफ देना चाहिए.
वेटरनरी डॉक्टर की सलाह है जरूरी: उसके रहने के स्थान पर सुरक्षा की उचित व्यवस्था करना बेहद जरूरी है. जहां तामपान का ख्याल रखना आवश्यक है. शुरुआत में बछिया पर कुत्ते या अन्य जानवरों का हमला करने का खौफ रहता है. इसलिए इन जानवरों से हिफाजत करना भी बेहद जरूरी होता है. वहीं बछिया में अगर किसी तरह की बीमारी के लक्षण दिखाई दे रहे हों या फिर अगर वह दूध ना पिए और फुर्तीलापन ना दिखाई दे तब फौरन वेटरनरी डॉक्टर को दिखाएं.
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